राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा पर अपनी रिपोर्ट कलकत्ता हाइकोर्ट को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो और तीसरी बार पश्चिम—बंगाल की मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने वाली ममता बनर्जी की सरकार पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। खबरों के अनुसार राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पूरे मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की है
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सत्ताधारी दल के लोगों ने विपक्षी पार्टी के सदस्यों को चुन-चुन कर निशाना बनाया, उन पर हमले किए गए। इस दौरान सरकार और प्रशासन मूकदर्शक बना रहा। सरकार की उदासीनता के चलते ही इतने बड़े पैमाने पर पश्चिम बंगाल में हिंसा की घटनाएं हुईं।
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया है कि जो हिंसा की गई वह बदला लेने के लिए की गई। आयोग ने कलकत्ता हाइकोर्ट के पांच जजों की पीठ को रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सत्ताधारी दल के कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने जिस बर्बरता से हिंसा की उसके चलते लोगों को अपना घर छोड़कर पलायन करना पड़ा। बड़ी संख्या में लोगों ने अपना घर छोड़ा और दूसरे राज्यों में जाकर शरण ली। यह रिपोर्ट अलग-अलग जिलों में जाकर पीड़ितों से बातचीत के आधार पर तैयार की गई है। बता दें कि आयोग ने पिछले दिनों कहा था कि पश्चिम बंगाल में लोग बात करने से भी डर रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोगों में कितना भय व्याप्त है।
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि चुनाव बाद न तो सरकार जिम्मेदारी निभाई न ही हिंसा को रोकने की कोई कोशिश की। यहां तक कि हिंसा पीड़ितों की मदद करने का भी कोई प्रयास नहीं किया गया।
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