पंचायत चुनाव के दौरान शिक्षकों और कर्मचारियों की मृत्यु पर राजनीति करने वाले विपक्ष की बोलती बंद हो गई. उत्तर प्रदेश सरकार ऐसे कर्मचारियों के परिजनों को 30 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और एक नौकरी देगी.
पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान शिक्षकों एवं कर्मचारियों की मृत्यु पर विपक्ष राजनीति में ही फंस कर रह गया. चुनाव डयूटी की दौरान मृत्यु होने पर चुनाव आयोग की गाइड लाइन के अनुसार ही आर्थिक सहायता दी जाती है. कोरोना वायरस नई बीमारी है जो करीब डेढ़ वर्ष पहले भारत में आई है. जबकि चुनाव आयोग की गाइड लाइन वर्षों पुरानी है. उसमे कोरोना वायरस का उल्लेख नहीं था. ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्य सचिव को गाइड लाइन में संशोधन संबंधी प्रस्ताव तैयार कर राज्य निर्वाचन आयोग को तत्काल भेजने का निर्देश दिया. संशोधन हो जाने के बाद अब चुनाव आयोग का ड्यूटी पीरियड 30 दिन का माना जाएगा. पंचायत चुनाव ड्यूटी के दौरान जिन शिक्षकों एवं कर्मचारियों की मृत्यु हुई थी. उनके परिजनों को 30 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी.
उल्लेखनीय है कि गत माह उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव हुए थे. इस चुनाव ड्यूटी के दौरान शिक्षकों एवं कर्मचारियों की मृत्यु हो गई थी. उस समय चुनाव आयोग की पुरानी गाइडलाइन के अनुसार सिर्फ 3 लोगों को ही आर्थिक सहायता के योग्य पाया गया था. नई गाइडलाइन के अनुसार शिक्षक एवं कर्मचारियों के परिजनों को तीस- तीस लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जायेगी.
सीएम योगी ने कहा है कि “राज्य सरकार हर कर्मचारी के परिजनों के साथ है. प्रदेश सरकार अपने कर्मचारियों को सभी आवश्यक सुविधाएं देने के लिए तत्पर है. विशेषकर ऐसे समय पर जब उन्होंने चुनाव या अन्य कोई ड्यूटी की है. सरकारी कर्मचारियों के एक आश्रित को सरकारी सेवा में नौकरी दी जाएगी. शिक्षा मित्र, अनुदेशक, रोजगार सेवक के मृतक आश्रितों को उन्हीं सेवा शर्तों के आधार पर रोजगार दिया जाएगा.”
-web desk
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