आलोक गोस्वामी
शरारती चीन भारत में अपनी साजिशी हरकतें जारी रखे हुए है। पता चला है कि भारत की दूरसंचार कंपनियों और रक्षा अनुबंधकों पर वह निशाना साध रहा है
कोरोना का कथित जनक, विस्तारवादी चीन महामारी के दौरान भी अपनी शरारतों से बाज नहीं आ रहा है। एक तरफ तो वह विभिन्न देशों को कोरोना से लड़ने में 'मदद' की बात कर रहा है, तो दूसरी तरफ कोरोना की उत्पत्ति से जुड़े वुहान लैब में दफन राज खोलने में आनाकानी कर रहा है। भारत को लेकर उसकी शरारतें उसकी कुटिल मंशा के नित नए पहलू सामने ला रही हैं।
ताजा जानकारी के अनुसार, चीन ने भारत में दूरसंचार सहित अनेक क्षेत्रों में साइबर रास्ते से घुसपैठ करने की कोशिश की है। उसकी इस चाल के बारे में अभी तक छन कर आईं बातों में से एक है कि वह भारत की दूरसंचार कंपनियों, सरकारी एजेंसियों और अनेक रक्षा अनुबंधकों पर निशाना साध रहा है। यह बात उजागर की है साइबर खतरों की खुफिया जानकारी रखने वाली एक अमेरिकी कंपनी ने। चीन की जासूसी कार्रवाइयों के ये सबूत अमेरिका से जारी एक रपट में मौजूद हैं। उसमें कहा गया है कि चीन का यह आपरेशन पीएलए यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की एक खास इकाई से जुड़ा है। खबर है कि, चीन की तरफ से भारत की दो दूरसंचार कंपनियों और रक्षा क्षेत्र के तीन अनुबंधकों की जासूसी की जा रही थी।
चीन के एक 'प्रायोजित समूह' 'रेडफॉक्सट्रोट' ने 2020 तथा 2021 में अब तक कई भारतीय संस्थानों को निशाना बनाया है। अमेरिकी रपट का दावा है कि भारत में उन्होंने विशेष तौर पर पिछले छह महीने में दो दूरसंचार संगठनों, तीन रक्षा अनुबंधकों और कई दूसरे सरकारी और निजी क्षेत्र के संगठनों को निशाना बनाने में कामयाबी हासिल की है।
उक्त रपट में जो निष्कर्ष प्रकाशित किया गया था, उसमें बताया गया था कि चीन के 'साइबर आपरेशन्स' के तहत इस साल के शुरू में बिजली और बंदरगाह क्षेत्रों में भारत के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया था। चीन की 'रेडइको' नाम की यह यूनिट मार्च में सामने आई थी। अमेरिका के विशेषज्ञों ने इसकी पहचान चीनी सरकार के 'प्रायोजित समूह' के रूप में की है।
इस प्रायोजित समूह का नाम है 'रेडफॉक्सट्रोट'। पता चला है कि इसने 2020 तथा 2021 में अब तक कई भारतीय संस्थानों को निशाना बनाया है। अमेरिकी रपट का दावा है कि भारत में उन्होंने विशेष तौर पर पिछले छह महीने में दो दूरसंचार संगठनों, तीन रक्षा अनुबंधकों और कई दूसरे सरकारी और निजी क्षेत्र के संगठनों को निशाना बनाने में कामयाबी हासिल की है।
उल्लेखनीय है कि अभी मई में ही भारतीय विमान सेवा एयर इंडिया ने यह खुलासा करके अपने ग्राहकों को चिंता में डाल दिया था कि फरवरी 2021 में उसकी साइट को हैक किया गया था, जिसमें दुनियाभर में उसके करीब 45 लाख ग्राहकों की कुछ जानकारियों वाला डाटा लीक हो गया है। और ऐसा सिर्फ एयर इंडिया के साथ ही नहीं हुआ था, दुनिया की कई और बड़ी विमान सेवाओं के डाटा में भी सेंध लगाई गई थी। यह साइबर हमला किसने किया, क्यों किया, कैसे किया, इन सवालों पर जांच चल रही है। लेकिन एक बात तो तय है, और अमेरिका के अनेक बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठानों को भी आशंका है, कि चीन की शरारती हरकतें किसी भी हद तक जा सकती हैं। भारत के दूरसंचार प्रतिष्ठानों और रक्षा प्रतिष्ठानों में हालांकि पहले से ही सतर्कता बरती जा रही है, लेकिन अब दुनिया में बढ़ते जा रहे साइबर खतरे ने और चौकस रहने का इशारा किया है।
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