संदीप त्रिपाठी
21 जून को देशभर में 86 लाख लोगों का वैक्सीनेशन हुआ जो अपने-आप में रिकॉर्ड है। परंतु दिल्ली, जो कोरोना से त्राहिमाम कर रही थी, वहां के सरकार लोगों की जान बचाने में जुटने के बजाय महज राजनीति कर रही थी। दिल्ली में 21 जून को 11,75,000 वैक्सीन डोज उपलब्ध थे, परंतु दिल्ली सरकार ने मात्र 76 हजार लोगों का वैक्सीनेशन कराया। इस पर सवाल उठ रहे हैं, परंतु जवाब कोई नहीं है।
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने एक बार फिर जनता की जान को दांव पर लगाकर राजनीति करने का प्रहसन खेला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषित किया था कि 21 जून से 18 वर्ष से धिक उम्र के सभी लोगों को मुफ्त कोरोनारोधी वैक्सीन लगाई जाएगी। 21 जून को यह योजना लागू भी हुई और पूरे देश में 86 लाख से अधिक लोगों को वैक्सीनेशन हुआ जो एक दिन में सर्वाधिक वैक्सीनेशन का रिकॉर्ड है।
परंतु आम आदमी के नाम पर राजनीति करने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री ने दिल्ली की जनता की जान की परवाह नहीं की। और 21 जून को दिल्ली में महज 76 हजार लोगों को ही वैक्सीन लगाया गया। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि दिल्ली के पास वैक्सीन नहीं है और दिल्ली सरकार के आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि 21 जून को दिल्ली सरकार के पास 11,95,000 वैक्सीन डोज थे। फिर आखिर दिल्ली सरकार ने ज्यादा से ज्यादा लोगों का वैक्सीनेशन कराने पर ध्यान क्यों नहीं दिया और उपमुख्यमंत्री सिसौदिया ने वैक्सीन न होने का झूठ क्यों बोला?
लगभग 12 लाख वैक्सीन, वैक्सीनेशन मात्र 76 हजार
दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस कर दिल्ली सरकार के उस आधिकारिक आंकड़े को मीडिया के सामने पेश किया जिसमें बताया गया है कि 21 जून को दिल्ली सरकार के पास 11,95,000 वैक्सीन डोज थे। श्री गुप्ता ने कहा कि कोरोना महामारी के जानलेवा होने को देखते हुए एक तरफ जहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी संवेदनशीलता से पूरे देश की जनता का वैक्सीनेशन कराने के लिए पूरा जोर लगाये हुए हैं, वहीं दिल्ली की संवेदनहीन सरकार वैक्सीन दिए जाने पर भी उसे लगाना नहीं चाहती। श्री गुप्ता ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने दिल्ली के नगर निगमों के वैक्सीन सेंटरों को वैक्सीन डोज उपलब्ध नहीं कराये।
श्री गुप्ता ने आकड़े देते हुए कहा कि दिल्ली सरकार ने वैक्सीनेशन के लिए 1038 सेंटर बनाये थे। इसमें 728 सेंटर 45 वर्ष से अधिक उम्र वालों के लिए थे जबकि 312 सेंटर 18 से 45 वर्ष की उम्र के बीच वालों के लिए थे। दिल्ली सरकार के पास 11,95,000 वैक्सीन डोज भी उपलब्ध थे। फिर भी दिल्ली सरकार ने महज 76 हजार लोगों का वैक्सीनेशन किया। यानी दिल्ली सरकार के हर सेंटर पर महज 75 व्यक्तियों को भी वैक्सीन नहीं लगाये गए। ये सेंटर क्या कर रहे थे, इसे गहराई से समझना होगा। श्री गुप्ता ने कहा कि यह घटना दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की संवेदनहीनता को दर्शाती है। दिल्ली की व्यवस्था नाकाम हो चुकी है और दिल्ली के मुख्यमंत्री दिल्लीवासियों की जान बचाने में जुटने के बजाय पंजाब की राजनीति में उलझे हुए हैं।
श्री गुप्ता ने कहा कि कोरोना काल में भाजपा ने दिल्ली में 12 मुद्दे उठाये, परंतु केजरीवाल की ओर से आज तक कोई जवाब नहीं आया। दरअसल जवाब वही देगा जिसके पास उत्तर होगा। उत्तर उसके पास होगा जो काम करेगा। मुख्यमंत्री केजरीवाल केवल प्रश्न खड़े करके और भ्रम फैलाकर राजनीति करना चाह रहे हैं। इन्हें जनता से कोई मतलब नहीं है। उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए कहा कि दिल्ली में जनवरी से आज तक 65,26,770 वैक्सीनेशन हुए हैं। शुरू में स्वास्थ्यकर्मियों का वैक्सीनेशन किया गया। पूरे देश का औसत जहां 82 प्रतिशत था, वहीं दिल्ली का में 76 प्रतिशत स्वास्थ्यकर्मियों का ही वैक्सीनेशन कराया गया। इसी तरह, फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के वैक्सीनेशन का राष्ट्रीय औसत जहां 90 प्रतिशत से अधिक था, वहीं दिल्ली में 81 प्रतिशत वैक्सीनेशन कराया गया।
केजरीवाल की लापरवाही की पराकाष्ठा
दिल्ली सरकार की लापरवाही की पराकाष्ठा ये है कि दिल्ली को जनवरी में 7.1 लाख वैक्सीन डोज दिया गया जिसमें दिल्ली सरकार ने महज 60 हजार का उपयोग किया। फरवरी माह में दिल्ली को 12.2 लाख वैक्सीन दिए गए जिसमें से मात्र 3.5 लाख वैक्सीन लगाये गये। मार्च महीने में दिल्ली को 24.3 लाख वैक्सीन उपलब्ध कराए गए जिसमें से दिल्ली सरकार ने 20.1 लाख वैक्सीन लगवाये। केजरीवाल को बताना चाहिए कि केंद्र सरकार ने दिल्ली की जनता के लिए जो मुफ्त वैक्सीन दिए हैं, उनका केजरीवाल सरकार ने क्या किया। रिकॉर्ड बताता है कि वैक्सीन बर्बाद करने में भी दिल्ली देश में सबसे आगे रहा। यहां सवा तीन प्रतिशत वैक्सीन बर्बाद हुआ।
आदेश गुप्ता के इस प्रेस कांफ्रेंस के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने केजरीवाल से सवाल पूछने शुरू कर दिए हैं। लोग पूछ रहे हैं कि 11,95,000 वैक्सीन थे तो जनता को क्यों नहीं लगवाए। दिल्ली के वैक्सीन सेंटर काम नहीं कर पा रहे थे तो केजरीवाल पंजाब में क्या कर रहे थे। लोग सिसौदिया के झूठ पर भी सवाल कर रहे हैं। कुल मिलाकर इन आंकड़ों से केजरीवाल सरकार की संवेदनहीनता पूरी तरह सामने आ गई है।
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