बिहार सरकार ने स्पष्ट किया है कि बिहार को कोरोना का जो टीका मिला है, वह बिहार के लोगों के लिए है। इसलिए राज्य में रहने वाले बांग्लादेशियों और नेपालियों को कोरोना का टीका नहीं लग पाएगा।
गत दिनों बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि केंद्रीय दिशानिर्देशों के अनुसार ही बिहार में टीकाकरण की व्यवस्था की गई है। यदि कोई व्यक्ति नेपाल या बांग्लादेश से आकर बिहार में रह रहा है, तो वह कोरोना के टीके का अधिकारी नहीं हो जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर ऐसे लोगों के पास भारत का आधार कार्ड या टीकाकरण के लिए निर्धारित आठ प्रकार के अन्य प्रमाणपत्र हैं, तो वैसी स्थिति में उन्हें कोरोना का टीका दिया जाएगा। उनका यह बयान उत्तराखंड सरकार के उस बयान के बाद आया है, जिसमें कहा गया है कि उत्तराखंड में रहने वाले नेपाली मूल के लोगों को कोरोना का टीका लगवाया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि बिहार के किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, सुपौल आदि जिलों में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी मुसलमान रह रहे हैं। इनमें से कुछ लोगों ने भारत में आधार कार्ड बनवा लिए हैं, जबकि लाखों बांग्लादेशी अवैध रूप से रह रहे हैं। इसी तरह नेपाल के लोग भी बिहार में बड़ी संख्या में रह रहे हैं।
ये लोग स्थानीय नागरिकों के संसाधनों पर कब्जा कर रहे हैं। इस कारण कई स्थानों पर विस्फोटक स्थिति है। पूर्णिया और किशनगंज में पिछले दिनों इन्हीं बांग्लादेशियों ने कई हिंदू बस्तियों को आग के हवाले किया था, ताकि वहां रह रहे हिंदू उन बस्तियों से भाग जाएं और उन पर बांग्लादेशियों का कब्जा हो जाए।
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