पाकिस्तान की संसद में मंगलवार को जबरदस्त हंगामा, मारपीट और गाली-गलौज हुई। आलम यह था कि सत्तापक्ष और विपक्षी सदस्य एक-दूसरे गुत्थम-गुत्था हो रहे थे। दोनों तरफ से माइक उछाले जा रहे थे, किताबें फेंकी जा रही थीं और बजट के पन्नों का रॉकेट बनाकर एक-दूसरे पर हमला कर रहे थे। संसद हॉल युद्ध का मैदान बना हुआ था और सदस्य दो गुटों में बंटे हुए थे। आलम यह था कि सांसद भाग भी नहीं सकते थे। इस मारपीट और हंगामे में महिला सांसद की आंख में चोट आई।
क्यों हुआ हंगामा?
11 जून को वित्त मंत्री शौकत तरिन ने बजट प्रस्तुत किया था। यह इमरान खान सरकार का तीसरा बजट है। विपक्ष ने इसे गरीबों के लिए घातक बजट बताया है। संसद में मंगलवार को बजट पर चर्चा होनी थी, लेकिन उपद्रव के बीच चर्चा तो दूर बजट प्रस्ताव भी नहीं रखा जा सका। शौकत इमरान खान सरकार में चौथे वित्त मंत्री हैं। शौकत और उनके भाई जहांगीर तरिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। विपक्ष का कहना है कि दोनों को इमरान खान का करीबी होने के कारण बचाया जा रहा है।
ऐसे पड़ी हंगामे की नींव
दरअसल, सरकार की नीति थी कि विपक्ष के नेता को बजट पर बोलने नहीं देना है। 11 जून को विपक्ष के शोर-शराबे के बीच वित्त मंत्री शौकत तारिन द्वारा पेश बजट पर शहबाज शरीफ को अपना उद्घाटन भाषण पूरा करना बाकी है। सूचना मंत्री फवाद चौधरी पहले ही कह चुके हैं कि जब तक शहबाज शरीफ और बिलावल भुट्टो-जरदारी लिखित गारंटी नहीं देंगे कि वे चुपचाप प्रधानमंत्री इमरान खान और मंत्रियों के भाषण को चुपचाप सुनेंगे, उन्हें बोलने की इजाजत दी जाएगी। शाहबाज शरीफ पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) के सांसद और प्रतिपक्ष के नेता हैं।
पहले दोनों पक्षों की ओर से नारेबाजी
मंगलवार को जैसे ही शहबाज शरीफ ने सदन में कदम रखा, विपक्षी पार्टियों के सांसद सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना करने लगे। इसके बाद कोषागार के सदस्य खड़े होकर सीटी बजाने लगे और डेस्क पीट-पीट कर चोर, चोर, लुटेरा, लुटेरा जैसे नारे लगाने लगे। वे "टीटी, टीटी" भी बोल रहे थे, जिसका मतलब होता है "टेलीग्राफिक ट्रांसफर"। इस शब्द का प्रयोग अक्सर देश में धनशोधन के लिए किया जाता है। वहीं, पिछली बेंच पर बैठे विपक्षी सांसद भी कोषागार सदस्यों के खिलाफ नारे लगा रहे थे। वे कह रहे थे- ‘लाठी गोली की सरकार नहीं चलेगी’, ‘गो नियाजी गो’, ‘आटा चोर, चीनी चोर’ और ‘गली में शोर है, अलीमा बाजी चोर है’ जैसे नारों से जवाब दिया। बता दें कि अलीमा खान प्रधानमंत्री इमरान खान की बहन हैं। विपक्ष का आरोप है कि उन्होंने अपनी चल-अचल संपत्तियों का खुलासा नहीं किया है।
निशाने पर थे शहबाज शरीफ
शहबाज शरीफ बोलने के लिए खड़े हुए तो सत्ता पक्ष के लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया। कुछ कोषागार सदस्य विपक्ष की बेंच की ओर बढ़े, लेकिन सुरक्षा कर्मचारियों ने उन्हें रोक दिया। इसके बाद वे विपक्ष की ओर किताबें और बजट के पन्नों का रॉकेट बना कर उनकी ओर फेंकने लगे। जवाब में विपक्ष ने भी यही किया। अली नवाज अवान सहित कुछ सांसदों ने तो भद्दी-भद्दी गालियां भी दीं। दोनों पक्षों के लोग कुर्सियों पर खड़े होकर नारेबाजी करते रहे। बाद में हंगामा इतना बढ़ गया कि उन्हें अपना भाषण बंद करना पड़ा। संसद हॉल पूरी तरह युद्ध भूमि में बदल चुका था। पीएमएल(एन) सांसदों ने शहबाज को सुरक्षा कवच के तौर पर घेर रखा था, ताकि सत्ता पक्ष की ओर से कोई उन पर हमला न कर दे।
तीन बार कार्यवाही स्थगित
अराजक स्थिति को देखते हुए अध्यक्ष असद कैसर को तीन बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। पहली बार जब उन्होंने 40 मिनट के लिए कार्यवाही स्थगित की घोषणा की, तब अली नवाज अवान, जो प्रधानमंत्री के विशेष सहायक भी है, ने विपक्ष की ओर एक किताब फेंकी। दो दर्जन से अधिक सुरक्षाकर्मियों ने दोनों गुटों को अलग करने के लिए संसद हॉल में मानव दीवार बनाई। दोनों गुटों की झड़प में सुरक्षार्मियों को भी चोटें आईं। इसके बाद जाकर कार्रवाई शुरू की जा सकी। इसके बाद तीसरी और आखिरी बार तब कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी, जब सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्य हमलावर हो गए और सुरक्षाकर्मी उन्हें रोकने में विफल हो गए। आलम यह था कि कार्यवाही स्थगित होने से पहले ही पीएमएल(एन) के सांसद सुरक्षा घेरे में शाहबाज शरीफ को बाहर ले जा चुके थे। कार्यवाही स्थगित होने के बाद भी करीब 10 मिनट तक सांसद एक-दूसरे पर चीजें फेंकते रहे। अंत में हॉल की बत्ती बंद करनी पड़ी।
इन्हें आई चोट
हंगामे के बीच कानून मामलों की संसदीय सचिव मलीका बुखारी की ओर किसी ने कुछ फेंका, जिससे उनकी आंख में चोट आई। बाद में संसद भवन औषधालय में उनका प्राथमिक उपचार किया गया। बुखारी के अलावा मारपीट में कुछ अन्य सांसदों को भी चोटें आईं। हंगामा करने में सबसे आगे वे कराची से सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के सांसद थे, जो कोषागार सदस्य हैं। इनमें फहीम खान, अली नवाज अवान और कश्मीर मामलों के मंत्री व गिलगित-बाल्टिस्तान के अली अमीन गंडापुर शामिल थे। अध्यक्ष ने कई बार फहीम खान का नाम लेकर उन्हें अपनी सीट पर जाने को कहा, लेकिन वे नहीं ‘रणभूमि’ में डटे रहे।
इमरान तमाशा देखते रहे
दिलचस्प बात यह है कि शाह महमूद कुरैशी, असद उमर, शफकत महमूद, फवाद चौधरी, अली मुहम्मद खान, अली अमीन गंडापुर, मुराद सईद और शिरीन मजारी जैसे कई वरिष्ठ कैबिनेट सदस्यों की उपस्थिति में हंगामा और गाली-गलौज हुआ। उपद्रव रोकने का प्रयास करना तो दूर वे खुद उसमें शामिल हो गए और माहौल को अराजक बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। यहां तक कि प्रधानमंत्री समेत सत्ता पक्ष के तमाम नेता हंस रहे थे।
हंगामे के जांच के आदेश
संसद की कार्यवाही स्थगित करने के बाद अध्यक्ष असद कैसर ने ट्वीट किया कि उन्होंने संसद की कार्यवाही के दौरान हुई घटनाओं की जांच का आदेश दे दिया है। साथ ही लिखा, "असंसदीय भाषा का प्रयोग करने वाले सदस्यों को बुधवार को सदन में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।" उन्होंने लिखा है, "विपक्ष और कोषागार, दोनों के सदस्यों द्वारा असंसदीय रवैया और अभद्र भाषा का प्रयोग निंदनीय और निराशाजनक है।" बता दें कि संसद अध्यक्ष ने पहले भी कई कोषागार और विपक्षी सदस्यों को उपद्रव बनाने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की थी।
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