कर्नल शिवदान सिंह
पुलिस की जांच में सामने आया है कि कन्वर्जन का षडयंत्रकारी उमर गौतम का पाकिस्तान की आईएसआई से संबंध है। उसे विदेशों से करोड़ों रुपयों की आर्थिक सहायता भी आ रही थी। सोशल मीडिया पर उसके अपराध में सहयोग करने के लिए विदेशों में बैठे हुए आका उसकी मदद कर रहे थे।
आज के आधुनिक समय में विश्व में जहां हर क्षेत्र में बदलाव आया है वहीं पर पुरानी युद्ध की प्रक्रिया भी बदल चुकी है। आज के युग में आमने—सामने के युद्ध का स्थान परोक्ष युद्ध( हाइब्रिड युद्ध) ने ले लिया है। इस युद्ध में दुश्मन देश में मनोवैज्ञानिक प्रोपेगंडा, आर्थिक और सामाजिक ढांचे को निशाना बनाकर उसे तहस-नहस किया जाता है। शक्ति प्रदर्शन के लिए सेना भी होती है। जैसा कि विश्व के सभी देशों में है, परंतु लंबे समय से देखा जा सकता है कि किसी भी विवाद में पुराने समय का आमने—सामने का युद्ध नहीं हुआ है। दुश्मन देश में सामाजिक ढांचे को ठेस पहुंचाने के लिए देश के विभिन्न संप्रदायों में टकराव की स्थिति पैदा की जाती है जैसा कि पाकिस्तान की आईएसआई हमारे देश में पिछले लंबे समय से कर रही है। अभी-अभी उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते ने खुलासा किया है कि पिछले लंबे समय से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कुछ अराजक देश विरोधी तत्वों द्वारा पाकिस्तान की आईएसआई के इशारे पर हिंदू—मुस्लिमों में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए बड़ी संख्या में कन्वर्जन को अंजाम दे रहे थे। इसमें दो आरोपी जहांगीर और उमर गौतम पुलिस की पकड़ में आ चुके हैं। यह हिंदू धर्म के असहाय मूक, बधिर और अनाथ लोगों को तरह-तरह के प्रलोभन देकर इनका कन्वर्जन कराता था। अब तक इन्होंने 1000 से अधिक हिंदुओं का कन्वर्जन कराया है। उमर लंबे समय से उर्दू और कुरान की शिक्षा देने के नाम पर इस्लामिक दावाह सेंटर नाम की एक संस्था चला रहा था, जिसमें वह प्रभावित लोगों को बुलाकर उन्हें तरह-तरह के प्रलोभन देखकर कन्वर्जन के लिए प्रेरित करता था। उमर गौतम का संबंध दिल्ली के कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम संगठनों से भी है। इनका नेटवर्क दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, केरल और आंध्र प्रदेश तक फैला हुआ है। इसके अतिरिक्त इनके द्वारा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने के लिए और बहुत से अपराध किए जा रहे हैं। अभी कुछ समय पहले गाजियाबाद के पास लोनी में एक घटना सामने आई थी, जिसमें एक मुस्लिम बुजुर्ग को कुछ मुस्लिम युवकों ने मारा—पीटा और उसकी दाढ़ी को काटा और इसका आरोप इन्होंने हिंदुओं पर लगाने का प्रयास किया। इस कुत्सित इरादे से तनाव बढ़ाने के लिए इन्होंने टि्वटर और सोशल मीडिया का प्रयोग किया तथा गाजियाबाद के पड़ोसी जिलों में इनका इरादा सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने के लिए कैंडल मार्च निकालने का था। परंतु समय रहते पुलिस ने इन आरोपियों को पकड़ कर इस पूरे षडयंत्र का भंडाफोड़ किया। इसी प्रकार गाजियाबाद के ही डासना गांव में शिव शक्ति धाम देवी मंदिर में मुस्लिम समुदाय के युवकों ने घुसने का प्रयास किया। ऐसी ही अनेक घटनाएं इस पूरे क्षेत्र में पिछले कुछ समय से हो रही हैं। 2013 में उत्तर प्रदेश के ही मुजफ्फरनगर में हुए सांप्रदायिक दंगों की न्यायिक जांच ने यह सिद्ध कर दिया है कि किस प्रकार एक मुस्लिम युवक के द्वारा एक हिंदू लड़की के साथ लगातार छेड़खानी की जा रही थी और उसी के कारण यह पूरा विवाद फैला, जिसने एक भयंकर दंगे का रूप ले लिया।
पुलिस की जांच में यह सामने आया है कि उमर गौतम का पाकिस्तान की आईएसआई से संबंध है और उसे विदेशों से करोड़ों रुपयों की आर्थिक सहायता आ रही थी। इसके अतिरिक्त सोशल मीडिया पर उसके अपराध में सहयोग करने के लिए विदेशों में बैठे हुए आका उसकी मदद कर रहे थे। इसी प्रकार नागरिक संशोधन कानून को मुद्दा बनाकर आईएसआई ने मुस्लिम समाज में असुरक्षा की भावना पैदा की और उन्हें शाहीन बाग धरने प्रदर्शन के लिए आर्थिक और मीडिया की सहायता प्रदान की। जिसके द्वारा इन धरना प्रदर्शनकारियों ने दक्षिणी दिल्ली को उत्तर प्रदेश से पूरे 6 महीने के लिए अलग—थलग कर दिया था। इसके कारण साइन बाग के आसपास के क्षेत्रों में आर्थिक और शैक्षिक गतिविधियां भी पूरी अवधि के लिए ठप हो गई थीं। इस क्षेत्र से गुजरने वाले रास्ते बंद होने के कारण हर रोज करीब 10,000 गाड़ियों को लंबा रास्ता तय करके अपने गंतव्य तक पहुंचना पड़ता था। इसके बाद यह धरना दिल्ली दंगों के रूप में उस वक्त परिवर्तित हुआ जब विश्व की महाशक्ति अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत दौरे पर थे। उनके दौरे के कारण पूरे विश्व का मीडिया दिल्ली में एकत्रित था। इस प्रकार बिना बुलाए ही विश्व मीडिया ने डोनाल्ड ट्रंप का दौरा कवर करने के साथ ही दिल्ली दंगों का भी प्रचार पूरे विश्व में कर दिया। इस तरह आईएसआई ने भारत की राष्ट्रीय प्रतिष्ठा को विश्व में धूमिल करने का प्रयास किया जो उसके मनोवैज्ञानिक प्रोपेगंडा की बड़ी जीत थी।
इसके अतिरिक्त इसी प्रकार उत्तर प्रदेश के हाथरस में भी कुछ समय पहले एक छोटे से विवाद द्वारा दोनों समुदायों में वैमनस्य पैदा करने की कोशिश की गई। 2013 के सबसे भयंकर मुजफ्फरनगर दंगों के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उस समय कहा था कि इन दंगों में पाकिस्तान की आईएसआई का हाथ है। मुजफ्फरनगर दंगों में उत्तर प्रदेश सरकार को 100 करोड़ रुपए इन दंगों में विस्थापित हुए लोगों के पुनर्वास और उन्हें मुआवजा देने में खर्च करने पड़े।
भारत का दुर्भाग्य है कि पाकिस्तान जैसा एक फेल और खंडित देश उसका पड़ोसी है। पाकिस्तान में आजादी के बाद से ही वहां की सेना ने सत्ता को हथियाने की कोशिश की है और पिछले 72 साल में 5 बार सैनिक शासन वहां पर लग चुका है। पाकिस्तान की सेना ने पाकिस्तान को आतंकवाद की फैक्ट्री बनाया है। जहां से अमेरिका ने अफगानिस्तान में रूसी सेनाओं के विरुद्ध लड़ने के लिए तालिबानी आतंकी भाड़े पर बड़ी मात्रा में लिए। इस ऑपरेशन को नियंत्रित करने के लिए अमेरिका की सीआईए ने पाकिस्तान की आईएसआई को पूरी तरह से प्रशिक्षित किया। सीआईए ने आईएसआई को एक संगठित संगठन के रूप में तैयार करने के लिए उसके अंदर अलग-अलग विभाग बनाए जो दुश्मन देश में तरह—तरह की गतिविधियों जैसे—आतंकी हमले, मनोवैज्ञानिक प्रोपेगंडा चलाना तथा गोला—बारूद की उपलब्धता सुनिश्चित करना इत्यादि की व्यवस्था देखते हैं। इन भाड़े के आतंकवादियों को तैयार करने के लिए पाकिस्तान में गरीब परिवारों के नौजवानों को मदरसों में मुस्लिम कट्टरपंथ और आतंकवाद का प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रकार पाकिस्तान में आतंकियों की बड़ी संख्या तैयार हो गई। रूसी सेना तो वापस चली गई परंतु यह बेरोजगार आतंकवादी जहां दक्षिण एशिया के अन्य देशों में अशांति फैला रहे हैं वहीं पर वे पाकिस्तान में भी चारों तरफ आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। इस प्रकार की स्थिति में पाकिस्तान में आर्थिक विकास बिल्कुल ठप हो गया है और पाकिस्तान दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुका है। इसके अतिरिक्त अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक आर्थिक टास्क फोर्स पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट करने ही वाली है। जिसके बाद उसको अंतरराष्ट्रीय मदद और सहयोग मिलना बिल्कुल बंद हो जाएगा। विश्व का हर देश अपनी अखंडता पर गर्व करता है वहीं पर पाकिस्तान के 1971 में दो हिस्से हो चुके हैं, जिनमें पूर्वी पाकिस्तान स्वतंत्र बांग्लादेश बन चुका है। इतने पर भी वहां की सेना अपनी गतिविधियों पर लगाम नहीं लगा रही है और वह दिन दूर नहीं जब पाकिस्तान के सिंध और बलूचिस्तान भी बांग्लादेश की तरह पाकिस्तान से अलग हो जाएंगे।
इस समय भारत अपनी पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर पाकिस्तान और चीन जैसे दुश्मनों से घिरा हुआ है। जो उसे परोक्ष युद्ध के द्वारा हर प्रकार से क्षति पहुंचाना चाहते हैं। इस स्थिति में देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को और भी मजबूत बनाने की आवश्यकता है। इसके लिए जहां देश की सरकार प्रयास कर रही है, वहीं देश के सामाजिक संगठनों को तथा राजनीतिक दलों को भी प्रयास करने चाहिए। उन्हें इस बात का ख्याल रखना चाहिए की उनकी राजनीतिक प्रतिबद्धता के कारण देश की सामाजिक और सांप्रदायिक एकता को ठेस ना पहुंचे। इस प्रकार की स्थिति में इजराइल ने विश्व के लिए एक आदर्श प्रस्तुत किया है। 1967 से पहले इजराइल अपने आप को दुश्मनों से घिरा हुआ पाता था। परंतु 1967 के अरब—इजरायल युद्ध के बाद आज इजराइल उस क्षेत्र की एक महाशक्ति बन चुका है। उसके महाशक्ति बनने में उसके नागरिकों की देश के प्रति राष्ट्रप्रेम और राष्ट्रीयता की भावना है। इसलिए हमारे देशवासियों को पाकिस्तान और चीन की हर चाल को नाकाम करने के लिए सांप्रदायिक सद्भाव तथा सामाजिक एकता को बनाकर रखना चाहिए।
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