नई सौर ऊर्जा नीति के अंतर्गत उत्तर प्रदेश ने 1,535 मेगावाट के 7,500 करोड़ रूपये के प्रस्ताव को स्वीकार किया हैं. इसे वर्ष 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य है. प्रदेश में 420 मेगावाट क्षमता की 24 सौर पावर परियोजनाएं शुरु हो चुकी हैं. अब सौर ऊर्जा उत्पादन बढ़कर 1,140 मेगावाट हो गया है. सरकार के प्रयास से प्रदेश में 225 मेगावाट क्षमता के सोलर रूफटॉप स्थापित हो चुके हैं
अब ग्रामीण क्षेत्र की सड़कें सोलर स्ट्रीट लाईटों से जगमगाने लगी हैं. पंडित दीनदयाल उपाध्याय सोलर स्ट्रीट लाइट योजना की मदद से 25,569 बाजारों में सोलर स्ट्रीट लाइटें लगाई जा चुकी हैं. इसके अलावा मुख्यमंत्री समग्र ग्राम्य विकास योजना में चयनित राजस्व ग्रामों में 13,791 सोलर स्ट्रीट लाइट संयंत्रों को लगाया गया है. किसानों को लाभ देने के लिये सिंचाई में उपयोगी 19,579 सोलर पम्प लगाए गए हैं. गांव में घर-घर तक 1 लाख 80 हजार सोलर पावर संयंत्रों की स्थापना ने गांव की तस्वीर बदल दी है.
उत्तर प्रदेश के लोग जहां पिछली सरकारों में 4 घंटे विद्युत् आपूर्ति को तरसते थे. वहीं योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद से सौर ऊर्जा की मदद से बिजली संकट से जन-जन को छुटकारा मिल गया है. वाणिज्यिक भवनों में ऊर्जा की बचत के लिये ‘ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता 2018’ लागू हो गई है. सरकार ने जैव ऊर्जा उद्यम प्रोत्साहन नीति के अंतर्गत 2,492 करोड़ रुपये का निजी निवेश आमन्त्रित किया. 720 करोड़ रुपये की लागत की 180 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा उत्पाद इकाइयां स्थापित की गईं. पहली बार प्रदेश में 3,400 सोलर आरओ वाटर संयंत्रों की स्थापना प्राथमिक विद्यालयों में करवाई गई जिससे स्कूली बच्चों को शुद्ध पानी विद्यालय में ही उपलब्ध हुआ.
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