मनोज ठाकुर
कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं को बीते कई माह से घेरे बैठे स्वयंभू किसान नेताओं की सच्चाई धीरे-धीरे सामने आ रही है। धरना स्थल पर बंगाल की एक युवती का गैंगरेप हुआ, पर उसे न्याय दिलाने की बजाए किसान नेता मामले को ही दबाने में जुट गए।
राष्ट्रीय राजधानी के टिकरी बॉर्डर पर पश्चिम बंगाल की युवती के साथ गैंगरेप के मामले में गुरुवार को बड़ा खुलासा हुआ है। गैंगरेप के मुख्य आरोपी अनिल मलिक को बहादुरगढ़ पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उसने अपने फोन से दुष्कर्म वीडियो बनाकर युवती को ब्लैकमेल किया था। पुलिस ने वीडियो को बरामद कर लिया है। इसी के साथ यह बात भी सामने आई है कि युवती के साथ पहले ट्रेन में और फिर कथित किसान आंदोलन में बने टेंट में दुष्कर्म किया गया था।
किसान नेताओं के भेष में दरिंदों ने मानवता और इंसानियत को तो तार-तार किया ही है, दरिंदों को बचाने के लिए टिकरी बॉर्डर पर कथित किसान नेताओं ने जो किया, वह भी शर्मसार करने वाला है। इस मामले की जांच कर रही विशेष जांच टीम ने अनिल मलिक को भिवानी के भीम स्टेडियम के पास से गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद आरोपी को तीन दिन की पुलिस रिमांड पर लिया गया है। एसआईटी कई हफ्तों से अनिल मलिक की तलाश कर रही थी।
आरोपी ने गुनाह कबूला
पूछताछ में आरोपी ने बताया कि उसने बंगाल की युवती के साथ न सिर्फ दुष्कर्म किया,बल्कि उसे डराने और चुप कराने के लिए उसका वीडियो भी बनाया गया। उसने पूछताछ में यह भी स्वीकार किया कि अनूप चनौत ने भी युवती के साथ दुष्कर्म किया था, जबकि अंकुर सांगवान ने छेड़खानी की थी। अनिल मलिक सेवानिवृत्त फौजी है। उसने 2016 में सेवानिवृत्त ली थी। बता दें कि पुलिस ने अनिल मलिक समेत तीन आरोपियों पर इनाम घोषित किया था।
इस बारे डीएसपी पवन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि पुलिस को रिमांड के दौरान आरोपी का मोबाइल फोन भी बरामद करना है। उन्होंने कहा कि जल्द ही बाकी आरोपियों को भी गिरफ्तार किया जाएगा। ये आरोपी कथित आंदोलन में किसान सोशल आर्मी बनाकर सक्रिय थे। उन्होंने बताया कि आरोपी 12 अप्रैल को पीडि़ता को पश्चिम बंगाल से टिकरी बॉर्डर लेकर आए थे। पुलिस ने पूछताछ के बाद जो खुलासा किया है, उसके मुताबिक आरोपी पहले दिन से ही महिला का यौन उत्पीड़न कर रहे थे। उन्होंने युवती से पहले ट्रेन में और फिर जब धरना स्थल पर लेकर आए तो यहां भी उसके साथ बलात्कार किया। बाद में 30 अप्रैल को पीड़िता की कोरोना के चलते मौत हो गई थी।
मामला दर्ज होते ही आरोपी फरार
पीड़िता के साथ हुए यौनाचार की बात उसके पिता ने योगेंद्र यादव को भी बताई थी। लेकिन जब उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया तो पीडि़ता के पिता ने बहादुरगढ़ पुलिस से शिकायत की। इस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। मामले में योगेंद्र यादव समेत कई किसान नेताओं से पुलिस ने पूछताछ भी की थी। इधर, आरोपियों के खिलाफ गैंगरेप का मामला दर्ज हुआ, उधर आरोपी फरार हो गए। उनकी तलाश में पुलिस ने टीम गठित की थी। पुलिस के मुताबिक, अनूप चनौत ने भी युवती के साथ दुष्कर्म किया था। हालांकि अनूप चनौत ने सोशल मीडिया पर अपना एक वीडियो डाला था, जिसमें उसने स्वयं को निर्दोष बताया था। उसने दावा किया था कि उसे फंसाया जा रहा है। साथ ही, कहा था कि भागा नहीं है, बल्कि किसान नेताओं ने उसे इधर-उधर होने के लिए कहा है। इसलिए वह धरना स्थल पर नहीं है। लेकिन पूछताछ में जिस तरह से अनिल मलिक ने अनूप पर आरोप लगाया है, पुलिस उसे भी यौन उत्पीड़न का आरोपी मान रही है।
… लेकिन सच्चाई दबा नहीं सके
यह मामला दब ही गया था, यदि पीड़िता के पिता सामने नहीं आते। उन्होंने योगेंद्र यादव समेत कई किसान नेताओं से मदद मांगी। इसके बाद खुद हरियाणा जाकर मामला दर्ज कराया। आरोप है कि किसान नेताओं ने मामले को दबाने की पूरी कोशिश की। इसके लिए उन्होंने पीड़िता की मौत के बाद उसे ‘शहीद’ का दर्जा भी दे दिया। जुलूस निकाल कर उसका अंतिम संस्कार किया गया। इस मामले के सामने आने के बाद कथित किसान आंदोलन पर भी सवाल उठे थे। खासतौर पर महिला सुरक्षा को लेकर किसान नेताओं की भूमिका पर सवाल खड़े किए जा रहे थे। लेकिन जब मामला हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज तक पहुंचा तो उन्होंने इस पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उन्होंने डीजीपी मनोज यादव से मामले में त्वरित कार्रवाई करने को कहा था। इसके बाद पुलिस ने जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की टीम लगातार छापेमारी कर रही थी।
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