अश्वनी मिश्र
जम्मू-कश्मीर में सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं में मौजूद ऐसे सैकड़ों लोग प्रशासन के निशाने पर हैं, जो कश्मीर के माहौल को अशांत कर स्थानीय युवाओं को भड़काने का काम करते हैं
जम्मू-कश्मीर में सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं में मौजूद ऐसे सैकड़ों लोग प्रशासन के निशाने पर हैं, जो कश्मीर के माहौल को अशांत कर स्थानीय युवाओं को भड़काने का काम करते हैं. लंबे समय से यह लोग देश का खाकर उसी के खिलाफ काम करते आ रहे हैं.ऐसे में प्रशासन अब इन पर सख्ती के मूड में है.
गौरतलब है कि पिछले महीने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के आदेश पर कुपवाड़ा के एक सरकारी मिडिल स्कूल के अध्यापक इद्रीस जान को देश विरोधी गतिविधियों के चलते बर्खास्त कर दिया गया था. तो दूसरी ओर उधमपुर के गवर्मेंट डिग्री कॉलेज ऑफ विमेन के सहायक प्राध्यापक डॉ अब्दुल बारी नायक को युवाओं को कट्टरवाद के रास्ते और जहर बुझी मानसिकता को भरने के आरोप के कारण नौकरी से निकाला गया है. इसी तरह पुलवामा के नायब तहसीलदार नजीर अहमद वानी को अलगाववाद और आतंकवाद को प्रश्रय देने के लिए नौकरी से हाथ धोना पड़ा था.
मजहबी संस्थाएं भी हैं निशाने पर
अलगाववादियों के साथ घाटी में जमात-ए-इस्लामी जैसी मजहबी कट्टरवादी संस्था भी सुरक्षा एजेंसियों के निशाने पर हैं. दरअसल लंबे समय से घाटी के माहौल को विषाक्त करने के लिए ये मजहबी संस्थाएं स्थानीय लोगों को भड़काती आ रही हैं. इनका सबसे आसान निशाना युवा होते हैं, जिन्हें बड़ी आसानी से वह अपने जाल में फंसाकर उनके दिमाग में मजहब का जहर घोल देती हैं. अब सुरक्षा एजेंसियां इन पर नकेल कसने के काम में लगी हैं. इसके लिए स्पेशल टास्क फोर्स (एलटीएफ) बनाया गया है, जो व्यापक योजना पर काम कर रहा है.
पाकिस्तानी राग पर सख्ती
24 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गुपकार गठबंधन के नेताओं की बैठक के बाद भी पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती पाकिस्तान का राग अलापने से बाज नहीं आ रही हैं. वे इसी बहाने कश्मीर का एक वर्ग जो "पाकिस्तान प्रेमी" है, उसे खुश करके अपनी राजनीतिक दुकान चलाये रखना चाहती हैं. पर केंद्र सरकार उनकी मंशा पर पानी फेरने के लिए तैयार है. सरकार ने घाटी में पाकिस्तान का राग अलापने वालों के खिलाफ सख्ती का रवैया अख्तियार किया है और स्पष्ट किया है कि पाकपरस्ती का नारा लगाने वालों को महंगी कीमत चुकानी पड़ सकती है. खबरों की मानें तो इस सम्बंध में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की टीम घाटी में ऐसे लोगों पर नजर रख रही है, जो अपने बयानों से न केवल कश्मीर का माहौल अशांत करना चाहते हैं बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को फायदा पहुंचाने की जुगत में लगे हुए हैं.
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