मदुरै स्थित मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर
तमिलनाडु की एम.के. स्टालिन सरकार ने मदुरै के मंदिरों में तीन गैर-ब्राह्मण पुजारी नियुक्त किए हैं। इनकी नियुक्ति हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्ती (एचआर एंड सीई) विभाग द्वारा संचालित मंदिरों में की गई है। साथ ही, 54 गैर-ब्राह्मण पुजारियों को नियुक्ति पत्र बांटे गए हैं।
हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्ती (एचआर एंड सीई) विभाग के अनुसार, 14 अगस्त को चेन्नई में एक समारोह में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने 54 गैर-ब्राह्मण पुजारियों (अर्चक) को नियुक्ति पत्र बांटें। इसी क्रम में मदुरै में तीन और गैर-ब्राह्मण पुजारियों को नियुक्त किया गया है। इसी के साथ मदुरै में अब पांच गैर-ब्राह्मण पुजारी हो गए हैं। पी. महाराजन और एस. अरुण कुमार पहले से ही यहां काम कर रहे हैं।
विभाग द्वारा जारी बयान के अनुसार, फरवरी 2018 में राज्य सरकार द्वारा प्रशिक्षित पहले गैर-ब्राह्मण पुजारी डी. मारीचामी थे। वे पिछड़े समुदाय के थे और उन्हें तल्लाकुलम के अय्यप्पन मंदिर का पुजारी नियुक्त किया गया था। यह मंदिर अल्लागारकोविल कल्लाझगर मंदिर प्रशासन के नियंत्रण में है। दो साल बाद सरकार ने दूसरे प्रशिक्षत गैर-ब्राह्मण पुजारी अरापलयम के पी. त्यागराजन को नागमलाई पुदुकोट्टई के सिद्धि विनयनगर मंदिर का पुजारी नियुक्त किया। इस मंदिर का प्रबंधन मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर के अधिकारियों द्वारा किया जाता है।
बयान में कहा गया है कि हिंदू संगठनों के विरोध के डर से उनकी नियुक्तियों को छिपाया गया। अन्नाद्रमुक के शासन के दौरान न तो इसकी औपचारिक घोषणा की गई और न ही इसका अनुमोदन किया गया। डीएमके के पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि के कार्यकाल के दौरान एक ऐतिहासिक सरकारी आदेश को लागू करते हुए हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के अंतर्गत आने वाले मंदिरों में 54 गैर-ब्राह्मण पुजारियों को नियुक्त किया गया था।
36,000 मंदिरों पर सरकार का नियंत्रण
तमिलनाडु में 36,000 मंदिर हैं, जो तमिलनाडु हिंदू रिलीजियस एंड चैरिटेबल इंडोमेंट डिपार्टमेंट (एचआर एंड सीई) के अंतर्गत आते हैं। राज्य सरकार 200 गैर-ब्राह्मण पुजारियों की नियुक्तियां इन्हीं मंदिरों में करने का फैसला किया है। इसके लिए सरकार ‘शैव अर्चक’ नाम से 100 दिनों का एक पाठ्यक्रम भी चलाती है, जिसे पूरा करने के बाद कोई भी राज्य के प्रमुख मंदिरों में पुजारी बन सकता है। हाल ही में धर्मार्थ मामलों के मंत्री शेखर बाबू ने कहा था कि आगम के अनुसार जिन लोगों ने एक वर्षीय जूनियर शैव अर्चक पाठ्यक्रम पूरा कर लिया है, उन्हें 100 दिनों के भीतर पुजारी बना दिया जाएगा।
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