उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में सीबीएसई बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूल में अधिकतर स्टूडेंट मुसलमान हैं. वहां एक इस्लामिक समर कैम्प का आयोजन होने जा रहा था. इस विवादित समर कैम्प के आयोजन को निरस्त कर दिया गया है.
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में सीबीएसई बोर्ड से मान्यता प्राप्त एक निजी इंग्लिश मीडियम स्कूल समर कैम्प का आयोजन करने जा रहा था. इस समर कैम्प का आयोजन करने के पीछे क्या उद्देश्य था? यह जान कर कोई भी हैरान हो जाएगा. बकायदे समर कैम्प के उद्देश्य को प्रचारित किया गया था.समर कैम्प का विवरण देते हुए पहले ही वाक्य में लिखा गया कि “हाउ टू अडॉप्ट इस्लामिक वैल्यूज इन पर्सनल लाइफ( निजी जीवन में इस्लामिक मूल्यों को कैसे अपनाएं) यह समर कैम्प स्कूल के 8 वर्ष से 15 वर्ष तक के स्टूडेंट्स के लिए आयोजित किया जा रहा था.
आरोप है कि इस्लाम को बढ़ावा देने एवं कम उम्र के बच्चों का ब्रेन वाश करने की तैयारी की जा रही थी. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने इस समर कैम्प का जमकर विरोध किया और मुरादाबाद के जिला अधिकारी को ज्ञापन देकर स्कूल प्रबंधन के विरूद्ध कार्रवाई की मांग की. कई लोगों ने यूपी पुलिस एवं मुख्यमंत्री के ट्विटर हैंडल को टैग करके भी शिकायत की. विरोध को देखते हुए स्कूल ने इस विवादित समर कैम्प को निरस्त कर दिया. मुरादाबाद पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने स्कूल की मान्यता रद्द करने की मांग की है.
इस मामले में पुलिस का कहना है कि यह विवाद शिक्षा विभाग से जुड़ा हुआ है. यह प्रकरण मुरादाबाद के जिला विद्यालय निरीक्षक के संज्ञान में लाया गया है. उनके द्वारा इस प्रकरण की जांच की जा रही है. मुरादाबाद के जिला विद्यालय निरीक्षक का कहना है कि स्कूल को सीबीएसई बोर्ड से मान्यता प्राप्त है और जो सोसाइटी इस स्कूल को संचालित कर रही है. वह रजिस्टर्ड है. स्कूल ने अल्पसंख्यक संस्था होने के लिए आवेदन किया है. अभी अल्पसंख्यक संस्था का दर्जा नहीं दिया गया है. विवादित समर कैम्प स्कूल ने निरस्त कर दिया है. इस प्रकरण की जांच की जा रही है.
बता दें कि इस समर कैम्प का विवरण सोशल मीडिया पर भी शेयर किया गया था. उसके बाद अधिकतर लोगों को इस विवादित समर कैम्प की जानकारी हो पाई. डीपीएस उधमपुर के नाम से बने ट्विटर हैंडल पर यह समर कैम्प का ब्रोशर शेयर किया गया था. ट्विटर ने अब इस हैंडल को निलंबित कर दिया है. शुरू में यह कहा गया कि उस स्कूल में अधिकतर स्टूडेंट मुसलमान हैं इसलिए इस प्रकार का समर कैम्प का आयोजन किया गया था. अब सवाल यह उठता है कि समर कैम्प के ब्रोशर में छपवाया गया था कि इसमें आठ वर्ष से पंद्रह वर्ष की उम्र के सभी बच्चे शामिल हो सकते हैं. अब स्कूल के डायरेक्टर मंसूर सिद्दीकी ने अपना संतुलित बयान जारी किया है. उनका कहना है कि इस समर कैम्प का आयोजन उनकी तरफ से नहीं किया गया था. कुछ अभिभावक इस समर कैम्प का आयोजन करना चाहते थे. मगर विवाद उत्पन्न होने पर इस समर कैम्प को निरस्त कर दिया गया है.
इस प्रकरण पर मुरादाबाद के जिलाधिकारी शैलेंद्र सिंह का कहना है कि स्कूल में समर कैंप लगाने का मामला संज्ञान में आया था. सोशल मीडिया पर इस कैम्प का प्रचार-प्रसार किया गया था. स्कूल ने अपना कार्यक्रम निरस्त कर दिया है और सोशल मीडिया पर किए गए प्रचार प्रसार को भी हटा दिया है. इस प्रकरण की जांच कराई जा रही है. जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा. उसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की की जाएगी.
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