मनोज वर्मा
मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार ने संवाद के जरिये कोरोना महामारी के संक्रमण की चेन को तोड़ने का कार्य किया। कोरोना महामारी प्रबंधन में मध्य प्रदेश के जन भागीदारी मॉडल की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सराहना की।
चार साल पहले पिता श्री धनसिंह मोरे की सड़क दुर्घटना में और अप्रैल, 2021 में मां श्रीमती श्यालीबाई की अचानक कोरोना संक्रमण से मृत्यु ने हम तीनों भाई-बहनों की जिंदगी को हताशा, निराशा और घनघोर संघर्ष से भर दिया। पिता की मृत्यु के बाद मां मेहनत-मजदूरी करके जैसे-तैसे हम लोगों का भरण-पोषण कर रही थीं, पर उनकी भी कोरोना संक्रमण से अचानक मृत्यु के बाद जैसे हम जेठ की भरी दुपहरी में खुले आसमान के नीचे आ गये हों। दादाजी श्री रूपाजी मोरे ने किसी तरह सड़क के किनारे एक छोटी-सी किराने की दुकान खुलवाई लेकिन यह दुकान भी कोरोना कर्फ्यू में बंद हो गई। अब हालात बद से बदतर हो गये। यह बताते हुए बड़वानी जिले के ग्राम रेहगुन की 19 वर्षीय कुमारी पूजा मोरे का गला भर आता है। पूजा कहती हैं ऐसे में एक दिन पता चला कि उन्हें मुख्यमंत्री कोविड बाल कल्याण योजना का लाभ मिलेगा। योजना का लाभ मिलने से हम तीनों भाई-बहनों को प्रतिमाह पांच पांच हजार रुपये पेंशन, नि:शुल्क शिक्षा और खाद्यान्न मिलने लगा है। ऐसे समय में जब हमको भविष्य हर तरफ अंधकार भरा ही दिखता था, शासन की यह मदद एक अच्छी जिंदगी की ओर भरोसा दिला रही है।
सभी वर्गों से संवाद
जाहिर तौर पर एक-एक आम आदमी सरकार से इसी तरह की मदद की उम्मीद करता है। कोरोना जैसी महामारी ने दूसरे राज्यों की तरह मध्य प्रदेश में भी लोगों को खासा प्रभावित किया है पर महामारी के दौर में मध्य प्रदेश में ही नहीं, देश में भी शारीरिक दूरी संक्रमण की चेन तोड़ने का प्रमुख आधार थी, तब मध्य प्रदेश में संवाद के जरिये कोरोना महामारी के संक्रमण की चेन को तोड़ने का कार्य सफलतापूर्वक किया गया। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने दो गज की दूरी-मास्क है जरूरी, मास्क नहीं-तो सामान नहीं, मेरा मास्क-मेरी सुरक्षा जैसे प्रभावशाली संदेश के साथ कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए सभी वर्गों से संवाद को प्रमुख अस्त्र बनाया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जनता से संवाद जारी रखा। कारण कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए शासन-प्रशासन के साथ आमजन की भूमिका भी महत्वपूर्ण है और इसी क्रम में शहर के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर जनता को जागरूक करने के लिए सीधा संवाद कर कोरोना संक्रमण से बचाव के उपाय भी बताए गए। संचार की आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और सोशल मीडिया के द्वारा वर्चुअली कार्यक्रम आयोजित कर अधिकांश वर्गों से संवाद का क्रम बनाया गया।
जन-प्रतिनिधियों को जोड़कर उनकी ऊर्जा का उपयोग कोरोना के विरुद्ध लड़ाई में कर सकते हैं। गांवों में कोरोना का सामना बिना जनशक्ति और जन-सहयोग के नहीं किया जा सकता। कोरोना के खिलाफ जंग में राजनीतिक दलों के लोगों को जोड़ने की दिशा में मध्य प्रदेश जैसा कार्य अन्य राज्य भी करें तो यह प्रभावी होगा। — नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
कोविड बाल कल्याण योजना
कोरोना काल में बेसहारा हुए बच्चों का सहारा बनी मध्य प्रदेश सरकार
मोदी सरकार के 7 साल होने के अवसर पर इस योजना का हुआ शुभारम्भ
प्रभावित बच्चों को 5 हजार रुपये प्रतिमाह की पेंशन दी जाएगी
महीने का राशन निशुल्क दिया जाएगा
12वीं तक सरकारी स्कूलों में निशुल्क पढ़ाई
निजी स्कूल में पढ़ाई के लिए सरकार देगी 10 हजार रुपये सालाना
कॉलेज की पढ़ाई का खर्च भी उठाएगी सरकार
मुख्यमंत्री चौहान ने संवाद का जो क्रम अप्रैल माह से शुरू किया उसमें सांसद,विधायक, शहरी क्षेत्र में महापौर, अध्यक्ष और पार्षद, ग्रामीण क्षेत्र में जिला पंचायत, जनपद पंचायत और ग्राम पंचायतों के जन-प्रतिनिधियों, चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टॉफ, महिला स्व-सहायता समूह के सदस्यों,धर्म गुरूओं, समाज के प्रतिष्ठित नागरिकों, व्यापारियों, शहरी एवं ग्रामीण स्ट्रीट वेंडर्स, किसान भाइयों, संबल योजना के हितग्राहियों, तेंदूपत्ता संग्राहक, विशेष पिछड़ी जनजाति सहरिया, बैगा और भारिया की महिलाओं, जिला-तहसील और ग्राम स्तरीय क्राइसिस मैनेजमेंट के समूहों, म.प्र. जन-अभियान परिषद के जिला समन्वयकों और मैदानी अमले के साथ शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में स्वेच्छा से कोरोना वॉलेंटियर्स बने कार्यकतार्ओं से संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिये संवाद किया। इस मुहिम की खूबी यह भी रही कि मुख्यमंत्री शिवराज ने न केवल संवाद के दौरान कोरोना की दूसरी लहर की विभीषिका से अवगत करवाया बल्कि महामारी से बचाव के लिए प्रेरित भी किया। महामारी से लोगों को डराया नहीं। बचाव के लिए न केवल लोगों को तैयार किया बल्कि उन्हें बचाव के तरीके भी उन्हीं की उनकी भाषा में समझाया। इसी का नतीजा था कि मध्य प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर पर काबू पाने में सरकार को सफलता मिली। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जिस तरह से लोगों ने कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने में भागीदारी सुनिश्चित की गई, वह पूरे देश में सुर्खियों में रही।
सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि जोड़े
इतना ही नहीं कोरोना महामारी प्रबंधन में मध्य प्रदेश के जन भागीदारी मॉडल की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सराहना की। उन्होंने कहा कि पंचायत से लेकर नगरीय निकायों में वार्ड स्तर तक आपदा प्रबंधन समितियों का गठन किया गया है। इनमें पक्ष-विपक्ष के सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को जोड़ा गया है। यह जनता से जुड़ने का सबसे अच्छा तरीका है। जन-प्रतिनिधियों को जोड़कर उनकी ऊर्जा का उपयोग कोरोना के विरुद्ध लड़ाई में कर सकते हैं। गांवों में कोरोना का सामना बिना जनशक्ति और जन-सहयोग के नहीं किया जा सकता। कोरोना के खिलाफ जंग में राजनीतिक दलों के लोगों को जोड़ने की दिशा में मध्य प्रदेश जैसा कार्य अन्य राज्य भी करें तो यह प्रभावी होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने यह बात राज्यों और जिले के अधिकारियों के साथ कोरोना महामारी के दौरान उनके अनुभवों के बारे में वीडियो कांफ्रेंसिंग से संवाद के दौरान कही। इनमें वे जिले शामिल थे, जहां संक्रमण अधिक है। इसमें कलेक्टरों द्वारा अपनाई गई रणनीति, नवाचार और जिलों व राज्यों द्वारा अपनाई गई रणनीति की जानकारी भी दी गई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इसमें शामिल हुए। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री के समक्ष हुए बेस्ट प्रेक्टिसेस (रणनीति) के प्रस्तुतीकरण में मध्य प्रदेश का जन-भागीदारी मॉडल ही एक मात्र राज्य स्तरीय था, जबकि अन्य सभी बेस्ट प्रैक्टिसेस जिला स्तरीय थे।
असल में कमलनाथ सरकार की विदाई के साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सरकार के सामने कोरोना महामारी को संभालने की चुनौती थी। यह चुनौती इसलिए भी थी क्योंकि राज्य में सत्ता खोने के बाद से कांग्रेस शिवराज सरकार को अस्थिर करने की लगातार कोशिश कर रही है और कोरोना की आपदा में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सहित कांग्रेस के नेता अपने बयानों से शिवराज सरकार के कोरोना के खिलाफ अभियान को कमजोर करने में लगे हैं। इसलिए यह जानना जरूरी है कि शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च 2020 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और शपथ वाले ही दिन रात्रि दस बजे वल्लभ भवन जाकर राज्य में कोरोना नियंत्रण के संबंध में स्थिति जानी। तब पहली लहर में ही मध्य प्रदेश की स्थिति काफी बदहाल थी। स्थिति को संभालने में थोड़ा सा वक्त लगा लेकिन सफलता मिली। कोरोना केंद्रीत अस्पतालों की व्यवस्था की गई। उस वक्त राज्य में सिर्फ एक टेस्टिंग लैब थी। आज 15 टेस्टिंग लैब है। शिवराज सरकार ने प्रदेश में आईआईटीटी अर्थात आईडेन्टीफिकेशन,आईसोलेशन, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट की नीति अपनाकर कोरोना के नियंत्रण का कार्य सफलतापूर्वक किया। मध्य प्रदेश में कुल 7,86,302 संक्रमितों में से अब तक 7,69,914 मरीज स्वस्थ हो गये हैं। दरअसल जन संवाद और कल्याणकारी योजना के जरिए महामारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है और यह कार्य शिवराज सरकार ने किया। इस पर बहस हो सकती है या सवाल उठाए जा सकते हैं कि कितना हुआ और कितना नहीं पर इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि राज्य में कोरोना से लोगों को बचाने और प्रभावित लोगों को कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने की शिवराज सरकार की पहल सकारात्मक दिशा में रही। कोरोना महामारी प्रबंधन में मध्य प्रदेश का जन भागीदारी मॉडल एक नया उदाहरण बना।
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