भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु के हैंडल से ब्लू टिक हटाया, विरोध हुाअ तो वापस संघ के वरिष्ठ अधिकारियों के हैंडल से भी हटाया ‘नीला टिक’
नाइजीरिया की सेना में जनरल रहे वहां के वर्तमान राष्ट्रपति ने नाइजीरिया में 4 जून को ट्विटर को अपने यहां प्रतिबंधित कर दिया। 3 जून को उन्होंने ट्विटर पर अपने हैंडल से देश के दक्षिण-पूर्व इलाके में हिंसक गुटों और आतंकवादियों को चेतावनी दी थी। उन्होंने लिखा था कि उनकी हरकतें बर्दाश्त से बाहर हैं। बस इस बात पर ट्विटर ने उनका हैंडल ब्लॉक कर दिया। लेकिन ट्विटर की इस हरकत से नाराज वहां के राष्ट्पति मुहम्मद बुहारी ने ट्विटर पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उसे अपने यहां प्रतिबंधित कर दिया। नाइजीरिया ने ट्विटर और उसके सीईओ पर उसके यहां चल रहीं अलगाववादी गतिविधियों को समर्थन देने का आरोप भी लगाया है। और जैसी अपेक्षा थी, एमनेस्टी इंटरनेशनल संस्था फौरन नाइजीरिया की इस कार्रवाई का विरोध कर दिया। नाइजीरिया जैसे छोटे से अफ्रीकी देश ने ट्विटर की इस हरकत पर कड़ा रुख अपनाते हुए जिस तरह फौरन कार्रवाई की है, उसकी सोशल मीडिया पर तारीफें हो रही हैं। उल्लेखनीय है कि चीन, तुर्की जैसे कई देशों ने अपने यहां ट्विटर को पहले से प्रतिबंधित किया हुआ है।
इधर भारत के संदर्भ में ट्विटर की ताजा शरारत देखने में आई है। भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के हैंडल पर से ‘नीला टिक’ हटा दिया गया था। बता दें कि देश भर में ट्विटर की इस हरकत के जबरदस्त विरोध के बाद ‘नीला टिक’ वापस आ गया है। इतना ही नहीं, ताजा जानकारी के अनुसार, ट्विटर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत सहित पांच अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के हैंडल से ‘नीला टिक’ हटा दिया। इसका अर्थ यह हुआ कि वे ‘Unverified’ की श्रेणी में रख दिया। जिन अधियारियों के हैंडल के साथ यह छेड़खानी की गई उनके नाम है—श्री सुरेश भैयाजी जोशी, श्री सुरेश सोनी, श्री अरुण कुमार, डॉ. कृष्णगोपाल और श्री अनिरुद्ध देशपांडे।
इससे पहले ट्विटर ने भारत सरकार द्वारा पिछले दिनों जारी दिशानिर्देशों और नियमों का पालन करने में काफी टालमटोल की थी, कानूनों का हीला—हवाला दिया था, लेकिन अंतत: सरकार के कायदों को मानने के लिए तैयार हुआ। भारत के सूचना प्रोद्यौगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कड़ा रवैया अपनाते हुए उसे लगभग चेतावनी दी थी। दिल्ली उच्च न्यायालय में भी इस संबंध में सुनवाई भी हुई थी। यह सुनवाई आगे 6 जुलाई को होनी है। लेकिन, आखिरकार ट्विटर को देश के कायदों के आगे झुकना पड़ा।
-वेब डेस्क
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