तमिलनाडु, ओडिशा, असम, पंजाब और राजस्थान में ब्लैक फंगस के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यह बीमारी उनमें ज्यादा देखने में आ रही है जिनमें मधुमेह का स्तर चढ़ता-उतरता है
कोरोना वायरस की महामारी के बीच ही ब्लैक फंगस की मार से कई राज्य प्रभावित हैं और ये संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। केन्द्र सरकार सहित अन्य संबंधित एजेंसियां अब इस ओर पूरी गंभीरता से नजर रखे हैं। पांच राज्यों में ब्लैक फंगस संक्रमण यानी म्यूकरमाइकोसिस को महामारी घोषित कर दिया गया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से ब्लैक फंगस संक्रमण (म्यूकरमाइकोसिस) को महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत अधिसूच्य बीमारी मानकर सभी मामलों की सूचना देने को कहा है।
उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु, ओडिशा, असम और पंजाब ने ब्लैक फंगस को महामारी रोग अधिनियम 1897 के अंतर्गत अधिसूचित भी कर दिया है। राजस्थान में तो ये पहले ही अधिसूचित बीमारी घोषित हो चुकी है। पंजाब में सरकारी अस्पतालों में इस बीमारी से लड़ने के प्रशिक्षण और आवश्यक दवाओं के आदेश भी जारी किए गए हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से ब्लैक फंगस संक्रमण से कोरोना रोगियों में बीमारी के देर तक परेशान करने से मरने वालों का आंकड़ा बढ़ रहा है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में राज्यों को एक पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि इधर कुछ समय में कई राज्यों से कोरोना रोगियों में फंगस संक्रमण की शक्ल में एक नयी चुनौती सामने आई है। यह बीमारी ऐसे कोरोना रोगियों में ज्यादा देखने में आ रही है जिन्हें ‘स्टीरॉइड’ दिए गए हैं और जिनमें मधुमेह यानी शुगर का स्तर घटता—बढ़ता रहता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा है कि इस बीमारी के इलाज के लिए कई चीजों पर विशेष गौर करने की जरूरत है। इस बीमारी में आंखों के चिकित्सक, ईएनटी विशेषज्ञ, सामान्य सर्जन और अन्य विशेषज्ञों की सलाह जरूरी है। पत्र के जरिए राज्यों से कहा गया है कि म्यूकरमाइकोसिस को महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत अधिसूच्य बीमारी तय करें। इसमें सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य संस्थानों, चिकित्सकीय कालेजों, ब्लैक फंगस की निगरानी, निदान, प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा आईसीएमआर के दिशा-निर्देशों का पालन करें।
वेब डेस्क
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