वीरांगना रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस (24 जून) पर विशेष: अकबर की फौज को पीछे हटने के लिए किया था मजबूर
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत दिल्ली

वीरांगना रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस (24 जून) पर विशेष: अकबर की फौज को पीछे हटने के लिए किया था मजबूर

by WEB DESK
Jun 24, 2021, 02:54 pm IST
in दिल्ली
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

विकास मरकाम


वीरांगना रानी दुर्गावती के बलिदान की कथा आज भी हमें विदेशी आक्रमणकारियों के सामने न झुकने के साथ-साथ अपने धर्म, अपने राज्य की रक्षा के लिये सर्वस्व न्योछावर करने की प्रेरणा देता है। ऐसी वीरांगना के बारे में नई पीढ़ी को बताया जाना चाहिए

भारत सदैव ही वीर सपूतों और वीरांगनाओं की जननी रही है। मातृभूमि की रक्षा के लिये जब-जब आवश्यकता पड़ी है, हमारे वीर सपूतों और वीरांगनाओं ने अपने प्राणों तक की आहुति देकर राष्ट्रभक्ति की एक नई ऊर्जा का संचार प्रवाहित किया है। हिंदुस्तान में जब-जब विदेशी आक्रांताओं/आक्रमणकारियों की बुरी नजर पड़ी है या विदेशी आक्रमण हुये हैं तब-तब इस सम्पूर्ण भू-भाग की रक्षा के लिये किसी न किसी महान विभूति का अवतरण अवश्य हुआ है।

ऐसी ही एक महान विभूति थीं रानी दुर्गावती। उनका जन्म 5 अक्तूबर, 1524 को चंदेल राजा कीरत सिंह जी के यहां हुआ था। हिंदुस्तान के इतिहास में चंदेल राजाओं की वीरता का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है। राजा कीरत सिंह ने ही अपने कालिंजर किले में मुगल आक्रांता शेरशाह सूरी को मौत के घाट उतारा था। नवरात्रि की दुर्गाष्टमी के दिन जन्म होने के कारण कन्या का नाम दुर्गावती रखा गया।

अपने परिवार की ख्याति और वीरता के अनुरूप ही दुर्गावती बाल्यकाल से ही वेद और शास्त्र की शिक्षा के साथ-साथ शस्त्रविद्या और घुड़सवारी का भी प्रशिक्षण प्राप्त करने लगी। दुर्गावती के बारे में कहा जाता है कि युद्धकला में पारंगत होने के साथ-साथ वह इतनी साहसी थीं कि अकेले ही शेर का शिकार कर लेती थीं। दुर्गावती की इसी वीरता से प्रभावित होकर गढ़-मंडला के गोंडवाना साम्राज्य के राजा दलपतशाह ने 1542 में उनके साथ विवाह किया। 1545 में रानी दुर्गावती को वीरनारायण के रूप में पुत्ररत्न प्राप्त हुआ। रानी का दाम्पत्य जीवन ज्यादा दिन तक नहीं रहा। 1550 में राजा दलपतशाह का अल्पायु में देहांत हो गया।
पुत्र वीरनारायण की आयु पांच वर्ष होने के कारण रानी दुर्गावती ने गढ़-मंडला के गोंडवाना साम्राज्य की बागडोर स्वयं अपने हाथों में ले ली। रानी दुर्गावती ने गोंडवाना साम्राज्य के 52 गढ़ों और 57 परगना को सुव्यवस्थित कर बुद्धिमत्तापूर्वक अपना शासन चलाया। रानी दुर्गावती के शासनकाल में राज्य में जनता सुखी थी। एक मितव्ययी कर-प्रणाली होने के कारण राज्य की आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी थी। अकबर के दरबारी अबुल फजल ने अकबरनामा में रानी दुर्गावती के शासन के बारे में उल्लेख करते हुये लिखा है कि गोंडवाना साम्राज्य के पास 20,000  घुड़सवार, 1000 हाथी और 40,000 पैदल सेना थी तथा राज्य में स्वर्ण मुद्रा का चलन था।

रानी दुर्गावती के साम्राज्य की वैभवता को देखते हुये मालवा के राजा बाजबहादुर ने गढ़-मंडला पर कई बार हमला किया, परंतु हर बार रानी ने अपने रण कौशल से उसे धूल चटाते हुये परास्त किया। 1562 में राजा बाजबहादुर के मालवा राज्य पर अकबर ने कब्जा कर लिया और रानी दुर्गावती को अबला-महिला जानकर गढ़-मंडला पर आक्रमण करने की रणनीति बनाने लगा। तब बाजबहादुर ने अकबर को चेताया कि रानी दुर्गावती एक बलशाली और रण कौशल में माहिर योद्धा हैं। उन्होंने अकबर को स्वयं उन पर आक्रमण न करने की सलाह दी। इसके बाद अकबर ने अपने खास सेनापति आसफ खां के नेतृत्व में एक बड़ी सेना को 1564 में धावा बोलने का आदेश दिया। रानी दुर्गावती को जब यह बात मालूम चली कि आसफ खां के नेतृत्व में मुगलों ने उनके साम्राज्य पर हमला कर दिया है तो उन्होंने भी डटकर सामना करने का निश्चय किया। रानी दुर्गावती अपनी कुलदेवी राज-राजेश्वरी माता की पूजा-अर्चना कर हाथी में सवार होकर स्वयं अपनी सेना का नेतृत्व करने लगीं और आसफ खां सहित मुगल सेना के छक्के छुड़ा दिये।

दूसरे दिन फिर आसफ खां ने लगभग 20,000 नये घुड़सवार मुगल सैनिकों के साथ रानी की सेना पर हमला बोल दिया। इस बार भी रानी ने वीरता से जवाब दिया। रानी दुर्गावती की सेना ने मुगल सेना को सिंगौरगढ़, चंडालभाटा और गौरैया घाट से तो खदेड़ दिया, परंतु नर्रई नाला में भीषण युद्ध होने लगा। इसी समय रानी का हाथी घायल हो गया। बरसात के दिन थे, नाले में पानी भरा हुआ था। इसी कारण हाथी नाला पार नहीं कर पा रहा था और यहीं पर रानी मुगल सैनिकों से घिर गईं। युद्ध में अपनी पराजय देखते हुये रानी दुर्गावती ने अपने खास सैनिकों के साथ पुत्र वीरनारायण को सुरक्षित स्थान चौरागढ़ भेज दिया और निश्चय किया कि वे विदेशी आक्रमणकारी मुगलों के हाथों अपने प्राण त्याग नहीं करेंगी। इसके बाद उन्होंने अपने महावत को आदेश दिया कि शत्रु उनके शव पर हाथ भी न लगा सके, ऐसी व्यवस्था करना। फिर उन्होंने  24 जून,1564 को अपने सम्मान की रक्षा के लिये राज-राजेश्वरी माता की जय और जय भवानी का उदघोष करते हुये अपने ही कटार से गला काटकर अपने प्राणों की आहुति दे दी।  

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies