इंदौर के पास महू सैन्य छावनी के भवनों की तस्वीरें लेते और पाकिस्तान में अपने सूत्र से बात करते रंगे हाथ पकड़ी गईं दोनों मुस्लिम युवतियों से गहन पूछताछ जारी
पाकिस्तान को सेना की खुफिया जानकारी भेजने वालीं दो बहनें, कौसर और हिना इंदौर के पास महू सैन्य छावनी के पास से आखिर पकड़ में आ ही गईं। पाकिस्तान की जासूस होने का शक होने के बाद पिछले एक महीने से दोनों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी। इनका एक पुरुष साथी भी हिरासत में लिया गया है और तीनों से गहन पूछताछ जारी है। इनके मोबाइल फोन पर संदिग्ध चीजों से शक और गहरा गया है। शुरुआती पूछताछ के बाद बताया गया है कि दोनों पाकिस्तानी सेना और नौसेना के सूत्रों के संपर्क में थीं। कुछ दिन पहले ये दोनों सड़क पर ही पाकिस्तान में किसी से फोन पर बात कर रही थीं। इसी दौरान सेना के गोपनीय विभाग ने उसकी छानबीन करके इन पर नजर रखी शुरू कर दी थी।
पता चला है कि कौसर और हिना सोशल मीडिया पर नकली आईडी के जरिए पाकिस्तान के पूर्व सैनिकों और कुछ ऐसे नागरिकों के सम्पर्क में थीं जिनका पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से किसी जरिए जुड़ाव था। पाकिस्तान के एक एजेंट ने कौसर से शादी करने का वादा भी किया था। प्राप्त जानकारी के अनुसार, इंदौर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक हरिनारायण चारी ने दोनों युवतियों के पुलिस हिरासत में होने की बात मानी है। इन युवतियों और इनके तीसरे पुरुष साथी को हिरासत में लेने के बाद देश भर की सुरक्षा एजेंसियां हरकत में आई हैं। एटीएस, आईबी, इंदौर पुलिस, सैन्य गुप्तचरी आदि एजेंसियां मामले की तह में जाने में हर संभावना की जांच कर रही हैं।
बताया गया है कि क्रमश: 32 और 28 साल की कौसर और हिना सैन्य छावनी क्षेत्र में सैन्य अस्पताल और कुछ अन्य इमारतों की तस्वीरें उतारते हुए पकड़ी गई थीं। इनके चाल—चलन से पता चला है कि दोनों कई जगह नौकरी कर चुकी थीं, पर कहीं ज्यादा दिन टिकती नहीं थीं। हिना ने महू में बिजली कंपनी में छह महीने बतौर कम्प्यूटर आपरेटर काम किया था। दूसरी बहन महू में शिक्षिका के तौर पर काम कर रही थी। उनके फोन व अन्य उपकरणों को जब्त करके आगे की पूछताछ की जा रही है। सूत्रों की मानें तो इन्हें उनके पास से लैपटॉप, मोबाइल फोन जब्त किया है। यह भी बताया जा रहा है कि इन्हें मॉरीशस से पैसा आ रहा था। इनके पिता कभी सेना में नौकरी करते थे। बाद में किसी बैंक में गार्ड की नौकरी की थी। हालांकि अब उन्हें मरे दो साल हो चुके हैं।
ताजा जानकारी के अनुसार तीनों को उनके ठिकाने पर ही रखकर आगे पूछताछ की जा रही है। किसी को उनसे मिलने नहीं दिया जा रहा है। मोहल्ले वालों ने भी उनकी गतिविधियों को संदिग्ध बताया है। वे किसी से न ज्यादा बात करती थीं, न उनके आने—जाने का कोई वक्त था। वे आसपास वालों से ज्यादा मतलब नहीं रखती थीं।
बहुत संभव है पूछताछ में कुछ और खुलासे हों, यहां उनके कुछ और संपर्क हों और कि जासूसों के निशाने पर कौन—कौन से सैन्य ठिकाने थे।
वेब डेस्क
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