उइगरों पर दमन के खिलाफ लगातार हो रहे हैं प्रदर्शन फाइल चित्र
उइगरों पर दमन के संदर्भ में दुनिया के अनेक लोकतांत्रिक देश बीजिंग को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं
पिछले दिनों एक बार फिर अमेरिका ने अपने यहां की 10 चीनी कंपनियों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उन पर रोक लगा दी है। अमेरिका ने यह कदम चीन में उइगरों के दमन और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों के संदर्भ में लगाई है। लेकिन वाशिंगटन की इस कार्रवाई पर बीजिंग की त्योरियां चढ़ी हुई हैं।
दमन और खंडन
चीन ने गत दिनों कहा है कि वह अमेरिका के इस कदम का उचित जवाब देगा। उल्लेखनीय है कि उइगरों तथा अन्य मुस्लिम समूहों के उत्पीड़न के विरुद्ध अमेरिका ने एक साथ कई चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है। चीन के वाणिज्य मंत्रालय का कहना है कि अमेरिका की यह कार्रवाई चीनी कारोबार, अंतरराष्ट्रीय आर्थिक और व्यापार नियमों के खिलाफ है, उनका गंभीर उल्लंघन करती है। बीजिंग स्थित मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि चीनी कंपनियों के कानूनी अधिकारों और हितों की रक्षा की जाएगी और इसके लिए जो आवश्यक कदम होंगे वे उठाए जाएंगे। हमेशा की तरह, बीजिंग ने अपने पश्चिमी क्षेत्र सिंक्यांग में उइगर मुस्लिमों को यातना शिविरों में रखे जाने और उनसे जबरन काम कराने के तमाम आरोपों का खंडन किया है। इसके अलावा अपनी कंपनियों और अधिकारियों के खिलाफ वीसा पाबंदियों का जवाब देना शुरू कर दिया है।
उइगरों तथा अन्य मुस्लिम समूहों के उत्पीड़न के विरुद्ध अमेरिका ने एक साथ कई चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है। चीन के वाणिज्य मंत्रालय का कहना है कि अमेरिका की यह कार्रवाई चीनी कारोबार तथा अंतरराष्ट्रीय आर्थिक और व्यापार नियमों के खिलाफ है, उनका गंभीर उल्लंघन करती है। बीजिंग ने कहा है कि चीनी कंपनियों के कानूनी अधिकारों और हितों की रक्षा की जाएगी और इसके लिए जो आवश्यक कदम होंगे वे उठाए जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि 9 जुलाई को अमेरिका ने अपने यहां की और 34 कंपनियों को ब्लैक लिस्ट किया है। इनमें से 10 कंपनियां चीन की हैं। इस बारे में अमेरिका के वाणिज्य विभाग ने सूचना जारी की है। सूत्रों की मानें तो, चीन के स्वायत्तशासी सिंक्यांग प्रांत में मानवाधिकारों के उल्लंघन से जुड़े मामलों और उच्चस्तरीय तकनीकी निगरानी के आधार पर यह कड़ी कार्रवाई की गई है। अमेरिका के वाणिज्य विभाग ने पिछले ही महीने कहा था कि उइगर मुस्लिमों को यातना देने जाने के विरुद्ध चीनी कंपनियों पर कार्रवाई की जाएगी।
दुनियाभर में चीन द्वारा उइगरों पर अत्याचार किए जाने की विस्तृत जानकारी उपलब्ध है। उइगरों को अगवा करना, उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाकर जेेल भेजना, यातना शिविरों में ठूंस देना, उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के हैरान करने वाले आंकड़े जगजाहिर हैं। लेकिन न तो कभी चीन ने, न उसके पैसे पर चल रहे पाकिस्तान जैसे इस्लामी देशों ने उइगरों के दमन को बयां करते इन तथ्यों को स्वीकारा है।
दुनियाभर में चीन द्वारा उइगरों पर अत्याचार किए जाने की विस्तृत जानकारी उपलब्ध है। उइगरों को अगवा करना, उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाकर जेेल भेजना, यातना शिविरों में ठूंस देना, उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के हैरान करने वाले आंकड़े जगजाहिर हैं। लेकिन न तो कभी चीन ने, न उसके पैसे पर चल रहे पाकिस्तान जैसे इस्लामी देशों ने उइगरों के दमन को बयां करते इन तथ्यों को स्वीकारा है।
यातना शिविर या 'सुधार शिविर'
चीन पर हाल में यह आरोप भी लगा था कि वह उइगर मुस्लिमों की प्रजनन दर को नियंत्रित करने के लिए पुरुषों और महिलाओं की जबरन नसबंदी करवा रहा है। चीन इस आरोप से भी लगातार कन्नी काट रहा है। अजीब बात है कि चीन ने अपने यहां चल रहे यातना शिविरों को 'सुधार शिविर' नाम दिया हुआ है। वह कहता है कि चीन के लोेगों को मजहबी उन्माद से अलग रखने के लिए ये शिविर एक तरह से तालीम देने वाले शिविर हैं।
हालांकि विशेषज्ञ लगातार बताते आ रहे हैं कि चीन ने तिब्बत और सिंक्यांग में बड़े पैमाने पर जनसांख्यिक बदलाव करने के लिए दोनों जगह हान नस्ल के चीनी बसा दिए हैं। सरकारी सुविधाओं में भी हान नस्ल के लोगों को विशेष सुविधा दी जाती है जबकि उइगरों और तिब्बतियों को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता है।
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