भारत ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि पड़ोसी देश होने के नाते वह अफगानिस्तान में बनी परिस्थितियों से चिंतित है। महासवि गुतेरस ने इस बात बल दिया कि अफगानिस्तान को आतंकवाद का अड्डा नहीं बनने दिया जा सकता
16 अगस्त की देर शाम भारत की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अफगानिस्तान की परिस्थितयों पर चर्चा के लिए विशेष बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में सबसे पहले तो चिंता व्यक्त की गई अफगानिस्तान में मानवाधिकार और मानवतावादी कानूनों के उल्लंघन की घटनाओं पर सभी सदस्यों ने गहरी चिंता व्यक्त की। परिषद ने अफगनिस्तान में फौरन हिंसा रोकने के साथ ही सुरक्षा, नागरिक प्रशासन और संवैधानिक व्यवस्था बहाल करने की अपील की।
परिषद द्वारा वहां के मौजूदा संकट को दूर करने के लिए फौरन आपसी वार्ता शुरू करने का भी आह्वान किया गया। सदस्यों का कहना था कि राष्ट्रीय आम सहमति के माध्यम से अफगानिस्तान के प्रतिनिधियों के साथ वर्तमान स्थिति के शांतिपूर्ण समाधान पर बात होनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि भारत की अध्यक्षता में संपन्न हुई सुरक्षा परिषद की बैठक अफगानिस्तान की राजधानी काबुल और राष्ट्रपति के महल पर तालिबानी कब्जे के एक दिन बाद हुई थी। परिषद की बैठक के बाद जारी बयान में है कि सदस्य देशों का कहना है कि सभी पक्षों को अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का हर स्थिति में अनुपालन करना ही चाहिए। आम जन के जीवन की सुरक्षा से जुड़े सभी अंतरराष्ट्रीय निमयों का पालन सुनिश्चित हो। परिषद ने अफगानिस्तान में मानवीय सहायता पहुंचाने के प्रयासों को और तेज करने का भी आह्वान किया।
महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने अफगानिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय एकता की अपील की। उनका कहना था कि अफगानिस्तान में मानवाधिकारों का सम्मान हो, मानवीय सहायता जारी रहे। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान को फिर से आंतकवाद का अड्डा नहीं बनने दिया जा सकता। संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के प्रतिनिधि गुलाम इसाक जाई ने अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से अपील की है कि अफगानिस्तान को गृह युद्ध में जाने से रोकने के प्रयास करें।
परिषद के सदस्यों ने अफगानिस्तान में आतंकवाद का मुकाबला करने की जरूरत जताते हुए कहा है कि अफगानिस्तान की धरती किसी भी दूसरे देश को धमकाने या उस पर हमला करने के लिए इस्तेमाल नहीं की जानी चाहिए, न ही तालिबान अथवा अन्य कोई और अफगानी गुट या व्यक्ति को दूसरे देशों में सक्रिय आंतकवादियों को समर्थन देना चाहिए।
सभी सदस्य देशों ने अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन को पूरा समर्थन देने की बात दोहराई। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र कर्मियों तथा संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के दूतावासों में तैनात कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया।
परिषद के महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने अफगानिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय एकता की अपील की। उनका कहना था कि अफगानिस्तान में मानवाधिकारों का सम्मान हो, मानवीय सहायता जारी रहे। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान को फिर से आंतकवाद का अड्डा नहीं बनने दिया जा सकता। संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के प्रतिनिधि गुलाम इसाक जाई ने अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से अपील की है कि अफगानिस्तान को गृह युद्ध में जाने से रोकने के प्रयास करें। उन्होंने बताया कि काबुल में हत्याओं और महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं। जाई ने कहा कि परिषद और संयुक्त राष्ट्र ऐसे सभी कदम उठाएं जिनसे अफगानिस्तान को सबसे अलग होने से बचाया जा सके। संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत ने कहा कि अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया में क्षेत्रीय नेताओं की भागीदारी हो। उन्होंने बताया कि रूस इस प्रक्रिया में ईरान को शामिल करना चाहता है। इस बीच, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी.एस. तिरुमूर्ति ने कहा कि अफगानिस्तान का पड़ोसी और मित्र होने के नाते भारत वहां की स्थिति से चिंतित है। भारत उम्मीद करता है वहां स्थिति जल्दी ही स्थिर होगी।
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