पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) की आजादी और पाकिस्तानी सेना की बर्बरता के खिलाफ आवाज उठाने वाले डोगरा एक्टिविस्ट गुलाम अब्बास की बीते रविवार रात अज्ञात हमलावरों ने कोटली शहर में गोली मारकर हत्या कर दी।
गौरतलब है कि गुलाम अब्बास को कनाडा की नागरिकता प्राप्त थी, वह पीओजेके के कोटली में अपने पिता के अंतिम संस्कार के लिए गए हुए थे। जिसके बाद से वह वहीं पर थे। गुलाम अब्बास पीओजेके के हित में और पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान से मुक्त कराने के लिए आवाज उठाते थे। वह पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग मानते थे और पीओजेके की भारत में वापसी के लिए लगातार आवाज उठाते थे। शायद यही बात कट्टरपंथियों को पंसद नहीं आई और हमलावरों ने बीते रविवार रात गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। जानकारी के मुताबिक उनकी हत्या को 24 घंटे हो चुके हैं, लेकिन पीओजेके की प्रशासन ने अभी तक उनके हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है।
पाकिस्तानी सेना लगातार अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों को दबाने की कोशिश कर रही है। अभी हाल ही में इसका सबसे बड़ा उदाहरण जिओ न्यूज में काम करने वाले पत्रकार हामिद मीर का है। दरअसल वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर को सेना और सरकार के खिलाफ आवाज उठाने और सवाल पूछने के कारण न्यूज पढ़ने से रोक दिया गया था। पत्रकार हामिद एक दूसरे पत्रकार की गिरफ्तारी के खिलाफ जमकर आवाज उठा रहे थे। उन्होंने एक रैली का भी नेतृत्व किया था, जिसमें उन्होंने इमरान सरकार और सेना के खिलाफ तीखी बयानबाजी की थी। पाकिस्तान सरकार को उनके तीखे बोल और सेना के खिलाफ सवाल करने का अंदाज पसंद नहीं आया। ऐसे में पाकिस्तान सरकार ने उनके टॉक शो पर प्रतिबंध लगा दिया।
करीमा बलोच की भी हुई थी संदिग्ध मौत
उल्लेखनीय है कि बीते साल कनाडा में पाकिस्तान के बलूचिस्तान में सेना की बर्बरता के खिलाफ आवाज उठाने वाली महिला कार्यकर्ता करीमा बलोच की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। करीमा को पाकिस्तानी सरकार और सेना के खिलाफ सबसे मुखर आवाज माना जाता था। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में भी बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों के खिलाफ अपनी आवाज उठाई थी। कनाडा में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई उनकी मौत के बाद अब पाकिस्तान सरकार और उनकी खुफिया एजेंसी आईएसआई के ऊपर भी संदेह जताया जा रहा था।
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