कोरोना की लड़ाई में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन भी आगे आया है। इसरो ने इस दौरान तीन वेंटिलेटर विकसित किए हैं, जिनके नाम क्रमश: प्राण, वायु और स्वस्त हैं। गौर करने वाली बात यह है कि कम लागत में बने पोर्टेबल वेंटिलेटर को कहीं भी सुगमता से लाया ले जाया जा सकता है
देश ने देखा कि कोरोना महामारी के दौरान डीआरडीओ ने कई असाधारण काम किए। तरह—तरह की समस्याओं के लिए डीआरडीओ जिस तरह से सामने आया, उसने देश को बड़ा संबल दिया। आनन—फानन में जहां अस्पताल खड़े कर दिए तो वहीं आक्सीजन की किल्लत को दूर करने के लिए अल्प समय में कई नवाचार किए। अब कोरोना की लड़ाई में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन भी आगे आया है। इसरो ने इस दौरान तीन वेंटिलेटर विकसित किए हैं, जिनके नाम क्रमश: प्राण, वायु और स्वस्त हैं। गौर करने वाली बात यह है कि कम लागत में बने पोर्टेबल वेंटिलेटर को कहीं भी सुगमता से लाया ले जाया जा सकता है। प्राण वेंटिलेटर का आधार कृत्रिम तरीके से श्वसन देने संबंधी इकाई एएमबीयू बैग को आटोमेटेड कंप्रेशन में रखना है। इसमें अत्याधुनिक नियंत्रण प्रणाली है, जिसमें अत्याधुनिक कंट्रोल सिस्टम, एयरवे प्रेसर सेंसर, आक्सीजन सेंसर, सर्वो एक्चुएटर के साथ पॉजिटिव इंड इक्सपारेटरी प्रेसर कंट्रोल वाल्व प्रमुख हैं।
आइसीयू श्रेणी का वेंटिलेटर
इसरो ने आइसीयू श्रेणी का वेंटिलेटर वायु बनाया है, जो श्वसन समस्या से पीड़ित रोगियों के लिए सहायक सिद्ध होगा। गैस चालित वेंटिलेटर स्वस्त आपात प्रयोग के लिए उपयुक्त है। इन कम लागत वाले वेंटिलेटर का प्रोटोटाइप तिरुअंनतपुरम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र ने तैयार किया है। उल्लेखनीय है कि इसरो का प्रयास उस समय आया है जब देश दूसरी लहर से जूझ रहा है। ऐसे में निश्चित ही इसरो के इस प्रयास से आमजन को राहत मिलेगी।
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