कोरोना की पहली और दूसरी लहर पर नियंत्रण प्राप्त करने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार किसी भी तरह का खतरा मोल लेना नहीं चाहती है, सो, इस बार उत्तर प्रदेश में मोहर्रम का जुलूस नहीं निकलेगा. उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल ने इस सम्बन्ध में सभी जनपदों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए हैं. गाइडलाइन के अनुसार, इस बार किसी भी प्रकार का जुलूस एवं ताजिया नहीं निकलेगा. कर्बला पर भी किसी प्रकार की भीड़ एकत्र नहीं होगी.
पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल द्वारा जारी दिशा – निर्देश में कहा गया है कि मोहर्रम के अवसर पर शिया समुदाय के लोगों द्वारा तबर्रा पढ़े जाने पर सुन्नी समुदाय (देवबंदी एवं अहले हदीस) द्वारा कड़ी आपत्ति व्यक्त की जाती है. वो लोग इसके जवाब में ‘मदहे सहाबा’ पढ़ते हैं.
इस पर शियाओं की ओर से आपत्ति की जाती है. शिया समुदाय के कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा सार्वजनिक स्थानों, पतंगों एवं आवारा पशुओं पर तबर्रा लिखा जाता है. उधर देवबंदी / अहले हदीस फिरकों के सुन्नियों के असामाजिक तत्वों द्वारा इन्हीं तरीकों से अपने खलीफाओं का नाम लिखकर प्रदर्शित किया जाता है. ऐसा करने पर शिया और सुन्नी के मध्य विवाद संभावित रहता है.
मोहर्रम के अवसर पर मुस्लिम समुदाय के शिया एवं बहुसंख्यक सुन्नी मुसलमानों (सूफी, बरेलवी एवं हन्फी आदि) द्वारा शोक व्यक्त किया जाता है और ताजिया निकाला जाता है. कट्टरपंथी विचारधारा वाले देवबंदी एवं अहले हदीस मत के सुन्नियों द्वारा ताजियेदारी का कड़ा विरोध किए जाने से यह अतिसंवेदनशील अवसर है.
मोहर्रम साम्प्रदायिक दृष्टिकोण से अति संवेदनशील है. ऐसे अवसर पर धार्मिक भावनाओं से ओत-प्रोत होकर लोग मुखर हो जाते हैं. प्रदेश के हिंदू एवं मुस्लिम समुदायों के कट्टरवादी एवं असहिष्णु तत्व इन दोनों संप्रदायों के मध्य किसी भी छोटी-बड़ी घटना को तूल देकर अप्रत्याशित रूप से विवाद एवं टकराव की विषम स्थिति उत्पन्न कर सकते हैं. पुराने लंबित धार्मिक एवं सांप्रदायिक प्रकरणों तथा ऐसे नए उठने वाले विवादों, अपरंपरागत धार्मिक जुलूस, गोवंश वध आदि घटनाओं को लेकर पूर्व में अनेक अवसरों पर सांप्रदायिक सद्भाव प्रभावित होता रहा है. इसके लिए विशेष सतर्कता अपेक्षित है.
मोहर्रम के अवसर पर असामाजिक तत्वों के विरुद्ध कदम उठाना तथा सांप्रदायिक स्वरूप की घटनाओं के संबंध में समय रहते प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित किया जाना अत्यंत आवश्यक होगा. मोहर्रम के अवसर पर असामाजिक तत्व, कट्टरपंथियों एवं अराजक तत्वों द्वारा कुत्सित उद्देश्यों की पूर्ति हेतु कानून-व्यवस्था को प्रभावित करने वाली घटनाओं की संभावना सतत रूप से बनी रहती है. ऐसी परिस्थितियों में छोटी सी घटना भी गंभीर हो सकती है. अतः निरंतर विशेष सतर्कता अपेक्षित है. ऐसे मौके पर कोविड-19 की गाइडलइन का पालन किया जाना अत्यन्त आवश्यक है.
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