सपा नेता उम्मेद पहलवान, एफआईआर दर्ज होने के बाद से फरार चल रहा था. अंततः पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में यह खुलासा हुआ कि उम्मेद अपनी राजनीति चमकाने के लिए साम्प्रदायिक दंगा कराना चाहता था.
सपा नेता उम्मेद पहलवान, अपने राजनीतिक लाभ के लिए साम्प्रदायिक दंगा कराना चाहता था. मौलवी अब्दुल समद के साथ मारपीट की घटना बंथला स्थित परवेश गुज्जर के घर पर हुई थी मगर उम्मेद ने घटनास्थल लोनी बार्डर दर्शाया. इसकी वजह यह थी कि उम्मेद लोनी बॉर्डर के आस – पास इलाके में ही राजनीति करता है. वह चाहता था कि लोनी बार्डर के पास ही इस मामले को लेकर आक्रोश भड़के ताकि वह अपनी राजनीति चमका सके. गिरफ्तार होने के बाद उम्मेद पहलवान का मोबाइल फोन जब पुलिस ने चेक किया तो पाया कि उसने सभी रिकॉर्ड डिलीट कर दिया है. पुलिस इसकी रिकवरी के लिए तकनीकी मदद ले रही है.
पूछताछ में ज्ञात हुआ कि उम्मेद ने झूठी शिकायत दर्ज कराने का षड्यंत्र रचा था. उम्मेद घटना के बाद से हर समय मौलवी अब्दुल समद के संपर्क में बना हुआ था. वह मौलवी को लेकर बुलंदशहर और दिल्ली भी गया था. उम्मेद पहलवान के विरुद्ध इसके पहले भी मुदकमे दर्ज हो चुके हैं. वर्ष 2015 में उम्मेद के विरूद्ध साहिबाबाद थाने में छेड़छाड़ के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई थी. वर्ष 2017 में उम्मेद पहलवान के विरूद्ध लोनी बॉर्डर थाने में गो-कशी के मामले में भी एफआईआर दर्ज हुई थी. उम्मेद पहलवान के विरुद्ध एक हत्या के प्रयास का मुकदमा भी दर्ज हुआ था.
उल्लेखनीय है कि गाजियाबाद के लोनी में गत 5 जून को एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. वीडियो में मौलवी अब्दुल समद ने झूठा बयान दिया था कि "कुछ युवकों ने उसकी पिटाई कर दी और असलहा दिखा कर जान से मारने की धमकी दी. उन लोगों ने असलहे के दम पर ‘जय श्री राम’ का नारा लगवाया." मौलवी अब्दुल समद ने अज्ञात व्यक्तियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई थी. पुलिस ने प्रारम्भिक जांच में पाया कि मौलवी द्वारा दी गई सभी जानकारी गलत थी. जिन लोगों ने उसे मारा पीटा था. मौलवी उन लोगों को जानता था, बावजूद उसके, एफआईआर अज्ञात लोगों के विरुद्ध दर्ज कराई. घटना स्थल पर ‘जय श्री राम’ का उद्घोष लगाने जैसी कोई घटना नहीं हुई थी. सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न कराने की नीयत से इस तरह का बयान रिकॉर्ड करके सोशल मीडिया पर अपलोड किया था.
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