इंट्रो: दुर्गेश पाठक ने कहा था कि यदि सार्वजनिक तौर पर मटियाला माफी नहीं मांगेगा तो उसे पार्टी से निष्काषित कर दिया जाएगा। अब अपने साथ हुए धोखे के बाद हरदीप ने एक वीडियो आम आदमी पार्टी सुप्रीमो केजरीवाल को बनाकर भेजी है, जिसमें सारा हाल बताया है लेकिन यह खबर लिखे जाने तक उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया हरदीप को नहीं मिली है
”आम आदमी पार्टी के पार्षद रमेश मटियाला यदि माफी नहीं मांगते तो पार्टी से अपना इस्तीफा देंगे। दुर्गेश पाठकजी देख लीजिए, आपके सामने इसने एक बार फिर अपनी बात से पलटी खाई है। मैं क्षेत्र में रहकर लोगों के बीच दिन—रात काम कर रही हूं, क्या यहां मैं मार खाने के लिए बैठी हूं।”
यह बयान है आम आदमी पार्टी की मटियाला वार्ड की महिला अध्यक्ष हरदीप कौर का। कौर के अनुसार— ”अरविन्द केजरीवाल और दुर्गेश पाठक ने कहा था रमेश मटियाला मुझपर हुए हमले के लिए सबके सामने माफ़ी मांगेगा, लेकिन उसने अरविंदजी और दुर्गेशजी की बात की इज्जत भी नहीं रखी और पलटी खा गए। वे हमेशा की तरह झूठ बोलने लगे!”
महिलाओं की शिकायत सुनने के मामले में पार्टी का रिकॉर्ड पहले भी खराब रहा है। इसी अनदेखी की शिकार सोनी मिश्रा नाम की पार्टी की कार्यकर्ता हुई है। वह पार्टी के अंदर शिकायत करती रही लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। पार्टी के अंदर हुए यौन शोषण की वजह से उसे आत्महत्या करनी पड़ी लेकिन उसे न्याय नहीं मिला।
अपनी न्याय की लड़ाई लड़ रही हरदीप कौर भी कहती हैं कि यदि उन्हें न्याय नहीं मिला तो आत्महत्या कर लेंगी। यह सच है कि किसी समस्या का समाधान आत्महत्या नहीं होता लेकिन केजरीवाल, सिसोदिया, दिलीप पांडेय, दुर्गेश पाठक जैसे नेताओं को जरूर विचार करना चाहिए कि किसी महिला के साथ पार्टी के अंदर ऐसी स्थिति क्यों आती है कि उसे आत्महत्या का विचार तक करना पड़े। पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र का सारा ढांचा इतना हिला हुआ क्यों है?
आम आदमी पार्टी विधायक रमेश मटियाला के खिलाफ हरदीप कौर ने बिंदापुर थाने में मारपीट और छेड़छाड़ की शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने हरदीप की शिकायत दर्ज कर ली है और इस पर जांच प्रारंभ की जा चुकी है। लेकिन हरदीप के अनुसार— पुलिस ने उन्हें अब तक एफआईआर की कॉपी उपलब्ध नहीं कराई है।
हरदीप कौर कॉरपोरेट की नौकरी छोड़कर पार्टी में शामिल हुई थी। जब उन्होंने नौकरी छोड़ी थी, उनकी सैलरी डेढ़ लाख रुपए थी। आज पार्टी के अंदर हो रहे अपमान से वह आहत हैं, वह केजरीवाल से एक वीडियो में पूछती हुई नजर आती हैं— ”क्या गलती थी मेरी? क्या मेरी गलती यह है कि मैं आम आदमी पार्टी के साथ जुड़कर सेवा कर रहीं हूं। आपकी पार्टी के निगम पार्षद को किस बात का डर है कि मैं उसकी पोजिशन खा जाऊंगी। सेवा करना गलत है क्या सर? यहां बैठकर अधिक से अधिक टेस्ट हो, मैं खुद बैठकर यह सुनिश्चित कर रही हूं। सुबह से शाम तक खुद खड़े होकर लोगों से निवेदन करके उन्हें वैक्सीनेशन केन्द्र तक लेकर आ रही हूं, क्या यह मेरी गलती है?”
इस पूरे प्रकरण पर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के एक छोटे से हिस्से में गुस्सा नजर आ रहा है। अनुपम कुमार टवीटर पर अपना परिचय आपियन लिखते हैं। अनुपम के अनुसार — ”आम आदमी पार्टी की जमीनी कार्यकर्ता हरदीपजी के साथ बहुत गलत हुआ है। आप के ही एक पार्षद रमेश मटियाला द्वारा हाथ उठाया जाना, बर्दाश्त के बाहर हैं। अरविन्द केजरीवाल दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।”
हरदीप कौर ने इस पूरे विवाद पर पाञ्चजन्य से बात की। हरदीप ने कहा — ”मैने एक कोरोना जांच कैम्प लगवाया था। जहां एक पोस्टर लगा था, जिसमें मेरी फोटो थी। केजरीवालजी की फोटो थी और रमेश मटियालाजी की भी फोटो लगी थी। जिसे मटियाला वहां से हटाना चाहता था। वह हमारे क्षेत्र का निगम पार्षद है।
घटना 27 मई के कैम्प से शुरू हुई। जब पार्षद के लोगों ने आकर अपना बैनर हमारे कैम्प में लगा दिया। कैम्प हमारा और बैनर पार्षद का लेकिन हम दोनों एक ही पार्टी के हैं इसलिए मैने कुछ भी नहीं कहा लेकिन अगले दिन 28 मई को सुबह पार्षद के लोग मेरा बैनर भी मुझे लगाने से रोकने लगे। यह कैम्प मैने लगाया है तो बैनर लगाना तो मेरा अधिकार है। जब मैने पार्षद के लड़कों से कहा तो उन्होंने फोन मिलाकर मेरी बात रमेश मटियाला से करा दी। मटियाला फोन पर मुझे धमकाने लगे। ”तेरी औकात क्या है, तू वहां से अपना बैनर हटा।”
एक पार्षद की यह कैसी भाषा है? केजरीवालजी को अपने पार्षदों की काउंसलिंग करानी चाहिए और उन्हें महिलाओं से बातचीत की प्राथमिक शिक्षा मिलनी चाहिए। आम आदमी को भी विचार करना चाहिए कि वह चुनाव जीताकर किन लोगों को कुर्सी पर बिठा रहा है?
हरदीप आगे बताती हैं— पार्षद उठवा लेने की धमकी देने लगे। कहने लगे तू समझती क्या है खुद को, उठवा लेंगे तूझे और तेरी बेटियों को। और फिर आधे घंटे मे ही वे अपने पांच लोगों के साथ कैम्प पर आ गए। उनके लोग आते ही इधर—उधर फैल गए। मैने ध्यान दिया था कि मटियाला से जुड़ी दो महिलाएं पहले से मंदिर के पास खड़ी थीं। उस दिन हमारे साथ डा प्रियंका भी थी। मटियाला ने आते ही धमकाना शुरु कर दिया कि तुझे भूगतना पड़ेगा। तूने अच्छा नहीं किया बैनर लगा के। उसके बाद वह थोड़ी दूरी पर खड़ा हुआ और उसके इशारे पर दोनों महिलाएं लड़ने आ गई, तेरी हिम्मत कैसे हुई अपना पोस्टर लगाने की। यहां सारा काम मटियालाजी करते हैं। फिर वे हाथापाई पर उतर आई। मैने सिवील डिफेन्स के लोगों को आवाज भी दी, लेकिन उन्होंने मदद नहीं की। मुझे खुद ही अपनी सुरक्षा के लिए पास में पड़ी कुर्सी उठानी पड़ी। मुझे सक्रिय देखकर मटियाला ने दोनों महिलाओं को भगा दिया। ”
हरदीप के अनुसार इस मामले में दिल्ली पुलिस का सहयोग भी उन्हें नहीं मिल रहा है। अब तक उन्हें शिकायत की कॉपी तक उपलब्ध नहीं कराई गई है।
वह आगे बताती हैं— ”मुझे 29 मई को पार्टी आफिस बुलाया गया। वहां दुर्गेश पाठक, सब्जी मंडी अध्यक्ष आदिल और हमारे विधायक गुलाब सिंह यादव थे। पार्षद रमेश मटियाला वहां सबके सामने रोने लग गए। उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की। वहां दुर्गेश पाठक ने केजरीवालजी की तरफ से आया निर्णय हम सबको सुनाया — ”यदि रमेश मटियाला ने सार्वजनिक तौर पर आपके ऊपर हमला किया है तो इनको माफी भी सार्वजनिक तौर पर ही मांगनी होगी।”
30 मई को अरविन्द केजरीवालजी के निर्देश के अनुसार लोगों को बुलाया गया लेकिन भरी सभा में मटियाला ने आकर अरविन्दजी के निर्देश के खिलाफ जाकर कहा कि मैने कुछ किया ही नहीं और उसने कोई माफी नहीं मांगी।
दुर्गेश पाठक ने कहा था कि यदि सार्वजनिक तौर पर मटियाला माफी नहीं मांगेगा तो उसे पार्टी से निष्काषित कर दिया जाएगा। अब अपने साथ हुए धोखे के बाद हरदीप ने एक वीडियो आम आदमी पार्टी सुप्रीमो केजरीवाल को बनाकर भेजी है, जिसमें सारा हाल बताया है लेकिन यह खबर लिखे जाने तक उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया हरदीप को नहीं मिली है।
पार्टी के रवैया से हरदीप निराश हैं। पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा उनके चरीत्र पर सवाल उठाया जा रहा है और पार्टी खामोश है। हरदीप कहती हैं — ”यह लड़ाई मेरे आत्मसम्मान की बन गई है। यदि मटियाला पर पार्टी ने कोई कार्रवाई नहीं की तो मैं पार्टी के कार्यालय के बाहर जाकर खुद को आग लगा लूंगी।”
पार्टी की एक कार्यकर्ता सोनी मिश्रा ने भी पांच साल पहले छेड़छाड़ की ऐसी ही शिकायत की थी। जिसे पार्टी ने नजर अंदाज किया था। उस मामले में पार्टी के विधायक नरेश चौहान का नाम सामने आया था।
सोनी के पति का बयान मीडिया में आया था कि वह पार्टी के प्रति वफादार थी और दिल्ली में ईमानदारी से काम करना चाहती थी, लेकिन उसका यौन शोषण करने की कोशिश की गई। जब सोनी ने इसका विरोध किया तो धमकियां दी जाने लगीं। इन बातों की जानकारी पार्टी को थी लेकिन कोई कार्रवाई पार्टी की तरफ से नहीं की गई। उसे भी बेटियों के नाम पर धमकाया गया था। अंत में आम आदमी पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र से हारकर सोनी ने आत्महत्या कर ली थी। जब सोनी के आत्महत्या के बाद कुछ पत्रकारों ने केजरीवाल से उसके संबंध में सवाल पूछा तो उन्होंने सोनी मिश्रा को पहचानने से इंकार कर दिया था। उनका बयान आज भी गूगल पर मिल जाएगा— कौन सोनी मिश्रा?
हरदीप के अनुसार पिछले साल लॉक डाउन के दौरान भी पार्षद के लोगों ने उनको धमकाया था। उनकी सक्रियता शायद पार्षद के लोगों को पसंद नहीं आ रही थी। जिसकी शिकायत हरदीप ने पार्टी के स्थानीय विधायक गुलाब सिंह यादव और जिला अध्यक्ष सुरेन्द्र लाकड़ा को दी थी। पूरा साल बितने को आया, पर मिली धमकियों पर कोई कार्रवाई अब तक नहीं की गई है। पार्टी को इस पूरे मामले को गंभीरता से लेना चाहिए। पार्टी का रिकॉर्ड महिलाओं के मामले में पहले चाहे खराब हो, उसे सुधारने का केजरीवालजी को एक मौका मिला। वे हरदीप को पार्टी के अंदर न्याय दिला सकते हैं।
स्थानीय पार्षद रमेश मटियाला इस पूरे मामले को राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं। लेकिन आम आदमी पार्टी का अतीत और महिलाओं के प्रति पार्टी के नेताओं का व्यवहार पार्षद के बयान पर प्रश्नचिन्ह खड़े करता है।
-आशीष कुमार ‘अंशु’
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