भारत-चीन सैन्य कमांडर वार्ता (फाइल चित्र)
मोल्डो में दो दिन पहले भारत और चीन के सैन्य कमांडरों की बैठक में भारत की ओर से मई 2020 से पहले की स्थिति बहाल करने पर जोर दिया गया
दो दिन पहले दिनभर चली भारत एवं चीन के सैन्य कमांडरों की बैठक में भारत ने अपना दृढ़ मत दर्शाते हुए चीनी पीएलए को सीमा पर हॉट स्प्रिंग, देप्सांग और गोगरा से सैनिक पीछे हटाने को कहा। दोनों पक्षों के कमांडरों के बीच यह वार्ता करीब 9 घंटे तक चली।
सीमा पर तनाव कम करने के एजेंडे को लेकर हुई इस वार्ता के दौरान भारत ने चीन से साफ-साफ कहा कि उसे हॉट स्प्रिंग, देप्सांग और गोगरा क्षेत्र में मोर्चा संभाले उसके सैनिक तुरंत पीछे हटाने होंगे। साथ ही चीन को मई 2020 से पूर्व की स्थिति बहाल करनी होगी। दोनों पक्षों के बीच सैन्य कमांडरों की यह 12वीं वार्ता थी। भारत की तरफ से दल का नेतृत्व किया 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पी.जी.के. मेनन ने। उनके साथ विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल रहे। चीन की ओर से मेजर जनरल स्तर का अधिकारी बैठक में सम्मिलित हुआ था।
सैन्य सूत्रों के हवाले से पता चला है कि तय कार्यक्रम के अनुसार यह बैठक सुबह 10.30 बजे मोल्डो में शुरू हुई थी और शाम साढ़े सात बजे खत्म हुई।
फरवरी 2021 में पेंगोंग त्सो और कुछ अन्य स्थानों से दोनों पक्षों के सैनिक पीछे हटे थे लेकिन अब भी एलएसी पर कई जगहों पर टकराव के हालात बने हुए हैं। तनाव की वजह है हॉट स्प्रिंग्स, देप्सांग और गोगरा में चीनी सैनिकों की मौजूदगी। सैन्य कमांडरों की इस बैठक में भारत ने इन्हीं तीन स्थानों से चीनी सैनिकों के पीछे हटने पर जोर दिया गया।
हालांकि फरवरी 2021 में पेंगोंग त्सो और कुछ अन्य स्थानों से दोनों पक्षों के सैनिक पीछे हटे थे लेकिन अब भी एलएसी पर कई जगहों पर टकराव के हालात बने हुए हैं। तनाव की वजह है हॉट स्प्रिंग्स, देप्सांग और गोगरा में चीनी सैनिकों की मौजूदगी। सैन्य कमांडरों की इस बैठक में भारत ने इन्हीं तीन स्थानों से चीनी सैनिकों के पीछे हटने पर जोर दिया गया। भारत ने बार-बार यह कहा है कि चीन उस क्षेत्र में मई 2020 से पूर्व की स्थिति बहाल करे। यह सैन्य बैठक करीब चार महीने के बाद हुई थी।
Follow Us on Telegram
भारत ने हर महीने एक बैठक करने की बात कही थी, परन्तु चीन की ओर से फैसला लेने में संभवत: जानबूझकर देर की जाती रही थी। विदेश मंत्री जयशंकर अभी पिछले दिनों एससीओ बैठक के मौके पर चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मिले थे और उनको इस बारे में बताया भी था। दोनों विदेश मंत्रियों की वार्ता के करीब दो हफ्ते बाद यह बैठक संपन्न हुई थी। चीन के रवैए को देखते हुए विशेषज्ञों को नहीं लगता कि चीन जल्दी ही कोई सकारात्मक कदम उठाएगा।
टिप्पणियाँ