तुर्की के राष्ट्रपति कार्यालय से जारी इस ट्वीट में एर्दोगन और जिनपिन (प्रकोष्ठ में) के बीच हुई बातचीत की जानकारी दी है
कारोबारी और कूटनीतिक रिश्ते गहराने के साथ ही, उइगरों का विषय उठाकर एर्दोगन ने फिर उजागर किया मुस्लिम जगत का खलीफा बनने का अपना सपना
एक बड़ी दिलचस्प खबर सामने आई है। हुआ यूं है कि खलीफा बनने का सपना पाले बैठे तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिन के साथ फोन पर बात की। इस बातचीत में बताते हैं उन्होंने उइगर मुस्लिमों की चर्चा की। लेकिन एक चीज का बखूबी ध्यान रखा एर्दोगन ने। चीन को तिलमिलाहट न हो, इसलिए एर्दोगन ने ड्रेगन के साथ रिश्तों को और गहरा करने की भी बात की और उसकी संप्रभुता पर भी कोई सवाल नहीं उठाया। इधर एर्दोगन दुनिया भर के तमाम मुसलमानों के खलीफा बनने का सपना पाले हैं तो उधर शी जिनपिन खुद के दुनिया का सबसे बड़ा नेता बनने के। सपनों के इन दोनों सौदागरों की फोन वार्ता में उइगर का मुद्दा ही है जिसका विशेषज्ञ विश्लेषण कर रहे हैं।
राष्ट्रपति एर्दोगन ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिन से इस बातचीत में कहा कि क्यों न चीन में और लोगों की तरह उइगर मुस्लिम भी समान नागरिक के रूप में रहें, शांति और सुकून से रहें। दूसरी ही सांस में उन्होंने यह भी कह दिया कि तुर्की चीन की संप्रभुता की इज्जत करता है।
राष्ट्रपति एर्दोगन ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिन से इस बातचीत में कहा कि क्यों न चीन में और लोगों की तरह उइगर मुस्लिम भी समान नागरिक के रूप में रहें, शांति और सुकून से रहें। दूसरी ही सांस में उन्होंने यह भी कह दिया कि तुर्की चीन की संप्रभुता की इज्जत करता है। एर्दोगन की बेशक यही चाहते थे कि कहीं चीन के राष्ट्रपति उइगर का मुद्दा उठाने पर उनसे नाराज न हो जाएं। एर्दोगन द्वारा जारी बयान देखें तो उससे हिसाब से उन्होंने जिनपिन से दो—तरफा और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी विस्तार से चर्चा की। एर्दोगन के कार्यालय से जारी इस बयान में कहा गया है कि वे उइगरों का चीन के बाकी नागरिकों की तरह सुख—शांति से रहने को बहुत महत्व का विषय मानते हैं। बयान में है कि उन्होंने चीन की संप्रभुता और इस इलाके की अखंडता के मुद्दे पर तुर्की का सम्मानजनक दृष्टिकोण भी सामने रखा।
बयान आगे बताता है कि तुर्की और चीन के बीच कारोबारी और कूटनीतिक रिश्तों की बहुत ज्यादा संभावनाएं हैं। दोनों शीर्ष नेताओं ने ऊर्जा, कारोबार, यातायात और स्वास्थ्य के अलावा कई और क्षेत्रों के संबंध चर्चा की।
उल्लेखनीय है कि तुर्की के राष्ट्रपति शी जिनपिन की ही तरह पड़ोसी देशों के इलाकों को कब्जाने की कोशिशों में लगे रहते हैं। ग्रीस के साथ तुर्की की रस्साकशी चल ही रही है। वह पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत को नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं गंवाना चाहता और इस लिहाज से भी चीन उसके कंधे का इस्तेमाल कर सकता है। क्योंकि चीन भी नहीं चाहता कि भारत आर्थिक रूप से ताकतवर देश बने। वह भारत विरोधी गुट बनाने के लिए पाकिस्तान और चीन के साथ नजदीकी बढ़ा रहा है तो यह आश्चर्य की बात नहीं है।
तुर्की से नाराज हैं उइगर
चीन और तुर्की के बीच पिछले साल हुई प्रत्यर्पण संधि पर सहमति हो चुकी है। लेकिन इससे तुर्की में रह रहे उइगर नाराज हैं। एक अंदाजे के अनुसार, तुर्की में इस वक्त करीब 40 हजार उइगर चीन से अपनी जान बचाने की खातिर रह रहे हैं। चीन तुर्की जैसे ही उन सभी देशों पर उइगरों को वापस चीन भेजने का दबाव बना रहा है जहां उइगर सुकून से रहने को गए हुए हैं।
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