कन्वर्जन से परेशान खूंटी जिले के लोग अब ईसाई मत प्रचारकों का खुलेआम विरोध करने लगे हैं। यही कारण है कि पिछले दिनों रायसेमला गांव से एक ईसाई पास्टर मसीह टोपनो भाग गया। बता दें कि रायसेमला वही गांव है, जहां लॉकडाउन के दौरान कन्वर्जन और जमीन हथियाने का काम ईसाइयों ने किया था
झारखंड में ईसाई मत प्रचारकों और पादरियों के विरुद्ध 11 जून को प्रारंभ हुआ अभियान अपना रंग दिखाने लगा है। पता चला है कि विरोध के कारण खूंटी जिले के रायसेमला गांव से एक पास्टर भाग गया है। उल्लेखनीय है कि रायसेमला वही गांव है, जहां पिछले दिनों ईसाइयों ने हिंदुओं का सामाजिक बहिष्कार कर दिया था। जो लोग ईसाई बन गए थे, वे लोग हिंदुओं पर ईसाई बनने का दबाव डाल रहे थे। जिन लोगों ने ऐसा नहीं किया था, उन्हें चर्च के इशारे पर गांव के कुएं से पानी नहीं भरने दिया जा रहा था। यही नहीं, गांव में जो चर्च बना है, उसके लिए छल से एक हिंदू की जमीन पर कब्जा कर लिया गया था। इन सबको देखते हुए सामाजिक कार्यकर्ता प्रिया मुंडा ने गांव—गांव से पादरी भगाओ अभियान शुरू किया है। अभियान का प्रारंभ रायसेमला गांव में हुई एक पंचायत के बाद हुआ था। 11 जून को हुई इस पंचायत में निर्णय लिया गया था कि गांव में किसी पादरी को घुसने नहीं दिया जाएगा और जो पहले से ही गांव में रहकर कन्वर्जन का काम कर रहे हैं, उन्हें भगाया जाएगा। इसके साथ ही ग्रामीणों ने यह भी निर्णय लिया कि जो लोग ईसाई मत अपनाएंगे, उनका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा। इसके अन्तर्गत गांव के लोग ईसाई बने परिवारों से रोटी—बेटी का संबंध नहीं रखेंगे। उन्हें स्थानीय जंगलों से लकड़ी नहीं काटने दिया जाएगा। यही नहीं, यदि ईसाई बन चुका कोई व्यक्ति मर गया तो उसे गांव के श्मशान में जगह नहीं दी जाएगी।
इस अभियान के साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन देकर बताया जा रहा है कि किस तरह ईसाई 2017 में बने कन्वर्जन कानून का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं। इस कानून के अनुसार किसी का कन्वर्जन करने से पहले प्रशासन से लिखित अनुमति लेनी पड़ती है, लेकिन कन्वर्जन करने वाले इस नियम को तनिक भी नहीं मान रहे हैं। पिछले दिनों खूंटी के उपायुक्त को एक ज्ञापन दिया गया है। इसमें मांग की गई है कि जो लोग 2017 के कनवर्जन कानून का उल्लंघन कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
टिप्पणियाँ