गत एक जुलाई को बॉम्बे उच्च न्यायालय ने 'कैसेट किंग' के नाम से प्रसिद्ध गुलशन कुमार की हत्या के मामले में दोषी अब्दुल रऊफ की याचिका खारिज कर दी। न्यायालय ने मुंबई सत्र न्यायालय की ओर से रऊफ को सुनाई गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा। अदालत ने स्पष्ट कहा कि अब्दुल रऊफ किसी तरह की उदारता का अधिकारी नहीं है, क्योंकि वह पहले भी पैरोल के बहाने बांग्लादेश भाग गया था।
उल्लेखनीय है कि अब्दुल उर्फ दाउद मर्चेंट को 2002 में ही उम्रकेद की सजा दी गई थी और औरंगाबाद जेल में सजा काट रहा था। 2009 में वह पैरोल पर बाहर निकला था, लेकिन उसकी समाप्ति से पहले ही वह बांग्लादेश भाग गया था। उसे बांग्लादेश में 10 नवंबर, 2016 को फर्जी पासपोर्ट के मामले में गिरफ्तार किया गया था। फिर बांग्लादेश से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया था। अब वह सजा में कुछ छूट मांग रहा था, जिसे न्यायालय ने नहीं माना। इसी मामले में अब्दुल के भाई रऊफ को भी आजीवन कारावास की सजा मिली है।
इसके साथ ही बॉम्बे उच्च न्यायालय ने अब्दुल रऊफ के भाई अब्दुल राशिद मर्चेंट को बरी किए जाने के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की अपील को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया है। हालांकि अब्दुल राशिद को आजीवन कारावास की सजा काटनी ही होगी।
बाद में यह बात सामने आई कि संगीतकार नदीम के इशारे पर ही गुलशन कुमार की हत्या की गई थी। कहा जाता है कि गुलशन कुमार की कंपनी टी सीरीज ने नदीम-श्रवण की जोड़ी को संगीत की दुनिया में खड़ा किया था। हालांकि, बाद में नदीम की अनबन गुलशन कुमार से हो गई और उसे काम मिलना बंद हो गया। काम नहीं मिलने के कारण नदीम गुलशन कुमार से नाराज चल रहा था। कहा जाता है कि अबु सलेम ने नदीम के इशारे पर ही गुलशन कुमार पर अपने गुर्गों से गोलियां चलवाई थीं।
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