पाकिस्तान में मजहबी उन्मादी छोटी सी बात पर अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों पर ईशनिंदा कानून के तहत मामले दर्ज कराते आ रहे हैं, जिसकी सजा मौत है। अब तक कई 'दोषियों' को इस आरोप में मौत की सजा सुनाई जा चुकी है। दुनियाभर में बच्चे के विरुद्ध ईशनिंदा कानून लगाने का हो रहा विरोध
कट्टर इस्लामी देश पाकिस्तान में इंसानियत किसे कहते हैं, इसकी शायद मिसाल मिलनी मुश्किल हो, लेकिन हैवानियत हर जगह नजर आ जाएगी। वहां रहीमयार खाने के उस आठ साल के हिन्दू बच्चे को लेकर मजहबी उन्मादी तलवारें खींचे हुए हैं जिसके कथित तौर पर एक मदरसे में पेशाब कर दिया था। हालांकि अदालत ने तो उसे बच्चा होने की वजह से होशियार करके छोड़ दिया था, जिसके विरुद्ध मजहबियों ने लामबंद होकर भोंग के गणेश मंदिर को तोड़ा था। लेकिन ताजा समाचार के अनुसार अब उस बच्चे पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया है। पाकिस्तान के कानून के तहत ईशनिंदा कानून के तहत उसे 'मौत' की सजा दी जा सकती है। इस बात की जैसे ही खबर फैली, दुनियाभर में इसका विरोध होने लगा।
डेली मेल लिखता है कि 'आठ साल के इस बच्चे के नाम का खुलासा नहीं हुआ है। उसने मदरसे की लाइब्रेरी में पेशाब कर दिया था, जिसके बाद उसे गिरफ्तार किया गया। भीड़ ने बच्चे पर ईशनिंदा का आरोप लगाया। पाकिस्तान में इसे लेकर कानून है, जिसके तहत मौत की सजा दी जाती है। इससे पहले भी पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून के तहत कई मामले देखने में आए हैं, जिनमें भीड़ ने हिंसा फैलाई और घातक हमले किए।'
हिंदू समुदाय में डर
ब्रिटेन का दैनिक द गार्जियन ने लिखा कि बच्चे के परिवार के एक व्यक्ति ने पहचान ना बताने की शर्त पर कहा है, ‘बच्चे को ईशनिंदा के बारे में भी नहीं पता कि ये होता क्या है। उसे गलत तरह से इस प्रकरण में उलझाया जा रहा है। वह समझ ही नहीं पा रहा है कि उसने क्या जुर्म किया है। क्यों उसे एक हफ्ते तक जेल में रखा गया।' वे कहते हैं, 'हमने अपनी दुकान छोड़ दी, काम छोड़ दिया है। पूरा हिन्दू समुदाय बहुत डरा हुआ है। अब हम उस इलाके में नहीं लौटना चाहते। हमें यकीन नहीं है कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कुछ कदम उठाया जाएगा या अपराधियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाएगी।'
द गार्जियन को बच्चे के परिवार के एक व्यक्ति ने पहचान ना बताने की शर्त पर बताया, ‘बच्चे को ईशनिंदा के बारे में भी नहीं पता कि ये होता क्या है। उसे गलत तरह से इस प्रकरण में उलझाया जा रहा है। वह समझ ही नहीं पा रहा है कि उसने क्या जुर्म किया है। क्यों उसे एक हफ्ते तक जेल में रखा गया।' वे कहते हैं, 'हमने अपनी दुकान छोड़ दी, काम छोड़ दिया है। पूरा हिन्दू समुदाय बहुत डरा हुआ है। अब हम उस इलाके में नहीं लौटना चाहते। हमें यकीन नहीं है कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कुछ कदम उठाया जाएगा या अपराधियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाएगी।'
इस प्रकरण को लेकर दुनियाभर के सामाजिक एक्टिविस्ट और कानून के जानकार हैरान हैं। उनका कहना है कि बच्चे के खिलाफ दर्ज ईशनिंदा के आरोप गलत हैं। इससे पहले इतनी छोटी उम्र के किसी बच्चे पर ईशनिंदा का आरोप नहीं लगाया गया है। पाकिस्तान के ईशनिंदा कानून को लेकर अनेक मानावाधिकार संगठन विरोेध करते आ रहे हैं। इस मुस्लिम बहुल देश में पांथिक अल्पसंख्यकों के विरुद्ध इस कानून का ज्यादातर गलत इस्तेमाल होता आया है। अदालत इस कानून के तहत 'दोषी' साबित हुए कुछ लोगों को मौत की सजा सुना तो चुकी है, लेकिन अभी तक किसी को फांसी दी नहीं गई है।
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