डॉ. अंबा शंकर बाजपेयी
पश्चिम बंगाल में जारी राजनीतिक हत्याओं के दौर में गत 17 जून को एक नाम और जुड़ गया, जब तृणमूल के गुंडों ने पूर्व मेदिनीपुर के भाजपा कार्यकर्ता देबाशीष आचार्य पर जानलेवा हमला कर दिया. जिससे उनके सिर में गंभीर चोटे आई और घटना स्थल पर ही उनकी मृत्यु हो गई
पश्चिम बंगाल में जारी राजनीतिक हत्याओं के दौर में गत 17 जून को एक नाम और जुड़ गया, जब तृणमूल के गुंडों ने पूर्व मेदिनीपुर के भाजपा कार्यकर्ता देबाशीष आचार्य पर जानलेवा हमला कर दिया. जिससे उनके सिर में गंभीर चोटे आई और घटना स्थल पर ही उनकी मृत्यु हो गई. हमलावर मृतक के शव को राष्ट्रीय राजमार्ग-41(सोनापाटिया मोड़ टोल प्लाजा) पर फेक कर फरार हो गए.
इलाके में टीएमसी के गुंडों द्वारा फैलाई जा रही अशांति पर स्थानीय निवासी सुतानू जेना कहते हैं कि पूर्व मेदिनीपुर जो कि परंपरागत रूप से सुबेंदु अधिकारी के प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है और सुबेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को हराया है. वैसे तो पूरे प्रदेश में आये दिन तृणमूल कांग्रेस के गुंडों द्वारा किसी न किसी संघ व भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता की हत्या होना एक दैनिक कार्य हो गया है. लेकिन पूर्व मिद्नीपुर में हत्याएं ज्यादा की जा रही हैं. इतना ही नहीं यहाँ पर महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार व दुष्कर्म के मामले भी सामने आये हैं.
ज्ञात हो की देबाशीष आचार्य 2015 में तब चर्चा में आये जब कथित तौर पर तृणमूल कांग्रेस की राजनीतिक सभा में ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी को थप्पड़ जड़ दिया था. उस घटना बाद देबाशीष को अभिषेक के समर्थकों ने बुरी तरह पीटकर मरणासन्न कर दिया था. हालाँकि उस रैली के बाद अभिषेक बनर्जी की तरफ से यह आधिकारिक बयान दिया गया था कि उन्होंने देबाशीष आचार्य को माफ़ कर दिया है. लेकिन अब गुरुवार को उन पर हुए जानलेवा हमले से मौत ने इस मामले को एक बार फिर से गरमा दिया है.
प्रदेश में है आपात स्थिति
प्रदेश में हो रहीं राजनीतिक हत्याओं से भाजपा कार्यकर्ताओं-समर्थकों में मे भय व्याप्त हो गया है. इसके चलते अनगिनत लोग अपने घरों में दुबके हुए हैं। यहां तक कि हजारों लोगों ने पड़ोसी राज्यों में पलायन करके शरण ली हुई है. पश्चिम-बंगाल में भाजपा के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय कहते हैं कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति इतनी ख़राब है। राज्य में राष्ट्रपति शासन जैसे हालात हो गए हैं। प्रदेश में अभी तक 48 भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी हैं. वहीँ दूसरी तरफ बांग्लादेश से आये मुस्लिम घुसपैठियों के कारण राज्य में हिन्दू महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाओं में अभूतपूर्व तेजी आयी है.
प्रदेश में व्याप्त “लक्षित हिंसा” और इस हिंसा में राज्य पुलिस की मौन स्वीकृति ने प्रशासन की असलियत देश के सामने ला दी है। प्रदेश में महिलाओं के साथ हो रही दुष्कर्म जैसी जघन्य घटनाओं पर पुलिस केस तक फाइल नहीं करती है.
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