एक कश्मीरी पंडित परिवार ने पूरे विधि विधान से कश्मीर स्थित श्रीनगर से लगभग 20 किमी दूर बलहामा में अपने पैतृक गांव में एक मकान की नींव रखी। ऐसे में खुद के परिश्रम से बन रहा यह घर न केवल घाटी के माहौल को बता रहा है बल्कि अनुच्छेद 370 के हटने के बाद कश्मीर में कैसे स्थितियां बदली हैं, उसे भी बताने के लिए काफी है।
एक कश्मीरी पंडित परिवार ने पूरे विधि विधान से कश्मीर स्थित श्रीनगर से लगभग 20 किमी दूर बलहामा में अपने पैतृक गांव में एक मकान की नींव रखी। ऐसे में खुद के परिश्रम से बन रहा यह घर न केवल घाटी के माहौल को बता रहा है बल्कि अनुच्छेद 370 के हटने के बाद कश्मीर में कैसे स्थितियां बदली हैं, उसे भी बताने के लिए काफी है। जियोलाजी एंड माइनिंग विभाग में कार्यरत काका जी बट ने बलहामा में वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच अपने घर की नींव रखी। इस दौरान आस—पास के मुस्लिम परिवार भी उपस्थित थे।
नहीं बेची पैतृक संपत्ति
घाटी में विपरीत परिस्थितियां रही पर काका जी ने अपनी पैतृक संपत्ति नहीं बेची। इस सबके बावजूद उन्होंने बलहामा से अपना नाता बनाए रखा। इस दौरान इस परिवार के अधिकतर सदस्य पलायन को मजबूर हुए। काम—धाम चौपट हुआ। पर उनका नाता घाटी से बरकरार रहा। अब उन्होंने अपने पुराने मकान के स्थान पर नया मकान बनाना शुरू किया है।
बनेंगे 2744 फ्लैट
कश्मीर में पांच जिलों में विस्थापित कश्मीरी हिन्दुओं के रहने के लिए 2744 आवासीय फ्लैट बनेंगे। इन फ्लैट के निर्माण के लिए प्रदेश प्रशासनिक परिषद ने 278 कनाल जमीन आपदा प्रबंधन, राहत, पुनर्वास एवं पुनर्निमाण विभाग को स्थानांतरित करने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है। यह आवासीय सुविधा प्रधानमंत्री विकास पैकेज—2015 के तहत कश्मीरी विस्थापित कर्मियों के लिए होगी।
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