मीम अलिफ हाशमी
पाकिस्तान में गरीबों की संख्या बढ़ गई है। ऐसे में इमरान खान अब आर्थिक मोर्चे पर भी विफल साबित हुए हैं। यदि दोस्त देश कर्ज न दें तो पाकिस्तान के अधिकांश लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाए।
पड़ोसी देश पाकिस्तान में कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है। पिछले दो वर्षों से इसने हर मोर्चे पर मात खाई है। यहां तक कि इसी दौरान एफएटीएफ ने आतंकवादियों के वित्तपोषण मामले में इसके विरुद्ध न केवल जांच बैठा दी, कई तरह की बंदिशें भी लगा दी हैं। अब पड़ोसी देश से एक और बुरी खबर आई है। पाकिस्तान में गरीबों की संख्या बढ़ गई है। यानी पीटीआई प्रमुख इमरान खान आर्थिक मोर्चे पर भी विफल साबित हुए हैं। यदि दोस्त देश कर्ज न दें तो पाकिस्तान के अधिकांश लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाए।
विश्व बैंक के मुताबिक पाकिस्तान में गरीबी दर में इजाफा हुआ है। यह दर 4.4 फीसदी से बढ़कर 5.4 फीसदी तक पहुंच गई है। इस संबंध में प्रस्तुत आंकड़े के अनुसार, पाकिस्तान की प्रतिदिन दो डॉलर से भी कम क्रय शक्ति रह गई। आर्थिक विकास भी धीमा हुआ।
पाकिस्तान में 2 मिलियन से अधिक लोग गरीबी रेखा से नीचे रह रहे हैं। पाकिस्तान में गरीबी दर 39.3 प्रतिशत है, जबकि निम्न मध्यम वर्ग की दैनिक आय 3. 3.2 डाॅलर है। मध्यम वर्ग की आय 5. 5.5 डाॅलर प्रति दिन है। यह अनुपात 78.4 प्रतिशत है।
ऐसे समय में जब विश्व बैंक पाकिस्तान में गरीबी दर में वृद्धि दिखा रहा है, पाकिस्तान सरकार अपनी नाकामी छिपाने को आंकड़ों की बाजीगरी दिखा रहा है। सरकार की ओर से जारी आंकड़ों में कहा गया है कि देश में गरीबी दर वित्त वर्ष 2016 में 24.3 प्रतिशत से पिछले वित्तीय वर्ष में घट कर 21.9 प्रतिशत हो गई।
विश्व बैंक ने आशंका जताई है कि गरीबी का प्रतिशत कोरोनावायरस की नई लहर से बढ़ सकता है. पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि पिछले दो दशकों में धीमी हुई है. औसत वार्षिक प्रति व्यक्ति विकास दर 2 है। 2020 के अंत से दिसंबर के अंत तक डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया 5.4 फीसदी चढ़ा। इसके बावजूद विकास दर 0.8 फीसदी रहने की उम्मीद है। पिछले दो वर्ष में कृषि उत्पादन में भी गिरावट आई है। इसके कारण कुछ दिनों पहले पाकिस्तान में भारत से चीनी, कपास और धागा खरीदने का मुद्दा उठा था, जो बाद में कश्मीर का बहाना बनाकर इमरान सरकार निर्णय से पीछे हट गई। पाकिस्तान पर सूखे की मार भी बढ़ी है।
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