सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के ट्वीट का जवाब देते हुए राज्य सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा है कि बेहतर होगा कि बोलने के पहले तथ्यों को भी जान लिया करें. बिना जाने कुछ भी बोलने पर लोग उन पर हंसते हैं
सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि 'अपने ट्वीट में अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में महिलाओं को लेकर चिंता जताई है. ऐसा करते वक्त कभी अपने कार्यकाल की ओर भी झांका है? आपके कार्यकाल की एक मात्र उपलब्धि अराजकता रही है.”
उन्होंने कहा कि “सच कड़वा होता है. लिहाजा आप इन बातों को भूल भी गए होंगे. योगी सरकार ने महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा के बारे में जो किया है, वह सभी लोग जानते हैं. प्रदेश में महिलाओं एवं बच्चों के विरुद्ध अपराधों को नियंत्रित करने और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन की स्थापना की गई है. चार वर्षों में विमेन पावर लाइन के अंतर्गत 11,93,078 शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें से 11,67,898 से अधिक का निस्तारण हो चुका है. जुलाई 2020 से विमेन पावर लाइन के अंतर्गत फैमिली फ्रेंड एवं रिलेटिव की काउंसलिंग की भी शुरुआत की गई.
“सच कड़वा होता है. लिहाजा आप इन बातों को भूल भी गए होंगे. योगी सरकार ने महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा के बारे में जो किया है, वह सभी लोग जानते हैं. प्रदेश में महिलाओं एवं बच्चों के विरुद्ध अपराधों को नियंत्रित करने और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन की स्थापना की गई है.
सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि महिला सुरक्षा, सम्मान एवं स्वावलम्बन के लिए 17 अक्टूबर 2020 को मिशन शक्ति अभियान की शुरुआत हुई. महिला दिवस पर इसका दूसरा चरण प्रारंभ हुआ और शीघ्र ही इसके अगले चरण की शुरुआत होने जा रही है. प्रदेश के 1,535 थानों पर महिला हेल्प डेस्क की स्थापना की गई. महिला संबंधी अपराध में त्वरित कार्रवाई हेतु सभी रेंज मुख्यालययों पर महिला साइबर क्राइम सेल तथा थाने के समकक्ष एक-एक महिला पुलिस चौकी परामर्श केंद्र की स्थापना की गई.
उन्होंने कहा कि महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा के लिए सेफ सिटी परियोजना के अंतर्गत लखनऊ शहर में 45 पिंक बूथ, 18 पिंक शौचालय तथा 660 स्ट्रीट लाइट का लोकार्पण महिला दिवस 8 मार्च 2021 को किया गया. सेफ सिटी परियोजना के अंतर्गत विमेन पावर लाइन की साइबर सेल को भी सशक्त किया गया है. अखिलेश यादव, कोरी ट्विटरबाजी की बजाय कुछ पढ़ते भी रहते तो शायद जनता के बीच हंसी के पात्र नहीं बनते. महिलाओं की सुरक्षा को लेकर योगी सरकार की संवेदनशीलता जनता जानती है और इस संबंध में उनके प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है.
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