प्रदीप सरदाना
आमिर खान की हालिया तलाकशुदा पत्नी किरण राव को 2015 में अपने लिए, अपने बच्चे के लिए अपने आसपास के माहौल से डर लगता था, ऐसा आमिर ने ही मीडिया के सामने कहा था। अब सवाल यह है कि किरण उस वक्त वाकई किस माहौल के बारे में सोच रही थीं – देश के माहौल या अपने घर के माहौल के बारे में
क्या मिलिए ऐसे लोगों से, जिनकी फितरत छुपी रहे, नकली चेहरा सामने आए, असली सूरत छुपी रहे। दिलदारी का ढोंग रचा कर, जाल बिछाये बातों का,जीते जी का रिश्ता कहकर, सुख ढूंढे कुछ रातों का, रूह की हसरत लब पर आए, जिस्म की हसरत छुपी रहे। जिनकी आधी नीयत उभरे, आधी नीयत छुपी रहे।
जब से आमिर खान ने अपनी दूसरी पत्नी किरण राव को तलाक देने की घोषणा की है, मुझे फिल्म ‘इज्जत’ के उपरोक्त गीत की ये पंक्तियां बार-बार याद आ रही हैं। ये पंक्तियां आमिर खान पर एक दम सटीक बैठती हैं।
यूं किसी का किसी से शादी करने या तलाक लेने का मामला व्यक्तिगत है। लेकिन आमिर ने खुद ही अपने इस तलाक को सार्वजनिक करके, अपनी बेहतर छवि बनाने का प्रयास किया है। यह बात अलग है कि इस मामले से उनकी छवि बेहतर होने की जगह धूमिल हो गई। उनके नकली चेहरे के पीछे छिपा असली चेहरा सामने आ गया है।
गत 3 जुलाई को सुबह मेरे व्हाट्सएप पर जब आमिर खान और किरण राव के ‘संयुक्त बयान’ के रूप में, उनके तलाक लेने का संदेश आया, तो वह चौंकाने वाला था। पहला तो इसीलिए कि आमिर ने अपनी पहली पत्नी रीना दत्त को तलाक देकर करीब 15 साल पहले ही किरण राव से दूसरी शादी की थी। आमिर और किरण दोनों ही एक-दूसरे के प्रति अपना प्रेम और चिंता व्यक्त करते रहते थे। लेकिन अब अचानक ऐसा क्या हुआ कि आमिर ने किरण को तलाक दे दिया ?
आमिर-किरण के तलाक पर आश्चर्य इसलिए भी होता है कि इन ‘दोनों’ ने तलाक को लेकर अपना जो वक्तव्य दिया है, वह बेहद अटपटा और भ्रामक है। मानो तलाक न हो, बस किसी कंपनी में कोई अध्यक्ष से प्रबंध निदेशक बन गया हो या निदेशक से सह निदेशक।
वे कहते हैं- ‘‘अपनी शादी के इन पिछले 15 सुंदर बरसों में साथ रहते हुए हमने जीवन भर के अनुभव और खुशी साझा की है। इन बरसों में हमारा एक-दूसरे के प्रति प्रेम और सम्मान बढ़ा है। लेकिन अब हम अपने जीवन में एक नया अध्याय आरंभ करने जा रहे हैं। पति-पत्नी के रूप में नहीं बल्कि माता-पिता और परिवार के रूप में। हमने कुछ समय पहले सोच-समझ कर अलग होने का फैसला लिया था। अब इस संबंध में औपचारिक रूप से बताने में सहज हैं। फिर भी हम अपनी जिंदगी को ऐसे साझा करेंगे जैसे एक विस्तृत परिवार करता है। हम अपने बेटे आजाद की मिलकर परवरिश करेंगे। साथ ही फिल्मों, पानी फाउंडेशन और अन्य परियोजनाओं पर भी मिलकर काम करते रहेंगे। आप इस तलाक को एक अंत के रूप में नहीं, एक नयी शुरुआत के रूप में देखें।’’
तलाक का दर्द तुम क्या जानो आमिर बाबू
इस पूरे वक्तव्य में तलाक के दर्द का रत्ती भर अहसास नहीं है। ठीक है, आमिर के लिए यह साधारण-सी बात हो सकती है। लेकिन क्या कोई पत्नी अपने पति से तलाक लेकर इतनी सहजता से अलग हो सकती है। दो लोग किसी कार्यालय में भी साल भर साथ काम करके दोस्त बन जाने पर अलग होते हैं तो दिल में टीस उभरती है। लेकिन यहां तो तलाक जैसे भीषण दर्द को आमिर ने मजाक बनाकर रख दिया। सच- ‘‘तलाक का दर्द तुम क्या जानो आमिर बाबू।‘’ तुम्हारे लिए तो यह खेल है।
हाँ! आमिर के इस वक्तव्य में किरण की कितनी सहमति है कितनी नहीं, यह तो नहीं कहा जा सकता। फिर यह भी कि तलाक के इस घोषणा के बाद अगले दिन 4 जुलाई को आमिर-किरण का एक वीडियो भी वायरल हुआ जिसमें दोनों साथ बैठे हैं। आमिर उसमें कह रहे हैं कि तलाक के बाद हम खुश हैं। हमारे लिए दुआ कीजिए। लेकिन उस वीडियो में भी आमिर ही बोल रहे हैं, किरण नहीं। किरण चाहे उस वीडियो में एक-दो जगह हल्का सिर हिलाकर आमिर को समर्थन-सा देती तो प्रतीत होती हैं। लेकिन आमिर उस वीडियो में भी जहां बहुत सहज, खुश और मस्त दिख रहे हैं, वहां किरण का चेहरा जगजीत सिंह की गजल ‘‘तुम इतना जो मुस्करा रहे हो, क्या गम है जिसको छिपा रहे हो’’ की स्थिति बयान करता है।
इस वीडियो में किरण के हाव-भाव से साफ समझा जा सकता है कि वह कितनी असहज, कितनी घबराई और डरी-सी है। किसी विवशता के चलते किरण,आमिर के साथ जैसे-तैसे बैठी तो हैं। एक-दो जगह किरण के होंठ कुछ बोलने के लिए हिलते भी हैं लेकिन वे बोल नहीं पातीं। मुझे लगता है यहां किरण जरा भी कुछ बोलतीं तो फफक उठतीं, रो पड़तीं।
असल में आमिर इस तलाक को जितना सहज और किरण के साथ रजामंदी से लिया तलाक दिखाने का विफल प्रयास कर रहे हैं, उतना सहज यह कतई नहीं है। आमिर के लिए यह सहज हो सकता है क्योंकि उन्हें इस अलगाव, इस तलाक से कुछ फर्क नहीं पड़ता। आमिर ने तो 2002 में भी अपनी पहली पत्नी रीना दत्ता को भी ऐसे ही मुस्कराते तलाक दे दिया था। जबकि उस समय रीना सिर्फ 34 साल की थीं। आमिर ने तो रीना से तलाक के तुरंत बाद किरण से दोस्ती कर ली। 2005 में किरण से शादी भी कर ली। एक के बाद एक फिल्म करके करोड़ों रुपये और प्रसिद्धि भी अर्जित करते रहे। लेकिन रीना ने इतने बरस आमिर और अपने बच्चों की परवरिश में ही खपा दिये। सुंदर, खिलखिलाती रीना आज किस स्थिति में हैं, इस बात का अंदाज उनकी हालिया तस्वीर देखकर भी लगाया जा सकता है।
शादियां हैं या 16-16 साल के अनुबंध
रीना के बाद अब आमिर ने किरण को भी तलाक देने में देर नहीं लगाई। जैसे आमिर ने शादी के 16 साल बाद रीना को तलाक दिया, वैसे ही किरण को भी शादी के 16 साल बाद तलाक दे दिया। क्या यह महज संयोग है कि रीना से भी आमिर का दिल 16 साल बाद ऊबा और किरण भी 16 साल बाद उनके दिल से उतर गई? या यह कुछ सुनियोजित था या कोई अनुबंध कि 16 साल के बाद ही पत्नी को तलाक दे घर से बाहर निकाल देना है। मगर यह नाटक और ढोंग भी बनाए रखना है कि ‘‘इस तलाक को अंत के रूप में नहीं, एक नए सफर की शुरुआत के रूप में देखें। हम खुश हैं, हम दोस्त बने रहेंगे। साथ काम करते रहेंगे।’’ वाह क्या बात है,
तालियां। किसने लिखे ये संवाद?
सबसे बड़ा सवाल यही है कि आप इतने खुश हैं, माता-पिता भी बने रहेंगे, साथ काम भी करते रहेंगे। तो आप पति-पत्नी के रूप में साथ क्यों नहीं रहना चाहते? आप तलाक देने के साथ ऐसे घटिया संवाद बोलकर क्या दिखाना चाहते हैं? ये रीना और किरण आमिर के साथ 16-16 साल रहकर उसे कितना समझीं, कितना नहीं, ये तो वे ही जानें। लेकिन हम आमिर को, उसकी असलियत को अच्छे से समझ चुके हैं। उनके दांत दिखाने के और खाने के और हैं। आमिर उनमें से हैं जिनके लिए कहा गया है- ‘‘जब भी जी चाहे, नयी दुनिया बसा लेते हैं लोग, एक चेहरे पर कई चेहरे लगा लेते हैं लोग।‘’
पांच साल पहले भी दिखा था यह नकली चेहरा
आमिर के इस नकली चेहरे का नकाब तब भी उतरा था जब 24 नवंबर, 2015 को ‘रामनाथ गोयनका पुरस्कार’ कार्यक्रम के दौरान अनंत गोयनका के साथ अपनी बातचीत में आमिर ने अपने ही देश को बदनाम करने की कोशिश की थी। तब आमिर को अपनी इन्हीं पत्नी किरण के साथ इतनी हमदर्दी और इतनी चिंता थी कि उन्हें अपने इस देश से ही डर लगने लगा था। इतना डर कि देश छोड़ने की बात हो रही थी।
यही देश जिसने एक साधारण और छोटे कद वाले आमिर को करोड़ों की कमाई कराके अमीर बनाया। उसे इतना बड़ा बनाया, इतनी लोकप्रियता दिलाई, पद्मश्री और पद्मभूषण जैसे बड़े प्रतिष्ठित सम्मान दिलाये। यहां तक कि उस समय आमिर देश के लिए ‘अतुल्य भारत’ के दूत बनकर ‘अतिथि देवो भव:’ का विज्ञापन कर रहे थे। लेकिन तब आमिर को अपने इसी गौरवशाली देश को बदनाम करने में जरा भी हिचक नहीं आई। अब दूसरा आश्चर्य यह कि तब जिस किरण के दर्द में आमिर कुम्हलाए जा रहे थे, देश छोड़ने की बात कर रहे थे, अब एक झटके में उसी किरण को ही छोड़ दिया। यूं ‘सत्यमेव जयते’ जैसे अपने टीवी शो में महिलाओं और बच्चों की दुर्दशा देख उनके घड़ियाली आंसू निकाल पड़ते थे।
देखा जाए तो यहां भी दो सवाल बनते हैं। पहला यह कि देश को बदनाम करने के लिए तब क्या आमिर ने किरण के कंधे पर बंदूक रखकर गोली चलाई थी। या फिर यह कि किरण को देश से नहीं, आमिर से डर लगता था। क्योंकि तब आमिर ने कहा था -‘पिछले 6-8 महीने से किरण के मन में असुरक्षा की भावना बढ़ी है। उन्हें अपने बच्चे के लिए डर लगता है। उन्हें अपने आसपास के माहौल से डर लगता है।’ जाहिर है एक पत्नी में अपने और अपने बेटे के प्रति असुरक्षा की ऐसी भावना तभी आ सकती है, जब उसका पति उसे छोड़ने की बात करे। देश से इतना डर था तो किरण या आमिर ने अभी तक यह देश छोड़ा क्यों नहीं? किरण को असली डर तो आमिर से ही था! किरण बखूबी जानती थीं कि आमिर उसे तलाक देकर उसकी जिंदगी में अंधेरा भर देगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक हैं)
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