बठिंडा में नशा तस्करों का दुस्साहस इतना बढ़ गया कि उन्होंने नशा बेचने से रोकने पर सात युवकों पर तलवार, गड़ासा और पिस्तौल से हमला किया, उन्हें दौड़ा-दौड़ा कर पीटा और उनके हाथ-पैर तोड़ दिए। पुलिस का रवैया बताता है कि पंजाब में नशा तस्कर बेखौफ हैं और उन्हें सरकार का संरक्षण मिला हुआ है। यदि कैप्टर सरकार संरक्षण से इनकार करती है तो उसे मानना पड़ेगा कि नशा तस्करों पर लगाम लगाने में वह विफल रही है।
चंडीगढ़। पंजाब में चार साल पूर्व हुए विधानसभा चुनाव में नशा का मुद्दा ही प्रमुख था। अकाली दल पर इसके आरोप लगे और वह चुनाव हारा था। पंजाब के बठिंडा जिले में रामपुरा क्षेत्र में चिट्टा बेचने से रोकने पर नशा तस्करों द्वारा दो कबड्डी खिलाड़ियों समेत सात युवकों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटने और तलवार, गंडासे व पिस्तौल से हमलाकर उनके हाथ-पांव तोड़ने की खबर पंजाब के कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार का हाल बयां करने के लिए काफी है।
नशा तस्करों को सरकारी संरक्षण
ये घटना दो बातें बताती है – एक तो नशे का कारोबार पंजाब में बेरोकटोक चल रहा है। दूसरे, तस्करों की हिम्मत यदि इतनी बढ़ गई है तो एक तो इससे नशा तस्करों को सरकार का संरक्षण मिलने की बात लगती है। दूसरे, कानून व्यवस्था के मोर्चे पर अमरिंदर सरकार पूरी तरह विफल साबित हुई दिखती है। तस्करों का भय इतना है कि उनके द्वारा जान से मारने की धमकी के कारण जख्मी युवक अस्पताल में भर्ती होने तक से डर रहे हैं।
पुलिस-घायलों के बयान परस्पर उलटे
पुलिस ने पांच नामजद समेत 20 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कागजी कार्रवाई कर ली है लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। पुलिस का कहना है कि घायलों ने आरोपितों पर नशा बेचने का नहीं, बल्कि मुर्गी चुराने के पुराने विवाद को लेकर झगड़े का बयान दिया है। दूसरी तरफ, मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक रामपुरा के सरकारी अस्पताल में दाखिल हरविंदर सिंह चाउके ने बताया, वो कबड्डी कोच है। गांव के ग्राउंड में अक्सर वो अपने साथियों के साथ कबड्डी की प्रैक्टिस करते हैं, लेकिन उक्त आरोपी वहां पर नशा बेचते हैं। लेकिन गत दिवस जब वो चिट्टा बेच रहे थे तो उन्होंने साथियों से मिलकर आरोपियों से चिट्टा छीनकर मिट्टी में मिला दिया। आरोपी उस समय तो वहां से चले गए, लेकिन कुछ समय बाद करीब 25 हमलावर आए और तलवारें, गंडासे, पिस्तौल व कापे से हमला बोल दिया। उनकी पुलिस-प्रशासन से मांग की है कि आरोपियों को गिरफ्तार किया जाए और गांव में नशा बेचने वालों पर नकेल कसी जाए। उनपर हमला राजनीतिक शह पर हुआ है।
तीन वर्ष में 50 पुलिसकर्मी बर्खास्त
साफ है कि पुलिस-प्रशासन मामले को रफा-दफा करने के मूड में है। गौरतलब है कि पंजाब में नशे के कारोबार में लिप्त रहे पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए पिछले तीन वर्षों में 50 पुलिसकर्मी बर्खास्त किए जा चुके हैं और 25 मुलाजिम निलंबित हो चुके हैं। परंतु मुद्दा बना हुआ है कि क्या पंजाब की युवा पीढ़ी को नशे की गिरफ्त से बचाने के लिए अमरिंदर सरकार कोई कदम उठाएगी।
बठिंडा में नशा केंद्रों पर लंबी कतार
बठिंडा में नशा किस कदर छाया हुआ है, उसका प्रमाण बठिंडा के नशा छुड़ाओ केंद्र के सामने लगी बीमारों की लंबी कतारों से मिलता है। हालात यह है कि नशे के बीमार इतने ज्यादा हो गए हैं कि उन्हें दवा लेने के लिए घंटों कतार लगानी पड़ती, फिर भी दवा नहीं मिलती। नशा छुड़ाओ केंद्र के हालात भी बताते हैं कि पंजाब सरकार इस मुद्दे पर कितनी गंभीर है। केंद्रों पर पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं है।
-वेब डेस्क
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