बलूचों पर तरह-तरह के जुल्म करने के लिए कुख्यात पाकिस्तानी फौज ने सैन्य आॅपरेशन के दौरान बलूच औरतों के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। इस साल जनवरी में हुई दिल दहलाने वाली इस घटना के बारे में अब मिली है जानकारी। इससे समझा जा सकता है कि वहां कैसे दहशत भरे हालात
बलूचिस्तान में एक बार फिर पाकिस्तानी फौज का खूंखार चेहरा सामने आया है। फौजियों ने एक ही परिवार की तीन औरतों के साथ सामूहिक बलात्कार किया। यह घटना इसी साल जनवरी में हुई लेकिन फौज की दहशत की वजह से परिवार ने मुंह बंद कर रखा था। किसी तरह बलूचिस्तान नेशनल फ्रंट के नेता डॉक्टर अल्लाह नजर बलोच को इसकी जानकारी मिली और उन्होंने इसका खुलासा किया।
दक्षिणी बलूचिस्तान का एक जिला है अवारान। यहां जाहू और मश्के की पहाड़ी श्रृंखलाओं के बीच की घाटी में गड़ेरिये रहते हैं। इन्हीं में हकीम मालदार का भी परिवार रहता था। इसी साल जनवरी में पाकिस्तानी फौज ने इस इलाके पर धावा बोला था। फौजियों ने हकीम के परिवार की तीन औरतों के साथ सामूहिक बलात्कार किया। बलात्कार करने वालों में डेथ स्क्वॉयड के गुंडे भी थे। डेथ स्क्वॉयड फौज की सरपरस्ती में खड़ी की गई हथियारबंद जमात है। इसे पैसे से लेकर हथियार वगैरह फौज देती है और इसके बदले ये लोग फौजी आॅपरेशन में उसका साथ देते हैं। कई बार फौज इसके जरिये भी स्थानीय बलूचों पर अत्याचार कराती है। डॉ. अल्लाह नजर बलोच के मुताबिक फौज के साथ इस घृणित बलात्कार कांड में डेथ स्क्वॉयड के जो लोग शामिल थे, उनमें शेरा और खुदादाद भी थे।
डॉ. अल्लाह नजर बलोच एक शिक्षित डॉक्टर हैं और उन्होंने पाकिस्तानी फौज की दरिंदगी के कारण हथियारबंद संघर्ष के जरिये बलूचिस्तान को आजाद कराने की मुहिम छेड़ रखी है। को चाहने वाले पूरे बलूचिस्तान में हैं और उनका जानकारी इकट्ठा करने का अपना ही तंत्र है जो खास तौर पर दो तरह की घटनाओं को लेकर बेहद चौकन्ना रहता है। एक, फौजी मूवमेंट और दूसरा, आम लोगों पर फौजी जुल्म। इसी तंत्र से उन्हें हकीम बलोच के परिवार की औरतों के साथ हुए इस सामूहिक बलात्कार की जानकारी मिली। अल्लाह नजर बलोच ने इस घटना के बारे में खुलासा करते हुए कहा है कि ‘बलूचिस्तान में ऐसे मानवाधिकार हनन के हजारों मामले हैं। लेकिन लोग इतने खौफजदा हैं कि वे मुंह नहीं खोलते। दुनिया को यहां हो रहे जुल्म पर गौर करना चाहिए। पाकिस्तानी फौज और उनके गुंडों के अत्याचार की शिकार बलूच औरतों को इंसाफ दिलाना चाहिए।’
दशकों से फौज के निशाने पर
मश्के की घाटियों में फौज कई बार आॅपरेशन कर चुकी है। कम से कम 10 बार हकीम बलोच समेत तमाम लोगों के घर जला चुकी है। इस दौरान फौज के लोगों ने तरह-तरह के अत्याचार किए। ऐसे ही एक आॅपरेशन में हकीम बलोच के सबसे छोटे बेटे मुहम्मद जुम्मा को 30 अप्रैल, 2015 को फौजवाले उठा ले गए थे। उसके अगले ही दिन जुम्मा का शव मिला था। हकीम के एक और बेटे हबीब और उसके दो बच्चों के साथ इस तरह मारपीट की गई कि वे कई दिनों तक चल नहीं पाए थे। खुद हकीम को भी कई बार फौज उठाकर ले गई। इस साल फरवरी में भी फौजियों ने उनके घर पर धावा बोला और हकीम को उठाकर ले गई। उन्हें टैंक आर्मी कैंप में रखा गया जहां उनके साथ बुरी तरह मारपीट की गई। हकीम बलोच और उनके दो बेटों को फौज ने मश्के के सैन्य मुख्यालय में रखा है जिसकी कमान एक ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारी के हाथ है।
बलूचिस्तान की आजादी के लिए संघर्ष कर रहे राजनीतिक दल बलूचिस्तान नेशनल मूवमेंट ने अपने बयान में माना है कि पाकिस्तान की फौज की दहशत की वजह से लोग सामने नहीं आते लेकिन वह बलूचों से सामने आने की अपील भी करते हैं। वह कहते हैं, ‘हम बलूचों को यह बात याद रखनी होगी कि हमारे चुप्पी ऐसे ही और अत्याचारों की वजह बनती है।’ इसके साथ ही उन्होंने राजनीतक दलों से लेकर दुनियाभर के सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकतार्ओं से अपील की कि पाकिस्तानी फौज की इस तरह की दरिंदगी को रोकने के लिए वे आगे आएं वर्ना फौज और उनके गुंडे बलूचों की मां-बहन के साथ दरिंदगी करते रहेंगे।
बलूच औरतों का दर्द
बलूचिस्तान में पाकिस्तान के फौजी अत्याचार का सबसे खौफनाक और झकझोरने वाला पक्ष यह है कि इसकी कीमत वहां की औरतों ने अक्सर अपनी अस्मत तो कभी-कभी जान देकर चुकाई है। बलूचिस्तान के कई इलाकों से पाञ्चजन्य के लिए खबरें कर चुके हुनक बलोच कहते हैं, ‘अगर आपकी परेशानी, आपके खिलाफ हो रहे जुल्म की वजह हुकूमत हो तो अवाम के सामने ज्यादा रास्ते नहीं बचते। जिन औरतों के साथ फौज बलात्कार करती है, उनमें से ज्यादातर का तीन ही हश्र होता है। एक, वह और उनका परिवार जुबान नहीं खोले। दो, ऐसी औरतें कुछ समय के बाद लाहौर की हीरा मंडी की बदनाम गलियों जैसे इलाकों में जिस्मफरोशी के धंधे में मिलें। और तीन, उनकी हत्या हो जाए। हकीम के ही परिवार को देखिए, एक की हत्या हो चुकी है। उनके परिवार वालों के साथ फौज कई बार मारपीट कर चुकी है, उठाकर ले जा चुकी है। हकीम और उनके बेटे को फौजवालों ने आर्मी कैंप में डाल दिया। ऐसे में कोई परिवार कहां से हिम्मत लाए? हिम्मत लाए भी तो होगा क्या? इंसाफ तो मिलने से रहा!’ क्वेटा जैसे बड़े शहरों में जरूर कुछ लोग हिम्मत दिखाते हैं, रैली निकालते हैं, विरोध प्रदर्शन करते हैं। लेकिन दूर-दराज के इलाकों में ऐसा नहीं होता। अगर किसी तरह कोई खबर बाहर आ गई तो शहरी इलाको में कुछ चर्चा
हो गई।
बलूचों की जवाबी कार्रवाई
लेकिन इस चुप्पी का यह मतलब नहीं निकाला जा सकता कि बलूच समुदाय ने हथियार डाल दिया है। बल्कि इसका ठीक उलट हो रहा है। फौज जितना आम लोगों पर अत्याचार करती है, फौज को सबक सिखाने और पाकिस्तान से आजाद होने का उनका हौसला और भी मजबूत होता है। हुनक बलोच कहते हैं, ‘अब तो यह आलम है कि जगह-जगह फौज पर हमले हो रहे हैं, वे मारे जा रहे हैं। हाल ही की बात है, बोलन के मरगट में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के लोगों ने आर्मी के पोस्ट पर हमला करके पांच जवानों को मार डाला और बाकी फौजी जान बचाकर भाग गए। फौज पर ऐसे हमले बढ़े हैं और ये बढ़ते ही जाएंगे। बलूचों की जेहनी हालत को समझिए। एक तो उनके मुल्क पर पाकिस्तान का जबरन कब्जा, दूसरे फौज की बलूचों की नस्लकुशी जैसी हरकत! अगर जान जानी ही है तो वतन की आजादी की जद्दोजहद में क्यों न जाए! इसलिए यह सिलसिला है जो तब तक जारी रहेगा जबतक बलूचिस्तान आजाद नहीं हो जाता।’
यह बात सही है कि हाल के समय में पाकिस्तानी फौज के साथ-साथ चीनियों पर बड़े-बड़े हमले हुए हैं। ये हमले पाकिस्तान के स्पेशल फोर्स की सुरक्षा वाले ग्वादर के पर्ल कंनेंटल होटल से लेकर चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के साथ-साथ बनी सेना की चौकियों पर लगातार हो रहे हैं और इनमें न केवल पाकिस्तानी फौज के लोग बल्कि विभिन्न परियोजनाओं पर काम करने वाले चीनी भी मारे जा रहे हैं। हो सकता है कि इन हमलों की हताशा के कारण भी आम बलूचों के खिलाफ फौजी आॅपरेशन में तेजी आई है। दरअसल, फौजी जुल्म और बलूचों का पलटवार एक-दूसरे से सीधे-सीधे जुड़े हैं। जैसा, अल्लाह नजर बलोच कहते भी हैं कि ह्यआजादी के लिए जद्दोजहद करना हर उस मुल्क के लोगों का हक है जिसपर किसी और मुल्क ने जबरन कब्जा कर लिया हो। इस लिहाज से बलूच कुछ भी गलत नहीं कर रहे। ऐसे में जो आजादी के लिए हथियारबंद जद्दोजहद कर रहे हैं, आप उनके खिलाफ आॅपरेशन करो, समझ में आता है। लेकिन अगर इसमें आम लोगों को लाओगे, औरतों और बच्चों पर जुल्म करोगे तो इसका खामियाजा भुगतना होगा।’
पाकिस्तान और बलूचिस्तान का अजीब ही रिश्ता है। एक है जो जुल्म करते नहीं थकता और दूसरा है जो जुल्म सहते नहीं थकता। एक है जो नस्लकुशी करके समाधान निकालना चाहता है तो दूसरा है जो हर सांस को मुल्क की आजादी पर कुर्बान करने को तैयार है।
प्रस्तुति : अरविन्द
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