वैक्सीन को लेकर कांग्रेस नेतृत्व लगातार केंद्र पर हमलावर है। वहीं, कांग्रेस शासित राजस्थान में वैक्सीन की बर्बादी हो रही है और पंजाब इसे निजी अस्पतालों को बेचकर मुनाफाखोरी कर रहा था। कांग्रेस शासित राज्यों के गैरजिम्मेदाराना रवैये पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने पलटवार किया है।
कोरोना काल में कांग्रेस शासित राज्यों के रवैये बिल्कुल अलग है। राजस्थान वैक्सीन फेंक रहा है, जबकि पंजाब निजी अस्पतालों को वैक्सीन बेचकर मुनाफाखोरी में लगा हुआ है। इसके बावजूद न केवल ये राज्य वैक्सीन के लिए हल्ला मचा रहे हैं, बल्कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व लगातार इसे मुद्दा बनाकर केंद्र सरकार पर हमलावर है। वैक्सीन की बर्बादी और मुनाफाखोरी पर घिरने के बाद कांग्रेस शासित राज्यों ने नया हथकंडा अपनाया है। अब वे सभी को मुफ्त टीका उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं। इस बीच, कांग्रेस शासित राज्यों के गैरजिम्मेदाराना रवैये पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने पलटवार किया है।
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी शनिवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में राहुल गांधी के पूर्व के बयानों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी कोविड-19 वैक्सीन के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर सवाल उठा रहे थे। लेकिन राजस्थान और पंजाब कांग्रेस शासित हैं। राजस्थान में टीके कूड़े में फेंके जा रहे हैं, जबकि पंजाब में इन टीकों का उपयोग मुनाफाखोरी के लिए किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी वैक्सीन को लेकर हिचकिचाहट को हवा दे रही है। राहुल और सोनिया (गांधी) जी कहते रहते हैं कि हमें टीकों का निर्यात नहीं करना चाहिए। राहुल गांधी पूछते हैं – हमारे बच्चों के टीके कहां हैं? राजस्थान में वे कचरे में हैं, और पंजाब में इनका इस्तेमाल मुनाफाखोरी के लिए किया जा रहा है।’’
जो वैक्सीन मुफ्त देनी थी, उसकी कीमत वसूल रहे
उन्होंने कहा कि पंजाब में कोविड-19 वैक्सीन की जो खुराकें लोगों को मुफ्त में दी जानी चाहिए थी, उन्हें ऊंची दरों पर निजी अस्पतालों को बेचा गया। कोविशील्ड की एक खुराक 309 रुपये में खरीदी गई, लेकिन इसे बेचा गया 1,560 रुपये में। उन्होंने कहा, “पंजाब सरकार के अधिकारी और कोविड-19 टीकाकरण के प्रभारी ने 29 मई को कुछ आंकड़ों का खुलासा किया है। उनके अनुसार, कोविशील्ड की 4.29 लाख खुराक 13.25 करोड़ रुपये में खरीदी गई, जिसकी औसत कीमत 309 करोड़ रुपये बैठती है। इसी तरह, कोवैक्सिन की 1,14,190 खुराक 4.70 करोड़ रुपये में खरीदी गई, जिसकी औसत कीमत 412 रुपये है। केंद्र ने लोगों को मुफ्त में टीके लगाने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 50 प्रतिशत टीके वितरित किए हैं। अपनी खरीद पर राज्य मुनाफाखोरी कर रहे हैं। अगर ये आंकड़े सही हैं तो लाभ की वास्तविक राशि सिर्फ 2.40 करोड़ रुपये नहीं है।”
पहले निजी अस्पतालों को टीके बेचे, फिर वापस मांगा
पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सरकार पर निजी अस्पतालों को वैक्सीन बेचकर मुनाफा कमाने का आरोप लगाते हुए शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने उच्च न्यायालय से इसकी निकरानी की मांग की थी। इसी के बाद पंजाब सरकार ने अपना फैसला वापस ले लिया है। राज्य के वैक्सीन प्रभारी विकास गर्ग के हस्ताक्षरयुक्त एक पत्र में कहा गया है कि आदेश “सही भावना से नहीं लिया गया है और इसलिए इसे वापस लिया जाता है। साथ ही, यह निर्णय लिया गया है कि निजी अस्पतालों को अपने पास उपलब्ध सभी वैक्सीन की खुराक तुरंत वापस करनी चाहिए। निर्माताओं से आपूर्ति मिलने के बाद जिन खुराकों का उन्होंने आज तक उपयोग किया है, उन्हें भी वापस करना होगा।”
अब कर रहे मुफ्त टीकाकरण की मांग
उधर, राजस्थान के कई जिलों में बड़ी संख्या में वैक्सीन कचरे में फेंके जाने की खबर के बाद गहलोत सरकार के तमाम मंत्री और अधिकारी मामले की लीपापोती में जुट गए। उन्होंने वैक्सीन की बर्बादी से ही इनकार किया। राज्य के कांग्रेस प्रभारी और अशोक गहलोत सरकार में शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह दोतासरा ने तो उल्टा आरोप लगाया, ‘‘केंद्र कांग्रेस सरकारों को यह कहकर बदनाम कर रहा है कि हम वैक्सीन की बर्बादी को रोकने में विफल रहे। हमारे राज्य में वैक्सीन की बर्बादी दो प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय औसत 6 प्रतिशत है।” बहरहाल, वैक्सीन की बर्बादी पर घिरने के बाद कांग्रेस शासित राज्यों ने अब मुफ्त टीकाकरण की मांग शुरू कर दी है। इसी सिलसिले में राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी ने राज्यपाल कलराज मिश्र और आंध्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. साके शैलजानाथ और पार्टी के अन्य नेताओं ने राज्य के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन को एक ज्ञापन सौंपा। इसमें सभी के लिए मुफ्त टीकाकरण की मांग की गई है।
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