कोरोना के कारण किसी बच्चे के सर से उसके माता – पिता का साया छिन गया हो या किसी अन्य कारण से कोई बालक बेसहारा है. ऐसे सभी बच्चों को शिक्षा के लिए उत्तर प्रदेश सरकार 'बाल सेवा योजना' के अंतर्गत हर महीने ढाई हजार रूपये की आर्थिक मदद देगी. मंत्रिमंडल की कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (सामान्य) के अन्तर्गत आर्थिक सहयोग प्रदान करने के प्रस्ताव को अनुमोदित किया गया. इस योजना का लाभ 18 साल से 23 साल के छात्र – छात्राओं को मिलेगा.
योजना के अंतर्गत 18 वर्ष से कम आयु के ऐसे किशोर, जिन्होंने कोविड-19 से या अन्य कारणों से अपने माता-पिता दोनों या दोनों में से किसी एक को खो दिया है या अभिभावक को खो दिया है अथवा जिनकी माता तलाकशुदा स्त्री या परित्यक्ता हैं. या फिर जिनके माता-पिता या परिवार का मुख्यकर्ता जेल में है. अथवा ऐसे बच्चे जिन्हें बाल श्रम, बाल भिक्षावृत्ति से मुक्त कराकर परिवार एवं पारिवारिक वातावरण में समायोजित कराया गया हो. ऐसे किशोर जो कक्षा-12 तक शिक्षा पूरी करने के बाद राजकीय महाविद्यालय, विश्वविद्यालय अथवा तकनीकी संस्थान से स्नातक डिग्री अथवा डिप्लोमा प्राप्त करने के लिए पढ़ाई कर रहे हों या वो किशोर जो नीट, जेईई, क्लैट जैसे राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षाएं उत्तीर्ण करने वाले हों. उन्हें ढाई हजार रूपये प्रतिमाह की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी.
इस योजना का लाभ एक परिवार के अधिकतम दो बच्चों को मिल सकेगा , कक्षा 12 तक शिक्षा पूरी करने के बाद भी राजकीय महाविद्यालय, विश्वविद्यालय अथवा तकनीकी संस्थान से स्नातक डिग्री अथवा डिप्लोमा प्राप्त करने जैसे राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षायें उत्तीर्ण करने वाले मेधावी छात्रों को 23 वर्ष की आयु पूरी होने या स्नातक शिक्षा अथवा मान्यता प्राप्त तकनीकी संस्थान से डिप्लोमा प्राप्त करने में जो भी पहले हो तक इस योजना के अंतर्गत लाभ दिया जायेगा.
योजना के अन्तर्गत पात्रता की श्रेणी में आने वाले परिवार के अधिकतम दो बच्चों को प्रतिमाह प्रति बालक/बालिका ढाई हजार रुपये की सहायता धनराशि प्रदान की जायेगी. यह योजना पूरी तरह राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित है.
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