धनबाद के अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीएम) सुरेंद्र कुमार
धनबाद के एसडीएम सुरेंद्र कुमार एक बार फिर से विवादों में हैं। इस बार उन पर शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन करने वाली छात्राओं को पिटवाने का आरोप है। इससे पहले उन पर सरकारी जमीन कब्जवाने और अवैध रूप से बालू का खनन करवाने जैसे आरोप लगे हैं।
रितेश कश्यप
धनबाद में पिछले दिनों 12वीं कक्षा की छात्राओं पर पुलिस ने लाठी बरसाई थी। इसमें मुख्य भूमिका है धनबाद के अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीएम) सुरेंद्र कुमार की। आरोप है कि सुरेंद्र कुमार ने बिना चेतावनी के छात्राओं पर लाठी चलवाई। दूसरे दिन जब इस घटना का विरोध करने के लिए भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे तो उन्हें भी पुलिस ने पीटा। भाजयुमो के कार्यकर्ता अभिषेक सिंह गंभीर रूप से घायल हुए हैं, उनका सिर फट गया है। बता दें कि पिछले दिनों 12वीं की परीक्षा का परिणाम जारी हुआ था। कोरोना के कारण परीक्षा नहीं हुई थी। इसके बावजूद हजारों छात्र फेल हुए हैं। इसलिए छात्रों ने इस मांग के साथ प्रदर्शन शुरू किया था कि सरकार बताए कि किस आधार पर उन्हें फेल किया गया है। इसी दौरान एसडीएम सुरेंद्र कुमार ने उन छात्रों को पुलिस से पिटवाया और उन्होंने खुद भी कई छात्राओं को पीटा।
इस घटना के बाद पूरे राज्य में सरकार के खिलाफ आक्रोश देखने को मिला। जब मामला हाथ से जाता दिखाई दिया तो धनबाद के प्रभारी मंत्री बन्ना गुप्ता के निर्देश पर धनबाद के उपायुक्त संदीप सिंह ने जांच समिति बनाई। यानी इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। आरोप है कि यह सब सुरेंद्र कुमार को बचाने के लिए किया गया है। उल्लेखनीय है कि सुरेंद्र कुमार के खिलाफ पहले भी कई शिकायतें मिली हैं और उनकी जांच भी हुई है, लेकिन सब में वे बच निकले हैं। कुछ समय पहले उन पर जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों से अवैध वसूली के आरोप लगे थे। उस वक्त भी सरकार के निर्देश पर तत्कालीन उपायुक्त उमाशंकर सिंह ने धनबाद के एडीएम विधि व्यवस्था चंदन कुमार से जांच करवाई थी। सरकार को इसकी जांच रिपोर्ट भी भेजी गई थी। लेकिन उनका यहां से स्थानांतरण कर दिया गया। ऐसा कहा जाता है कि इसके बाद जब कार्रवाई की बारी आई तो जांच रिपोर्ट भी दबा दी गई।
एसडीएम सुरेन्द्र से जुड़ा एक और मामला बोकारो के जरीडीह से जुड़ा है। वहां जब वे अंचल अधिकारी थे तब उन पर सरकारी जमीन पर कब्जा करवाने का आरोप लगा था। यह मामला भी काफी गर्म हुआ था। तत्कालीन उपायुक्त ने जांच कराने के आदेश दिए थे, लेकिन उसकी रिपोर्ट कहां है और उसमें क्या लिखा गया है, इसकी जानकारी किसी को नहीं है। चर्चा है कि उस मामले को भी सुरेंद्र कुमार दबाने में सफल रहे हैं।
सराय ढेला निवासी डीके सिंह ने भी सुरेंद्र कुमार के ऊपर बालू के अवैध कारोबार कराने का आरोप लगाया था। इसकी भी जांच हुई थी। अब वह मामला कहां तक पहुंचा है, इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं है।
इस लिहाज से देखा जाए तो विवादों और सरकारी जांच से एसडीएम सुरेंद्र कुमार का नाता बहुत पुराना है। उनसे जुड़ी किसी भी जांच की अंतिम कार्रवाई स्थानांतरण तक ही सीमित रह जाती है। एक बार स्थानांतरण हो गया उसके बाद मामला वहीं दबा दिया जाता है।
इसलिए लोग कहते हैं कि सुरेंद्र कुमार पर राज्य सरकार का आशीर्वाद है। ऐसा नहीं होता तो इतने आरोपों के बाद भी वे बच नहीं सकते थे।
अब यह देखना है कि धनबाद में छात्राओं को पिटवाने वाले सुरेंद्र कुमार के विरुद्ध क्या कार्रवाई होती है।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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