तालिबान अपने विरोधियों के प्रति जैसी बर्बरता दर्शाते हैं, उससे ठीक उलट तालिबानी प्रवक्ता ने कहा कि वे उसका विरोध करने वालों को माफी दे रहे हैं, अफगानिस्तान की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे
17 अगस्त, मंगलवार को तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने पहली प्रेस कांफ्रेंस की। इसका उद्देश्य कहीं न कहीं तालिबान की अपनी अपनी असली सूरत छुपाकर नकली चेहरा सामने रखने की कवायद भर लगी। क्योंकि इसमें तालिबान की तरफ से जो बातें की गर्ई वे उसकी करनी से ठीक उलट हैं। जैसे, तालिबान महिलाओं और बच्चियों के प्रति कितनी अमानवीय हैं, वह उनके पिछले राज और इस बार के कब्जे के दौरान उनके फरमान साफ जता चुके हैं। लेकिन प्रेंस कांफ्रेंस में जबीउल्ला ने कहा कि 'महिलाएं इस्लामी कानून के हिसाब से चलें, उनके अधिकारों का सम्मान होगा।' दूसरे, तालिबान अपने विरोधियों के प्रति जैसी बर्बरता दर्शाते हैं उससे ठीक उलट तालिबानी प्रवक्ता ने कहा कि वे उसका विरोध करने वालों को माफी दे रहे हैं, अफगानिस्तान की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।
देखते ही देखते, चंद दिनों में अफगानिस्तान पर कब्जा कर चुके तालिबान के प्रवक्ता का कहना है कि संगठन के लड़ाके किसी से बदला नहीं लेने वाले। जबीउल्ला की यह प्रेंस कांफ्रेंस अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर तालिबान का कब्जा होने के दो दिन बाद हुई। जबीउल्ला ने अफगानिस्तान के सरकारी कर्मचारियों से राजधानी में स्थिति सामान्य करने के लिए काम पर लौटने को कहा। इतना ही नहीं, सबसे ज्यादा हैरानी तो जबीउल्ला की इस घोषणा से हुई है कि तालिबान चाहता है महिलाएं उसकी सरकार में शामिल हों! मुजाहिद ने ट्वीट भी किया कि 'काबुल में स्थिति पूरी तरह काबू में है और शहर में कानून-व्यवस्था बहाल हो गई है'।
जबीउल्ला ने अफगानिस्तान के सरकारी कर्मचारियों से राजधानी में स्थिति सामान्य करने के लिए काम पर लौटने को कहा। इतना ही नहीं, सबसे ज्यादा हैरानी तो जबीउल्ला की इस घोषणा से हुई कि 'तालिबान चाहता है महिलाएं उसकी सरकार में शामिल हों'! उसने यह भी दोहराया कि 'लोगों के जीवन और संपत्ति को कोई खतरा है'। लेकिन असलियत में तो खबरें मिली हैं कि तालिबान लड़ाकों ने सरकारी संपत्तियों को लूटा है, वाहनों को कब्जाया है।
मुजाहिद ने यह भी दोहराया कि लोगों के जीवन और संपत्ति को कोई खतरा है। लेकिन असलियत में तो खबरें मिली हैं कि तालिबान लड़ाकों ने सरकारी संपत्तियों को लूटा है, वाहनों को कब्जाया है। उधर तालिबान कहता है कि इस लूट में शामिल लगभग 200 लोगों को उसने गिरफ्तार किया है।
मुजाहिद का कहना है कि तालिबान चाहता है कि निजी मीडिया 'आजाद रहे'। इसके साथ ही तालिबानी प्रवक्ता ने यह भी साफ कर दिया कि 'पत्रकार देश के मूल्यों के खिलाफ काम न करें।' प्रवक्ता कहता तो है कि 'तालिबान अफगानिस्तान को सुरक्षित करेंगे। जिन लोगों ने पिछली सरकार या विदेशी सरकारों या फौज के साथ काम किया उनसे कोई बदला नहीं लिया जाएगा।' लेकिन असलियत में तो वे बदला ले भी चुके हैं, अमेरिका के लिए काम करने वाले कुछ अफगानी अनुवादकों को हलाक कर चुके हैं। मुजाहिद ने यह भी कहा है कि अफगानिस्तान किसी और देश को निशाना बनाने के लिए अपनी जमीन इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं देगा।
उधर तालिबान के 'कल्चरल कमीशन' के इमानुल्लाह समनगनी ने ऐसा ही वादा किया था कि तालिबान ज्यादा से ज्यादा लोगों को 'माफी' देगा और महिलाओं का हौसला बढ़ाएगा कि वे सरकार में शामिल हों।
लेकिन एक आम अफगानी को डर है कि तालिबान आया है तो अब पहले की तरह देश में हैवानियत लौट आएगी। लेकिन मुजाहिद ने का कि अब महिलाओं को इस्लामी कानून के अंतर्गत अधिकार दिए जाएंगे।
इस बीच खबर है कि काबुल पर तालिबान का कब्जा होने के बाद जर्मनी ने अफगानिस्तान को विकास के लिए दी जाने वाली सहायता रोक दी है।
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