पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों को विलुप्त करने की निरंतर साजिश चल रही है। उनका कन्वर्जन कर उन्हें जबरन इस्लाम कबूलने को मजबूर किया जा रहा है। इसके लिए विशेष तौर से अल्पसंख्यक समुदाय की कम उम्र और मासूम लड़कियों को निशाना बनाया जा रहा है, ताकि आने वाली नस्ल ही बर्बाद कर दी जाए।
पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों को विलुप्त करने की निरंतर साजिश चल रही है। उनका कन्वर्जन कर उन्हें जबरन इस्लाम कबूलने को मजबूर किया जा रहा है। इसके लिए विशेष तौर से अल्पसंख्यक समुदाय की कम उम्र और मासूम लड़कियों को निशाना बनाया जा रहा है, ताकि आने वाली नस्ल ही बर्बाद कर दी जाए। चिंताजनक पहलू यह है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ इस साजिश में शामिल जिहादियों को सरकार, पुलिस, अदालत, मीडिया और समाज का भी मौन समर्थन प्राप्त है। अन्यथा क्या वजह है कि ऐसी घटनाएं तकरीबन रोजाना हो रही हैं और पीड़ितों की कोई नहीं सुन रहा।
ताजा मामला एक ईसाई परिवार की 13 वर्षीय लड़की के अपहरण और कन्वर्जन का है। लड़की के पिता के अनुसार, उसकी बच्ची का बलात्कारी अब कन्वर्जन कर उससे शादी करने को मजबूर कर रहा है ताकि कानून के चंगुल में न फंस सके।
घटना पाकिस्तान के गुजरांवाला शहर की है। किशोरी के पिता शाहिद गिल अपने परिवार के लिए न्याय की मांग के लिए कभी थाने तो कभी कोर्ट-कचहरी के चक्कर काट रहे हैं।
पेशे से दर्जी गिल ने कहा कि उसके पड़ोसी ने उसकी बेटी को अपने कॉस्मेटिक स्टोर पर सेल्सगर्ल के तौर पर काम पर रखने की पेशकश की थी। उन्होंने पहले यह कहते हुए प्रस्ताव ठुकरा दिया कि बेटी बच्ची है। यह काम नहीं कर पाएगी। मगर जिहादी पड़ोसी नहीं माना। बार-बार अपने व्यवसाय में सहयोग देने के लिए बच्ची को दुकान पर बैठने को मजबूर करता रहा। गिल ने बताया कि कोरोना के चलते उसका परिवार आर्थिक दबाव में है। इसलिए पड़ोसी के बार—बार कहने पर वह अपनी बेटी को नौकरी पर भेजने को तैयार हो गया।
गिल का कहना है कि 20 मई उसकी लड़की घर से निकली तो फिर वापस नहीं आई। उसका पता लगाने की भरपूर कोशिश की पर असफल रहा। फिर भी तलाश करता रहा। उसने अपने पड़ोसियों से इस बारे में पूछा तो उन्होंने गोल-मोल जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने उसे कुछ पुरुषों और महिलाओं के साथ एक पिकअप ट्रक में चढ़ते देखा था।
इसके बाद गिल ने फिरोजाबाद पुलिस स्टेशन में अपहरण की शिकायत दर्ज कराई। 29 मई को पड़ोसी और सात अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। जांच अधिकारी एसआई लियाकत ने बताया कि दो संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है। हालांकि, लड़की बाद में एक स्थानीय अदालत में पेश हुई और उसने आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत एक बयान दर्ज कराया कि उसने इस्लाम अपनाने और अपने कथित अपहरणकर्ता से शादी करने के लिए अपनी मर्जी से घर छोड़ा है।
अदालत ने बच्ची की बात सुनकर आश्चर्यजनक फैसला सुनाते हुए उसे अपने कथित पति के साथ जाने की अनुमति दे दी। अदालत ने पुलिस को मामला बंद करने का भी आदेश दे दिया। आदेश मिलते ही पुलिस ने मामला तुरंत बंद कर दिया। मगर गिल नहीं माने। उन्होंने याचिका दायर कर अदालत को याद दिलाया कि उनकी बेटी सिर्फ 13 साल की है। इसलिए उसके जबरदस्ती कन्वर्जन और निकाह के बयान को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।
शिकायत में पिता ने कहा कि बच्ची का अपहरण किया गया और कन्वर्जन के बाद अपहरणकर्ता ने जबरन उससे शादी रचाई है। उन्होंने उसकी बेटी को अपने पक्ष में बयान देने की धमकी दी। गिल ने कहा कि वह आदमी पहले से शादीशुदा है। उसके चार बच्चे हैं, जिनमें तीन बेटियां और एक बेटा है। उन्होंने अदालत को बताया कि बाल विवाह प्रतिबंध अधिनियम 1929 कहता है कि ‘‘बच्चे‘‘ के विवाह को कानूनी नहीं माना जा सकता है यदि पुरुष की आयु 18 वर्ष से कम है और महिला की आयु 16 वर्ष से कम है। हालांकि, अदालत ने अपील को खारिज कर दिया और अपने शुरुआती फैसले के साथ आगे बढ़ी। गिल अभी भी अपनी बेटी के लिए कानूनी रूप से लड़ रहे हैं।
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