कोरोना महामारी से पीड़ित लोगों तक चिकित्सकीय सहायता और जरूरतमंदों को राशन और अन्य मदद पहुंचाने के क्रम में अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ऐसे बच्चों का जीवन संवारने के लिए आगे आया है, जिनके माता-पिता को इस महामारी ने छिन लिया। साथ ही संघ ऐसे बच्चों के पढ़ने की व्यवस्था भी करेगा, जिनके अभिभावकों का कामकाज बाधित हुआ है या बंद हो गया है
जब से कोरोना का कहर शुरू हुआ है, तब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लाखों स्वयंसेवक देशभर में अनेक प्रकार के कार्य कर रहे हैं, ताकि महामारी से पीड़ित लोगों को कुछ राहत मिल सके। ये स्वयंसेवक बिना किसी स्वार्थ तन, मन और धन से सेवा कार्य कर रहे हैं। इसी कड़ी में पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र सेवा प्रमुख श्री धनीराम ने 27 मई को नोएडा के सेक्टर 12 स्थित सरस्वती शिशु मन्दिर में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए विस्तार से बताया कि विभिन्न माध्यमों की सहायता से स्वयंसेवक ऐसे बच्चों की जानकारी लेंगे, जिन्होंने अपने माता-पिता को इस महामारी के दौरान खो दिया। उन्होंने कहा, ”हम उन सभी बच्चों की शिक्षा से लेकर जीवन—यापन का प्रबंध करेंगे, जिनके माता-पिता कोरोना महामारी के कारण इस दुनिया से चल बसे।” उन्होंने यह भी बताया कि संघ पहले भी महामारी या आपदा के कारण अनाथ हुए बच्चों की शिक्षा से लेकर आवासीय सुविधा और जीवन-यापन में लगा हुआ है। उन्होंने बताया कि उत्तरकाशी में आए भूकम्प के बाद अनाथ हुए बच्चों के लिए वहां एक आवासीय विद्यालय खोला गया, जो आज भी चल रहा है। इसी प्रकार गुजरात में 2001 में आए भीषण भूकम्प के बाद वहां कई आवासीय विद्यालय खोले गए। साथ ही संघ ने दैवीय आपदा से आहत हुए परिवारों का जीवन पटरी पर लाने के लिए आजीविका के साधन जुटाए।
इस अवसर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र की विद्या भारती के क्षेत्रीय अध्यक्ष श्री मनबीर ने कहा कि कोरोना महामारी में अनाथ हुए बच्चों की शिक्षा में कोई अड़चन न आए, इसके लिए पूरी योजना तैयार कर ली गई है। उन्होंने बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड में चल रहे सरस्वती शिशु मन्दिरों और सरस्वती विद्या मन्दिरों में इन बच्चों को प्रवेश दिलाया जाएगा और 12वीं तक इनकी शिक्षा और आवासीय सुविधा का प्रबंध विद्या भारती करेगी।
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