रांची में पुलिस गिरफ्त में आरोपी
—रितेश कश्यप
झारखंड में इन दिनों एक खबर चल रही है कि राज्य सरकार को गिराने के लिए कुछ लोग षड्यंत्र रच रहे हैं। इस आरोप में जिन तीन लोगों को गिरफ्तार किेया गया है, उनमें से एक मजूदर है, दूसरा फल बेचता है और तीसरा बेरोजगार है। अब सवाल उठता है कि इस तरह के लोग किसी सरकार को गिरा सकते हैं! इसलिए लोग यह कह रहे हैं कि यह शरारत राज्य सरकार की ही है और इसका उद्देश्य है अपनी विफलताओं पर पर्दा डालन
क्या किसी सरकार को गिराने और बनाने का काम नेता के अलावा और कोई कर सकता है! इसका उत्तर निश्चित रूप से नहीं होगा। लेकिन झारखंड में जिन तीन लोगों को राज्य सरकार को गिराने के षड्यंत्र रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, उनमें से एक मजदूर है, दूसरा छोटा—मोटा काम करता है और तीसरा बेरोजगार है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों बोकारो के अमित सिंह और निवारण प्रसाद महतो एवं रांची के अभिषेक दुबे को गिरफ्तार किया गया है। अमित सिंह ठेका मजदूर है, निवारण फल बेचता है और अभिषेक इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बावजूद बेरोजगार है।
पुलिस का कहना है कि ये लोग भाजपा नेताओं के इशारे पर राज्य सरकार में शामिल कांग्रेस के कुछ विधायकों की खरीद—फरोख्त में लगे थे। पुलिस ने यह भी बताया है कि इनके पास से 2,00,000 रु. भी मिले हैं।
वहीं पकड़े गए आरोपियों के परिजनों का कहना है कि दो लोगों को झारखंड पुलिस ने बोकारो से उठाया था। इसके बाद उन्हें रांची लाया गया। यहां उन्हें एक होटल में रखा गया और उसी होटल से एक व्यक्ति ने फोन करके तीसरे को बुलाया। इसके बाद इनके पहुंचते ही पुलिस ने छापेमारी कर गिरफ्तार कर लिया। परिजनों के अनुसार जब वे रांची आए तो उन्हें पता चला कि दोनों लोगों को सरकार गिराने की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। इस पर उनका कहना है कि रोज कमाने-खाने वाले लोग हैं, इनका राजनीति से दूर-दूर तक लेना-देना नहीं है। ऐसे में ये सरकार गिराने की साजिश कैसे रच सकते हैं? परिजनों ने रांची की कोतवाली पुलिस से मिलकर अपनी बात रखनी चाही, लेकिन पुलिस ने उनकी एक नहीं सुनी।
उल्लेखनीय है कि बेरमो के विधायक अनूप सिंह ने रांची के कोतवाली थाने में 22 जुलाई को आवेदन देते हुए कहा था कि हेमंत सरकार को गिराने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। कुछ लोग कांग्रेस के विधायकों से संपर्क करने की कोशिश में लगे हुए हैं।
वहीं दूसरी ओर भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने पलटवार करते हुए झारखंड पुलिस पर झारखंड सरकार की टूल किट के रूप में काम करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार की तर्ज पर पैसे उगाही करने का एक नया खेल झारखंड सरकार खेल रही है। इसके साथ ही उन्होंने मांग की है कि इस प्रकरण की जांच के लिए उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक एसआईटी का गठन हो।
इस कहानी को फर्जी इसलिए बताया जा रहा है कि क्योंकि इाकी जांच के लिए किसी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को नहीं लगाया गया है, बल्कि इसके लिए एक प्रशिक्षु दारोगा को लगाया गया है। यानी सरकार भी मान रही है कि इस मामले में कुछ भी नहीं है। यदि ऐसा नहीं होता तो सरकार इसकी जांच गंभीरता से किसी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से करवाती, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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