प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने मकान
अरुण कुमार सिंह
झारखंड के खूंटी जिले में तोरपा प्रखंड के रायसमेला गांव की पाहन टोली और पड़ारिया गांव में प्रधानमंत्री योजना के अंतर्गत बने घरों मेें से अनेक को चर्च में बदल दिया गया है। गरीबों के लिए बने इन घरों पर चर्च के लोग कब्जा कर रहे हैं और जो वास्तव में उनके अधिकारी हैं, वे फिर से झोपड़ी में रहने लगे हैं।
अभी भी देश के करोड़ों लोग कच्चे मकान यानी फूस के घरों में रहते हैं। उनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वे अपने लिए एक मकान बना सकें। इस स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे देश में गरीबों के लिए मकान बनवा रहे हैं। अब तक बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, झारखंड आदि राज्यों के करोड़ों लोगों को मकान मिल भी गए हैं। अब इन मकानों पर कन्वर्जन करने वालों की नजर गड़ गई है। इसके दो उदाहरण झारखंड के खूंटी जिले के तोरपा प्रखंड में मिले हैं। इस प्रखंड के रायसमेला गांव की पाहन टोली और पड़ारिया गांव में दो चर्च संचालित हो रहे हैं। ये दोनों चर्च प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत बने मकानों में चल रहे हैं। पाहन टोली वाले चर्च का संबंध विश्ववानी चर्च से है और पंडरिया वाले चर्च का संबंध हेब्रोन चर्च से है। पाहन टोली में जिस घर से चर्च संचालित हो रहा है, वह बुधराम मुंडा का है।
पता चला है कि कुछ समय पहले ही बुधराम ईसाई बना है। वह मजदूरी करके अपने परिवार का पालन—पोषण करता है। कुछ लोगों ने बताया कि कोरोना काल के दौरान ही उसने मोटरसाइकिल खरीदी है। लोग सवाल उठा रहे हैं जिस व्यक्ति का घर मजदूरी किए बिना चल नहीं सकता है, उसके पास मोटरसाइकिल खरीदने का पैसा कहां से आया! इसका जवाब रांची की सामाजिक कार्यकर्ता और चर्च के विरुद्ध आंदोलन चलाने वालीं प्रिया मुंडा इन शब्दों में देती हैं, ''चर्च के लोग लोभ—लालच से भोले—भाले जनजातियों को ईसाई बना कर हमारी सदियों पुरानी संस्कृति को खत्म कर रहे हैं। चूंकि गरीबी इतनी है कि लोग थोड़े से पैसे के लिए बिक जाते हैं और अपने पूर्वजों की आस्था और मान्यताओं को छोड़कर ईसाई बन जाते हैं। यह बहुत ही गंभीर मामला बनता जा रहा है। इस पर रोक लगाने के लिए पूरे समाज को एकजुट होकर काम करना होगा, अन्यथा जनजाति समाज पूरी तरह भारतीयता से कट जाएगा।''
उन्होंने यह भी कहा कि लोभ में आकर ही लोग प्रधानमंत्री आवास योजना से बने मकानों को चर्च के हवाले कर रहे हैं और वे पहले की तरह ही कहीं झोपड़ी में रह रहे हैं। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि ऐसे घरों की जांच अच्छी तरह की जाए और जो लोग इसके दोषी हैं, उन्हें दंड दिया जाए।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले प्रिया मुंडा के नेतृत्व में रायसेमला के ग्रामीणों ने पाहन टोली
में बने अवैध चर्च के विरुद्ध आवाज उठाई थी। इसके बाद वहां रह रहा पादरी भाग गया था और छल से जिस जमीन पर चर्च बना था, उसके मालिक ने चर्च पर ताला लगा दिया था। इसके बाद गांव में चर्च की गतिविधि रुक गई थी। लेकिन चर्च के लोगों ने गांव में जो लोग ईसाई बन चुके हैं, उनके सहयोग से एक बार फिर से अपनी गतिविधियां शुरू कर दी हैं। इसी क्रम में वे लोग प्रधानमंत्री आवास योजना वाले घरों पर कब्जा कर रहे हैं। जब फिर से प्रिया मुंडा ने इन हरकतों का विरोध किया तो कुछ ईसाइयों ने उनकी शिकायत पुलिस से की। इस कारण प्रिया को गत दिनों दिनों पुलिस ने बुलाया और थाने में कई घंटों तक रोक कर रखा।
इसके बावजूद बहुत सारे लोग चर्च के विरोध में आवाज उठा रहे हैं। इसे और गति देने के लिए पिछले दिनों 'उलगुलान आदिवासी सनातन परिषद' का गठन किया गया है। सामाजिक कार्यकर्ता गंगा बेदिया के नेतृत्व में बने इस संस्था ने कन्वर्जन को रोकने और वनवासी संस्कृति को बचाने का संकन्प लिया है। गंगा बेदिया कहते हैं कि जनजाति समाज सनातन समाज का ही अभिन्न अंग है। इसलिए जो लोग इस समाज से दूर चले गए हैं, उन्हें वापस लाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा है कि बाबा साहेब के विचारों को गांव—गांव तक ले जाने से कन्वर्जन बहुत हद तक रुक सकता है।
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