टूलकिट में मामले में ट्विटर को फटकार लगाने के बाद केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों से ऐसी सभी सामग्रियों को हटाने को कहा है, जिनमें कोरोना के नए रूप B.1.617 के लिए ‘इंडियन वैरिएंट’शब्द का प्रयोग किया गया है या इसकी ओर संकेत किया गया है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इस बाबत सभी सोशल मीडिया कंपनियों को एक पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि मीडिया रपटों में B.1.617 को बिना किसी आधार और तथ्य के ‘इंडियन वैरिएंट’के रूप में परोसा गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अपनी किसी भी रिपोर्ट में B.1.617 को ‘इंडियन वैरिएंट’ नहीं कहा है।
सरकार की चिट्ठी में क्या है?
मंत्रालय द्वारा सोशल मीडिया कंपनियों को लिखे गए पत्र में कहा गया है, “हमारी जानकारी में आया है कि एक झूठा बयान ऑनलाइन सर्कुलेट हो रहा है जिसका मतलब यह है कि कई देशों में कोरोना वायरस का एक ‘भारतीय वेरिएंट’ फैल रहा है। यह पूरी तरह से झूठ है।” पत्र के मुताबिक, B.1.617 कोरोना का नया रूप तो है, लेकिन इसे ‘इंडियन वैरिएंट’ कहना सरासर गलत है। इसमें सख्त लहजे में कहा गया है कि कोरोना के किसी भी रूप को बिना प्रमाण के ‘इंडियन वैरिएंट’ कहने का मतलब है, देश की छवि को धूमिल करना। ऐसी खबरों से लोगों के बीच गलत संदेश जा रहा है।
क्या कहा था डब्ल्यूएचओ ने?
बीते 11 मई को डब्ल्यूएचओ ने अपनी रपट में कहा था कि पिछले साल अक्तूबर में महाराष्ट्र में कोरोना वायरस वेरिएंट B.1.617 की पहचान की गई थी। B.1.617 की तीन वंशावलियों में B.1.617.1, B.1.617.2, B.1.617.3 शामिल हैं, जो 44 देशों में पाए गए हैं। भारत के दो-तिहाई नमूनों में कोरोना का नया रूप B.1.617 पाया गया है। यह वैश्विक चिंता का विषय बन सकता है। इसलिए इसे चिंताजनक वेरिएंट की सूची में रखा जा रहा है। सोशल मीडिया कंपनियों को लिखे पत्र में कहा गया है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने अगले ही दिन 12 मई को इस बारे में स्थिति स्पष्ट कर दी थी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कहा था कि डब्ल्यूएचओ ने अपनी किसी भी रपट में B.1.617 को ‘इंडियन वैरिएंट’ नहीं कहा है।
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