संदीप त्रिपाठी
कोरोना काल को इसाई मिशनरियों ने अवसर के तौर पर लिया और बीमारों, गरीबों के लिए प्रार्थना, दवा, कपड़े और भोजन पैकेट के जरिए उन्हें अपने झांसे में लिया। लॉकडाउन में ढील के साथ ही इन हिंदुओं का इसाई मत में कन्वर्जन और नए गोस्पेल का निर्माण इस स्तर पर हुआ जितना इससे पूर्व के 25 वर्षों में नहीं हुआ था।
क्या आपको पता है कि कान्हा को ब्रज क्षेत्र से विस्थापित करने के प्रयास चल रहे हैं? जब पूरी दुनिया कोरोना के वायरस से जूझ रही है, तब कान्हा का ब्रज क्षेत्र एक अलग ही वायरस से जूझ रहा है। ये है कन्वर्जन का वायरस। कोरोना काल में ब्रज क्षेत्र में देखने में आया कि यहां यीशु (ईसा मसीह का बाल रूप) को कान्हा के समकक्ष खड़ा करने की गतिविधियां हो रही हैं। यीशु का गुणगान करने वाले गीत ब्रज भाषा में लिखे और गाए जा रहे हैं। ब्रज क्षेत्र में आने के बाद यीशु के चित्र भेड़ों के साथ होने के बजाय गायों के साथ दिखने लगे हैं। यीशु को कान्हा के सदृश दशार्ते हुए वीडियो बन रहे हैं। और, इसाई मत में मतांतरित हो चुके लोग और ब्रज के अभिवादन ‘राधे-राधे’ को छोड़ कर दबी जुमान में ‘मॉर्निंग’ बोलना शुरू कर चुके हैं। ऐसी टोलियों से स्थानीय श्रद्धालु समाज से मारपीट की घटनाएं भी हुई हैं।
इसाई पट्टी से घिरा ब्रज क्षेत्र
गोवर्धन क्षेत्र में हरियाली के लिए काम करने वाले और कृष्ण सर्किट के चेयरमैन रहे सत्यप्रकाश मंगल ब्रज क्षेत्र में इसाई मिशनरिंयों की बड़ी साजिश का खुलासा करते हैं। श्री मंगल बताते हैं कि ब्रज क्षेत्र इसाई मिशनरियों की एक बड़ी साजिश का शिकार हो रहा है। श्री मंगल आगाह करते हैं कि ब्रज क्षेत्र 84 कोसी परिक्रमा मार्ग से सटे-सटे चारों तरफ से इसाई पट्टी से घिर गया है। परिक्रमा मार्ग के दोनों तरफ 5-5 किलोमीटर के इलाके में मिशनरियों ने अपना प्रभाव काफी बढ़ा लिया है। श्री मंगल बताते हैं कि यह काम इतनी खामोशी से धीरे-धीरे हुआ है कि एकबारगी नजर में नहीं आता। इन स्थानों पर ढेर सारे स्कूल और गोस्पेल (हाउस चर्च) खुल गए हैं। आसपास के गांवों के लड़के-लड़कियों को मनोरंजन के नाम पर एकत्र कर सायंकाल बाइबिल की शिक्षाएं दी जाती हैं। (मंगल जी यहां चिल्ड्रेन्स बाइबिल क्लब के बारे में बता रहे हैं।) यहां बाइबिल के साथ ही खेल-कूद और और नृत्य-संगीत भी होता है और इस बहाने उनकी मानसिकता में यीशू का प्रभाव बढ़ाया जाता है। मंगल जी बताते हैं कि यीशु का प्रचार करने के लिए मिशनरी भगवा पहनने लगे हैं। इन मिशनरियों से स्थानीय श्रद्धालुओं की अक्सर भिड़ंत भी होती रहती है।
दवा, कपड़ा, और भेजन पैकेट से की घुसपैठ
मथुरा छावनी क्षेत्र के निवासी और भाजपा के मंडल महामंत्री रहे उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता सार्थक चतुवेर्दी बताते हैं कि प्रारंभ में अमेरिका से दो महिलाएं आती थीं। वे होटलों में ठहरती थीं और आसपास के गांवों के प्रधानों को संपर्क कर उन्हें प्रभाव में लेने का प्रयास करती थीं। धीरे-धीरे तमाम मिशनरी आने लगे। प्रार्थना सभाओं के माध्यम से ये छावनी क्षेत्र से सटे बिडजापुर, तनपुरा, अक्का जैसे कई गांवों में मिशनरियों का बड़े पैमाने पर कन्वर्जन किया है। बाल यीशू को कान्हा की जगह स्थापित किया जा रहा है। पहले जहां मंदिरों की भरमार थी, अब वहां चर्च की भारी तादाद हो गई है। मिशनरियों ने मथुरा, वृंदावन और गोवर्धन क्षेत्र में अपेक्षाकृत अधिक काम किया है। यहां ढेर सारे गोस्पेल और चर्च बन गये हैं। कन्वर्जन के लिए मिशनरियों के निशाने पर ग्रामीण जनता मुख्य रूप से है। ग्रामीणों को दिक्कत होने पर उनकी तत्काल सुनते हैं और मदद करके उन्हें कन्वर्जन के लिए राजी करते हैं। स्थानीय निवासी और हिंदू जागरण मंच ने कई बार शिकायत की परंतु मिशनरी प्रार्थना सभा के नाम पर बच निकलते हैं। कोरोना काल में गरीबों को दवाओं, कपड़े और भोजन पैकेट के वितरण के माध्यम से मिशनरियों ने तेजी से काम बढ़ाया है।
बृज बोली और परंपराओं का उपयोग
मिशनरियों ने ब्रज क्षेत्र और भगवान कृष्ण को मानने वाले हिंदुओं के कन्वर्जन के लिए अलग स्तर पर साजिश रची है। मिशनरीज ने यहां की स्थानीय बोली और परंपराओं को अपना लिया है। इसाई बन गए लोगों के गले में तुलसी दल की माला के साथ क्रास का निशान डाला जाता है। चर्च के द्वारा पर चंदन का तिलक लगाकर स्वागत किया जाता है। फादर वर्ग ने सफेद चोगा छोड़ कर भगवा चोगा धारण कर लिया है। कृष्ण के भजन, गीतों के तर्ज पर यीशू के भजन-गीत बृज भाषा में रचे हैं और इन्हें कैसेट, सीडी, पुस्तकों के जरिये घर-घर पहुंचाया जा रहा है। ब्रज क्षेत्र में आम अभिवादन ‘राधे-राधे’ की जगह ‘मॉर्निंग’ बोलना सिखाया जा रहा है।
मिशनरियों ने कुछ सीरियल, लघु फिल्में बनवाई हैं। इसके लिए कृष्णभावनामृत संघ बनाया गया है। हरे कृष्णा टीवी पर जारी ऐसे ही जीजस और कृष्णभावनामृत कार्यक्रम में भागवत गीता का उद्धरण देकर जीजस को पूजने की प्रेरणा दी गई है। इसमें कहा गया है कि कृष्ण ने गीता में कहा है कि वे जगत के पिता हैं और जीजस ईश्वर के पुत्र हैं। इसलिए जो कृष्ण को समझेगा, मानेगा, वह जीजस को भी अवश्य मानेगा, समझेगा। यह कार्यक्रम हरे कृष्णा टीवी पर तीन वर्ष पूर्व मनीषा जखमोला की ओर से अपलोड किया गया है। इसमें कहा गया कि भगवत भावना के लिए जीजस सूली पर लटक गए। ऐसे ही यीशू को कान्हा के तौर पर दिखाने वाली लघु फिल्में भी बनाई गई है।
ब्रज क्षेत्र में मथुरा की मांट तहसील के सुरीर कोतवाली क्षेत्र के गांव इरौली गुर्जर में दिसंबर, 2017 में बाल्मिकी समाज के लोगों को कन्वर्जन के लिए प्रलोभन देने के आरोप में 7 मिशनरियों को गिरफ्तार किया गया था। कोरोना काल में ऐसी हैरान करने वाली घटना अकेले ब्रज क्षेत्र में ही नहीं है। पास के बागपत जिले में खेकड़ा कोतवाली क्षेत्र में दिसंबर, 2020 में खबरें आई कि बड़ागांव पुलिस चौकी के पास जंगलों में इसाई मिशनरी तीन साल से टेंट लगाकर बीमारी ठीक करने के बहाने सीधे-साधे ग्रामीणों का कन्वर्जन कर रहे हैं। हिंदू संस्थाओं का आरोप था कि तीन साल में करीब 400 लोगों को इसाई बनाया गया। पुलिस ने टेंट हटवा कर छानबीन शुरू कर दी थी।
लॉकडाउन के दौरान तकरीबन
1,00,000 कन्वर्जन हुए
बागपट में तीन साल में करीब
400 लोगों को इसाई बनाया गया।
महाराष्ट में थाणे जिले के उल्हासनगर में पिछले कुछ वर्षों में कम से कम 20 से
30,000 सिंधियों के इसाई मत अपनाने की खबरें हैं।
भारत के अन्य क्षेत्रों में कन्वर्जन
इससे आगे देखें तो इसाई मिशनरियों के निशाने पर मुख्यत: दलित, पिछड़े और आदिवासी क्षेत्र हैं। इस क्रम में भारत के पूर्वोत्तर राज्य, झारखंड, छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों के पिछड़े-आदिवासी क्षेत्रों कन्वर्जन की तमाम घटनाएं लगातार होती रही हैं। झारखंड में मिशनरियों ने इसाई कन्वर्जन के विरुद्ध क्रांति करने वाले बिरसा मुंडा के वंशजों तक को अब इसाई मत में दीक्षित करा लिया है (विस्तृत रिपोर्ट आगे के पृष्ठ पर)।
कोरोना काल शुरू होने से अब तक देशभर में कन्वर्जन और कन्वर्जन के प्रयासों की तमाम घटनाएं सामने आईं। मध्य प्रदेश में ग्वालियर की घटना (विस्तृत रिपोर्ट आगे के पृष्ठों पर) के अलावा रतलाम जिले में एक स्वास्थ्य कर्मी द्वारा प्रचार की घटना बहुत वायरल हुई। यह स्वास्थ्यकर्मी महिला स्वास्थ्य सर्वेक्षण करते हुए लोगों को स्वस्थ रहने के लिए जीजस पर विश्वास करने और इसाई मत में कन्वर्जन के लिए प्रेरित कर रही थी। इसे बड़े परिप्रेक्ष्य में देखें तो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. जयालाल पर भी ऐसे ही आरोप हैं जिस पर दिल्ली न्यायालय उन्हें फटकार चुका है।
इसी तरह उत्तरांचल में 2013 की बाढ़ में मिशनरियों ने राज्य के दलितों को मदद करके उनका इसाई मत में कन्वर्जन किया था। 2020 के कोरोना काल में इसाई मिशनरियों को फिर अवसर मिला और उन्होंने इस बार दलितों और पिछड़ों को निशाना बनाया और कोरोना काल में गांव-गांव में रोजगारहीन हुए परिवारों को सप्ताह में दो बार राशन पहुंचाना शुरू किया और यह सुनिश्चित किया कि हर घर में रोजाना खाना बने। कुछ परिवारों को इतनी वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराई गई कि उन्होंने अपने घर भी बनवाए और अपने घरों की छतों पर गोस्पेल बनवाए। इसी तरह पंजाब में भी मिशनरीज ने दलित सिखों को निशाने पर रखा और आज कहा जा रहा है कि पंजाब की 10 प्रतिशत आबादी इसाई बन चुकी है। यहां प्रार्थना और चंगाई सभा के जरिए कन्वर्जन का खेल चल रहा है। इन सभाओं में हजारों-हजार लोग आते हैं और उन्हें यीशू के चमत्कार से रोगमुक्त होने का झांसा दिया जाता है। इन रोगियों में कई मर जाते हैं परंतु उनके परिवार तब तक मिशनरीज के चंगुल में फंस चुके होते हैं। इसी तरह गुरुद्वारों में भी मिशनरीज सेंध लगा चुके हैं, चीफ खालसा दिवान के कई अधिकारियों के इसाई मत में कन्वर्ट होने की खबरें हैं जिसके कारण अकाल तख्त ने कई अधिकारियों को तलब किया है।
महाराष्ट् में थाणे जिले के उल्हासनगर में पिछले कुछ वर्षों में कम से कम 20 से 30,000 सिंधियों के इसाई मत अपनाने की खबरें हैं। यहां दो तरह से कन्वर्जन हो रहा है। एक तो प्रार्थना घर बने हैं जिसमें साप्ताहिक एकत्रीकरण होता है। इसमें हिंदू ही आते हैं। इन प्रार्थना सभाओं में आना फैशन हो गया है। इसके जरिए कन्वर्जन होता है। इसके अलावा मिशनरी घर-घर जाकर भी लोगों को इसाई बनने के लिए प्रेरित करते हैं। फिलहाल, उल्हासनगर में और इसके आसपास कई लघु चर्च बन गए हैं। ये चर्च मंदिर की तरह दिखते हैं और इसमें हिंदुओं की तरह ही भगवान यीशू की मूर्ति होती है।
बीती मई में तमिलनाडु के इरोड में 7 वर्ष के एक बच्चे के कन्वर्जन के प्रयास के आरोप में दो मिशनरी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। इसी तरह, आंध्र प्रदेश में एक अनुमान के अनुसार पिछले पांच साल में लाखों लोग इसाई मत में कन्वर्ट हो चुके हैं। आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी वाईआरएस कांग्रेस के सांसद आर.के. राजू ने एक टीवी चैनल पर बातचीत में बड़ी साफगोई से हिंदुओं के इसाई मत में कन्वर्जन की बात स्वीकारी। उन्होंने कहा कि देश में कई स्थानों पर कन्वर्जन हो रहा है। यह इसाई मिशनरीज के धनबल के कारण हो रहा है, वे विदेश से आये धन के जरिए कन्वर्जन गतिविधियों को अंजाम दो रहे हैं और अपने मत को मजबूत बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये मिशनरी रात के समय कॉलोनियों में जाते हैं और वहां के निवासियों को कन्वर्ट करने के लिए उन्हें अपने मत की शिक्षा देते हैं।
भारत में कन्वर्जन के लिए मुफीद रहा कोरोना काल
हिंदुओं के इसाई मत में कर्न्जन की ये घटनाएं अकेले ब्रज क्षेत्र में घट रही हों, ऐसा नहीं है। पूरा भारत, खासकर 25 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, किशोर और नौजवान इसाई मिशनरियों के निशाने पर हैं। अनफोल्डिंग वर्ड के प्रमुख डेविड रीव्स ने अप्रैल में मिशनरी न्यूज नेटवर्क को दिए एक साक्षात्कार में शान भी बघारी थी कि- ‘कोरोना वर्ष यानी 2020 में भारत में चर्च प्लांटिंग पार्टनर्स ने इतने चर्च बनाए, जितने इससे पहले के 25 वर्षों में नहीं बनाए।‘ भारत में चर्च के नेता प्रभावशाली चर्च बनाना चाहते हैं परंतु स्थानीय भाषाओं में बाइबिल का अनुवाद न होने से उन्हें दिक्कत आ रही थी। अनफोल्डिंग वर्ड उन्हें बाइबिल के उत्कृष्ट एवं सटीक अनुवाद में सक्षम बनाने के लिए अनुवाद टूल्स, जांच टूल्स, प्रशिक्षण और धन से समर्थन दे रहा है। रीव्स
बाइबिल के अनुवाद के लिए जिम्मेदार संगठन जंगल एविएशन ऐंड रेडियो सर्विस (जार्स) के भी अध्यक्ष हैं। डेविड रीव्स का मानना है कि चर्च और ‘ईश्वर के साम्राज्य’ के विस्तार के लिए बाइबिल का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद आवश्यक है।
भारत में कोविड-19 के कारण लगे प्रतिबंधों के कारण मिशनरी को प्रारंभिक तौर पर मुश्किल हुई। इसके बावजूद अलफोल्डिंग वर्ड के चर्च प्लांटिंग पार्टनर्स नेटवर्क के लिए यह वर्ष अवसरों भरा रहा। ऐसे ही एक पार्टनर ने डेविड रीव्स को रिपोर्ट भेजी जिसे एमएनएनआॅनलाइन ने प्रकाशित किया। इस रिपोर्ट के मुताबिक-लॉकडाउन के कारण वे अन्य लोगों से नहीं मिल सके, तो उन्होंने अपने जानने वाले संकट में पड़े लोगों के लिए प्रार्थनाएं शुरू कीं। फिर उन्होंने फोन और व्हाट्सऐप के जरिए उन प्रार्थनाओं का फॉलोअप करने का फैसला किया। इस दृष्टिकोण के परिणामस्वरूप लॉकडाउन के दौरान तकरीबन 1,00,000 कन्वर्जन हुए। इसी तरह, चर्च बनाने के साथ ही उन्होंने प्रत्येक चर्च को पास के उन 10 विशेष गांवों के लिए प्रार्थना करने को कहा जहां चर्च नहीं थे। इससे प्रतिबंधों को ढीला किए जाने पर चर्च उन क्षेत्रों में घुसने में सक्षम हुए। उनका अनुमान है कि लॉकडाउन के दौरान विभिन्न चर्च ने करीब 50,000 गांवों को अपनाया और इनमें से 25 प्रतिशत गांवों में गोस्पेल- कुछ श्रद्धालु और छोटे घरेलू चर्च के लिए रास्ता खुल गया है। इस पार्टनर ने टिप्पणी की कि-यह कोविड-19 से पहले किए गए काम से बहुत अधिक है। रीव्स कहते हैं कि भारत में मिशनरी के लिए बहुत मुश्किलें हैं, कई मिशनरी मारे गए, उन पर अत्याचार हुआ, उन्हें विभिन्न तरीकों से जेलों में डाल दिया गया। भारत में मिशनरी के काम में बहुत जोखिम हैं परंतु चर्च इससे आगे बढ़ने से नहीं रुकेगा।
कम से कम 110 इवेंजिकल संगठन हैं जो भारत में चर्च प्लांटिंग मिशन चला रहे हैं। हर संगठन के पास हर वर्ष कन्वर्जन और नए चर्च की स्थापना के लिए मानचित्र, लक्ष्य और उद्देश्य हैं। मिशनरी संस्था मिशन इंडिया और उसके 10 दिवसीय चिल्ड्रेन्स बाइबिल क्लब हर गर्मियों में भारत के बच्चों को सक्रियता के साथ जीसस के बारे में जानकारी देते हैं। यह भारतीय बच्चों का इसाईकरण करने के लिए ओपेन डोर्स मैचिंग चैलेंज योजना चला रही है।
हैरत वाली बात यह है कि मिशनरी न्यूज नेटवर्क (एमएनएनआॅनलाइन) पर इस खबर के प्रकाशित होने पर जब मई में ट्विटर पर इस धर्मांतरण के विरोध में ट्रेंड चला तो नेटवर्क ने यह खबर हटा दी। अब एमएनएनआॅनलाइन पर इसे खोजने पर 404 का एरर आता है। परंतु इसाई मत के अन्य पोर्टलों पर एमएनएनआॅनलाइन के हवाले से यह पूरी खबर मौजूद है। कन्वर्जन पर जब हिंदू समाज उद्वेलित होता है तो इसाई मत के नेता इसे सांप्रदायिकता का नाम देकर कन्वर्जन की गतिविधियों का बचाव करते हैं। इस ट्विटर ट्रेंड के जवाब में इसाई नेता जॉन दयाल ने इसे इसाई अल्पसंख्यकों के लिए खतरा बताते हुए कोरोना काल में इसाइयों पर हिंसा की सूची छापी कि कितनी घटनाएं हुर्इं, कितने मारे गए, कितने सामाजिक रूप से बहिष्कृत हुए आदि।
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