केरल में राजस्व भूमि पर बड़े पैमाने पर संरक्षित पेड़ों की कटाई हुई है। इसकी व्यापक जांच की मांग को लेकर भाजपा ने राज्यव्यापी विरोध के एक हिस्से के रूप में बुधवार को कोच्चि में एक प्रदर्शन किया।
भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष ए.एन. राधाकृष्णन ने कहा कि पिनरई विजयन सरकार ने 300 से 400 साल पुराने विशाल पेड़ों को काटकर राज्य को लूटा। सत्तारूढ़ एलडीएफ को इससे लगभग 1,000 करोड़ रुपये का फायदा हुआ। मामले का खुलासा होने के बाद कुछ अधिकारियों को निलंबित कर लीपापोती की कोशिश की जा रही है। यह एलडीएफ द्वारा पिछले विधानसभा चुनाव से पहले किया गया घोटाला है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रकृति का बेरहमी से दोहन कर रही है।
उन्होंने कहा, "इस मामले में गहन जांच की आवश्यकता है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय और संबंधित विभाग इसमें हस्तक्षेप करेंगे। हमें इस लूट को समाप्त करना होगा। इसके पीछे राज्य सरकार और एलडीएफ हैं। भाजपा ने आज करीब 15,000 केंद्रों पर विरोध की घोषणा की है।"
इससे पहले मंगलवार को केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने वायनाड और राज्य के कई जिलों में राजस्व भूमि पर पेड़ों की कटाई पर केरल सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया था। केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि राज्य सरकार को पुलिस, राजस्व और वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की विशेष जांच टीम गठित करने के बजाय एक स्वतंत्र एजेंसी को मामले की जांच के लिए अधिकृत करना चाहिए था।
बता दें कि 8 जून को कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के नेताओं ने केरल विधानसभा से बहिर्गमन किया था। उनका आरोप था कि वाम सरकार ने वायनाड के एक वनवासी गांव में कृषि के लिए आवंटित राजस्व भूमि में वन माफिया द्वारा पेड़ों की अवैध कटाई और तस्करी के दोषियों को बचा रही है।
स्थगन प्रस्ताव का नोटिस देने वाले पी.टी थॉमस का आरोप है कि वायनाड के मुत्तिल इलाके से एर्नाकुलम तक शीशम के करोड़ों के पेड़ों की कटाई कर लकड़ी की तस्करी कर लाया गया। 24 अक्तूबर, 2020 को राजस्व प्रधान सचिव द्वारा जारी एक सरकारी आदेश की आड़ में पेटों को काटा गया। इस आदेश में किसानों को उन पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई थी, जिसे उन्होंने आवंटित भूमि में लगाया था।
विपक्ष के नेता वी.डी. सतीसन ने यह आरोप भी लगाया था कि विवाद के बाद इस सरकारी आदेश को 2 फरवरी को वापस ले लिया गया था। लेकिन तब तक न केवल वायनाड, बलिक कई जिलों में बड़े पैमाने पर पेड़ काटे जा चुके थे। वन मंत्री और राजस्व मंत्री इस मुद्दे को लेकर पूरी तरह से भ्रमित हैं और सवालों से बचने की कोशिश कर रहे हैं।
राज्य के वन मंत्री ए.के ससींद्रन ने इस बाबत विधानसभा में जानकारी दी थी कि 101 पेड़ काटे गए और चोरी की गई लकड़ी की कीमत 10 करोड़ रुपये है। वन अधिकारियों ने एर्नाकुलम के पेरुंबवूर में एक आरा मशीन से लकडि़यां बरामद की हैं। इस मामले में अब तक 41 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। साथ ही, कहा था कि सरकार ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए कदम उठाए हैं।
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