कोविड-19 के कारण अपने माता-पिता और अभिभावक, दोनों को खो देने वाले बच्चों को केंद्र सरकार ने वित्तीय सहायता देने की घोषणा की है। चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर द्वारा इसकी आलोचना करने पर भाजपा नेता लंका दिनाकर ने उन्हें लताड़ लगाते हुए कहा है कि वे ‘अशांति कुमार’ की तरह व्यवहार कर रहे हैं।
कोविड-19 के कारण अनाथ बच्चों को वित्तीय सहायता को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना करने पर भाजपा के लंका दिनाकर ने चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर को लताड़ लगाई है। उन्होंने कहा कि वे ‘अशांति किशोर’ की व्यवहार कर रहे हैं। तेलंगाना के भाजपा नेता ने कहा, “कोरोना महामारी के कारण जिन बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया, उन अनाथ बच्चों की सहायता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उठाए गए कदम का पूरा देश स्वागत कर रहा है। इन बच्चों की सहायता के लिए पीएम केयर्स फंड का उपयोग किया जा रहा है। अनाथ हुए बच्चों को मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ प्रधानमंत्री 10 लाख रुपये जमा कराकर उनका भविष्य भी सुरक्षित कर रहे हैं, जिसका उपयोग ये बच्चे 18 साल की उम्र के बाद कर सकते हैं। लेकिन प्रशांत किशोर इसे पचा नहीं पा रहे हैं, इसलिए इसकी आलोचना कर रहे हैं। वे ‘अशांति किशोर’ की तरह व्यवहार कर रहे हैं।”
बंगालवासी हिंसक रणनीति के गवाह
भाजपा नेता ने आरोप लगाया, “लोगों ने आंध्र प्रदेश और यहां तक कि हाल के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में भी प्रशांत किशोर की खराब और हिंसक रणनीतियों को देखा है। पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद जो हिंसा हुई, वह उन्हीं की योजना थी।” साथ ही, कहा कि प्रशांत को अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की उपलब्धता की मौजूदा स्थिति की जानकारी नहीं है। कोरोना की दूसरी लहर से पहले हमारे पास मात्र 9,000 मीट्रिक टन ऑक्सीजन था। अब हमारे पास लगभग 90,000 मीट्रिक टन ऑक्सीजन है। प्रशांत किशोर तथ्यों और आंकड़ों को नहीं जानते हैं। बस सरकार की आलोचना कर रहे हैं। आयुष्मान भारत पहले से ही 50 करोड़ से अधिक लोगों को चिकित्सा सहायता प्रदान कर रहा है, जिसमें ऑक्सीजन, बेड, दवाएं और उपचार शामिल है।
क्या कहा था प्रशांत ने?
29 मई को प्रशांत किशोर ने ट्वीट किया था, “मोदी सरकार का एक और विशिष्ट मास्टरस्ट्रोक, इस बार कोविड से तबाह हुए बच्चों के लिए ‘सहानुभूति’ और ‘देखभाल’ को फिर से परिभाषित करना और इसके विनाशकारी दुस्साहस। अभी सबसे अधिक सहायता हासिल करने की बजाए, बच्चों को 18 साल की उम्र में वजीफे के वादे के बारे में सकारात्मक महसूस करना चाहिए।‘’ बता दें कि प्रशांत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोविड-19 के कारण माता-पिता या अभिभावक, दोनों को खो देने वाले बच्चों को ‘पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रन’ योजना के तहत सहायता देने वाले ट्वीट की प्रतिक्रिया में ये बातें कही थीं।
इसके बाद प्रशांत ने एक और ट्वीट किया। इसमें उन्होंने तंज करते हुए लिखा, ‘मुफ्त शिक्षा के वादे के लिए पीएम केयर्स के प्रति आभारी रहें; संविधान द्वारा गारंटीकृत एक ‘अधिकार’/शिक्षा का अधिकार। आयुष्मान भारत में नामांकित होने के ‘आश्वासन’ के लिए धन्यवाद पीएमओ इंडिया, जो माना जाता है कि 50 करोड़ भारतीयों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करता है, लेकिन जरूरत पड़ने पर केवल बेड, ऑक्सीजन प्रदान करने में विफल रहा है। है।
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