हरिद्वार कुंभ में कोरोना संक्रमण रोकने के लिए उत्तराखंड सरकार ने अपनी ओर से पुख्ता व्यवस्था की थी। राज्य सरकार ने एंटीजन परीक्षण के लिए 9 निजी कंपनियों से समझौता किया था। इसके तहत उसे प्रति परीक्षण कंपनियों को 324 रुपये देने थे। लेकिन ज्यादा कमाई के लालच में निजी प्रयोगशालाओं ने फर्जी तरीके से परीक्षण का आंकड़ा बढ़ाया
हरिद्वार महाकुंभ में कोरोना संक्रमण फैलने से रोकने के लिए उत्तराखंड सरकार ने पुख्ता पुख्ता व्यवस्था की थी। कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को 72 घंटे पहले अपनी जांच करा कर आने को कहा गया था, जबकि कुंभ नगरी में श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों का कोविड-19 परीक्षण करने के लिए निजी प्रयोगशालाओं को नियुक्त किया था। लेकिन एक निजी प्रयोगशाला द्वारा किए गए एंटीजन परीक्षण में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पाई गई है। इसे देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने सभी कोविड-19 परीक्षण करने वाली सभी प्रयोगशालाओं के विरुद्ध जांच के आदेश दे दिए हैं।
इस साल की शुरुआत में आयोजित होने वाले महाकुंभ में कोरोना संक्रमण नहीं फैले, इसके लिए राज्य सरकार ने नौ निजी प्रयोगशालाओं को कोविड-19 परीक्षण का ठेका दिया था। इसके लिए सरकार ने इन निजी प्रयोगशालाओं के साथ करार किया था। इसके तहत सरकार को उन्हें एक एंटीजन जांच पर 324 रुपये देने थे। इन प्रयोगशालाओं ने श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों का कोरोना परीक्षण किया था। लेकिन परीक्षण के आंकड़ों में गड़बड़ी के बाद राज्य सरकार ने अनुबंध में शामिल सभी प्रयोगशालाओं के खिलाफ जांच का आदेश दे दिया है।
भुगतान से पहले होगी जांच
राज्य सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने कहा कि इस संबंध में स्वास्थ्य महानिदेशक को आदेश जारी कर दिए गए हैं। सभी जिलों को कोई भी भुगतान करने से पहले कोविड-19 परीक्षण प्रयोगशालाओं की ठीक से जांच करने के लिए कहा गया है। भुगतान करने से पहले परीक्षण करने वाली प्रयोगशालाओं से पूछा जाएगा कि उन्होंने कहां से और कितनी जांच किट खरीदी है। इसके लिए उन्हें सबूत पेश करने को भी कहा जाएगा ताकि किसी भी तरह की गड़बड़ी का पता लगाया जा सके। उधर, हरिद्वार के जिलाधिकारी सी. रविशंकर ने कुंभ के दौरान कोरोना नमूनों की जांच में गड़बड़ी का मामला सामने आने के बाद तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है। यह समिति गड़बड़ी का पता लगाएगी और 15 दिन में जिलाधिकारी को जांच रिपोर्ट सौंपेगी।
ऐसे हुआ गड़बड़ी का खुलासा
हरिद्वार जिले में अभी तक 15 लाख से अधिक कोराना जांच हुई है। इसमें से अधिकतर परीक्षण महाकुंभ के दौरान किए गए। लेकिन एक व्यक्ति ने नमूनों के परीक्षण पर सवाल उठाते हुए शिकायत कर दी। इस पर आईसीएमआर ने राज्य सरकार से मामले की जांच करने को कहा। राज्य सरकार ने मुख्य नियंत्रक अधिकारी डॉ. अभिषेक त्रिपाठी से मामले की जांच कराई। स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में उन्होंने पुष्टि की है कि एक कंपनी द्वारा किए गए करीब एक लाख परीक्षण में गड़बड़ी पाई गई है। उन्होंने बड़े पैमाने पर धांधली की आशंका जताते हुए सभी कंपनियों द्वारा किए गए परीक्षण की जांच कराने की सिफारिश की थी।
ऐसे किया परीक्षण में फर्जीवाड़ा
दरअसल, परीक्षण का आंकड़ा बढ़ा-चढ़ा कर दिखाने के लिए एक कंपनी ने एक ही व्यक्ति की अलग-अलग नाम से कई जांच रिपोर्ट बनाई। जिनकी फर्जी रिपोर्ट तैयार किया गया, उनमें से अधिकतर की रिपोर्ट निगेटिव बताया गया। फिर आधार कार्ड का डेटा जुटाया और बिल के भुगतान के लिए रिपोर्ट बना कर स्वास्थ्य विभाग को भेज दिए। इसी बीच, कुंभ के दौरान हरिद्वार के एक व्यक्ति के मोबाइल पर संदेश आया, जिसमें लिखा था कि आपका आरटीपीसीआर लिया गया है, जिसका एसडीआरएफ नंबर फलां है। वह चौंक गया कि बिना कोरोना जांच कराए उसके पास यह संदेश कैसे आया? उसे कुछ आशंका हुई और उसने आईसीएमआर से इसकी शिकायत कर दी। आईसीएमआर ने जब राज्य सरकार को मामले की जांच करने को कहा। इस तरह इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ।
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