भोपाल में मातृ भाषा मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि हमारी संस्कृति ने हमें बताया है कि संकट आने पर डरना नहीं. कोरोना की इस महामारी में भी हमारे समाज ने उसी अनुरूप कार्य किया. हम डरे नहीं, हम सभी ने इस विपत्ति का डटकर मुकाबला किया
कोरोना महामारी जैसे संकट काल में भी समाज ने नई-नई बातों का सृजन किया है. हमारे यहां कहा गया है कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है. आवश्यकता के अनुरूप ही मनुष्य नई-नई चीजों का निर्माण करता है. उक्त बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने कही। वे गत दिनों भोपाल में मातृ भाषा मंच द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति ने हमें बताया है कि संकट आने पर डरना नहीं. कोरोना की इस महामारी में भी हमारे समाज ने उसी अनुरूप कार्य किया. हम डरे नहीं, हम सभी ने इस विपत्ति का डटकर मुकाबला किया. कोरोना महामारी के कालखंड में हमने समाज को साथ लेकर समाज की सेवा के कार्य को साधना मान कर सतत किया है. उन्होंने कहा कि समाज में स्वयंसेवक के आचरण से उसकी पहचान बनती है. स्वयंसेवक अपने कार्य के प्रति जिद्दी है और समाज के कष्ट को देखकर वह तुरंत ही सक्रिय होता है.
संघ स्वयंसेवक प्रामाणिक हैं, ऐसा समाज मानता है. कौशल विकास के बारे में कहा कि कौशल विकास के संदर्भ में भी हमें सीखने का प्रयास सतत करते रहना चाहिए. पूज्य सुदर्शन जी ने हर विषय को सीखने का प्रयास किया, सीखने का आयु से कोई संबंध नहीं. वे हमेशा नए नए विषयों को सीखते और अपने कार्य के अनुकूल उसे बनाते रहते थे।
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